MAP

नये संरक्षक फादर फ्राँचेस्को एलपो का येरूसालेम के मुक्तिदाता गिरजाघर में समारोही प्रवेश नये संरक्षक फादर फ्राँचेस्को एलपो का येरूसालेम के मुक्तिदाता गिरजाघर में समारोही प्रवेश  

पवित्र भूमि के नये संरक्षक येरूसालेम पहुँचे

"हमारा कर्तव्य केवल पवित्र स्थलों की देखभाल करना नहीं है, बल्कि इस भूमि के ख्रीस्तीयों के साथ एक जीवंत प्रेरितिक उपस्थिति है।" यह बात फ्राँसिस्कन फादर फ्रांसिस्को एलपो ने कही, जिन्होंने येरूसालेम के पवित्र मुक्तिदाता गिरजाघर में आधिकारिक रूप से प्रवेश किया। वे कहते हैं, "संरक्षक, संरक्षक ही नहीं, बल्कि उन 300 से अधिक धर्मसंघियों का समर्पण, कड़ी मेहनत और प्रतिभा है जो इसे बनाते और जीते हैं।"

वाटिकन न्यूज

पवित्र भूमि, मंगलवार, 22 जुलाई 2025 (रेई) : 21 जुलाई को पवित्र भूमि के नये संरक्षक फादर फ्राँचेस्को एलपो ने येरूसालेम के मुक्तिदाता गिरजाघर में समारोही प्रवेश किया, जो एक ऐसी घटना है, जो निवर्तमान संरक्षक फादर फ्रांसेस्को पैटन द्वारा मुहर सौंपने के साथ ही पवित्र भूमि में उनके मिशन की आधिकारिक शुरुआत का प्रतीक है।

फादर फ्रँचेस्को एलपो का साक्षात्कार

फादर इलपो, आप अपना संरक्षकीय कार्यकाल संभवतः 1967 के युद्ध के बाद, या 1948 के बाद से, इस धरती पर आए सबसे कठिन समय में शुरू कर रहे हैं। गज़ा में, पिछले 22 महीनों में 57,000 लोग मारे गए हैं, और बहु-घोषित युद्धविराम अभी तक लागू नहीं हुआ है। पश्चिमी तट पर, बसनेवालों के हमले लगातार और हिंसक होते जा रहे हैं। यहाँ तक कि ख्रीस्तीय अल्पसंख्यक भी बार-बार हिंसा के शिकार हो रहे हैं—उदाहरण के लिए निवासियों द्वारा ख्रीस्तीय गाँव ताइबेह में घुसपैठ और, सबसे खास तौर पर, पिछले गुरुवार को गज़ा में काथलिक पल्ली पर हुई गोलाबारी में देखा जा सकता है, जिसमें तीन लोग मारे गए और दस घायल हो गए।

हाँ, मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि यह एक बहुत ही कठिन समय है। खासकर, इसलिए क्योंकि, जैसा कि सर्वविदित है, हमारा कर्तव्य केवल पवित्र स्थलों की देखभाल करना नहीं है, बल्कि इस भूमि के ख्रीस्तीयों के साथ एक जीवंत प्रेरितिक उपस्थिति है। और वस्तुनिष्ठ चुनौतियों के अलावा, व्यक्तिपरक चुनौतियाँ भी हैं। मुझे सौंपी गई भूमिका और मेरी व्यक्तिगत सीमाओं के बीच के अंतर का मैं भली-भाँति अनुभव करता हूँ। लेकिन मैं इस अंतर को एक अवसर के रूप में भी देखता हूँ—इस अर्थ में कि यह पवित्र आत्मा की क्रिया के लिए अधिक स्थान प्रदान करता है। और मैं सबसे अधिक उसी पर अपना विश्वास रखता हूँ। क्योंकि यह विशेष रूप से पवित्र आत्मा की क्रिया का ही परिणाम है कि फ्राँसिस्कन 800 वर्षों से और अनेक कठिनाइयों के बावजूद, येसु की भूमि में ख्रीस्तीयों की उपस्थिति का साक्ष्य देने में सफल रहे हैं।

फादर इलपो, आप पवित्र भूमि से पहले से ही भली-भाँति परिचित हैं। हाल के वर्षों में, आपने इटली में संरक्षकों के प्रतिनिधि के रूप में प्रतिनिधित्व किया है। क्या आपके मन में पहले से कोई कार्य योजना है?

मैं बस अपने पूर्ववर्तियों द्वारा स्पष्ट रूप से चिह्नित मार्ग पर चलने का इरादा रखता हूँ। संरक्षक केवल देखभाल करनेवाला नहीं है—यह उन 300 से अधिक धर्मबंधुओं का समर्पण, प्रयास और प्रतिभा है जो इसे रचते और जीते हैं। निर्देशन से बढ़कर, संरक्षक की भूमिका इस विशेष फ्राँसिस्कन प्रांत की इन व्यापक रूप से साझा प्रतिभाओं में से सर्वश्रेष्ठ को सामने लाना है। जैसा कि फादर पैटन ने पिछले नौ वर्षों में बहुत अच्छा किया है।

इन प्रतिभाओं में, मैं सबसे पहले संरक्षकों की अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति पर प्रकाश डालूँगा, जिसमें पचास से अधिक विभिन्न देशों से शामिल हैं। मेरा कार्य बुलाहटों और प्रतिभाओं के इस सामंजस्य को समन्वित करना है। फिर, मैं फ्रांसिस्कन की विशिष्ट मिशनरी भावना की ओर संकेत करूँगा, जो पूरी तरह से सुसमाचार प्रचार के माध्यम से ख्रीस्त के अनुसरण में निहित है। यहाँ, यह न केवल अनगिनत तीर्थयात्रियों के स्वागत में, बल्कि येरूसालेम के लैटिन प्राधिधर्माध्यक्ष द्वारा हमें सौंपे गए पल्ली के संचालन में, और विशेष रूप से इस्राएल और फिलिस्तीन में उन 17 स्कूलों के संचालन में अभिव्यक्त होता है जो हर साल हज़ारों छात्रों को शांतिपूर्वक शिक्षा प्रदान करते हैं। ये स्कूल निस्संदेह हमारे प्रेरितिक कार्य का अतिरिक्त मूल्य हैं। और फिर ख्रीस्तीय प्रेरिताई कार्य हैं, जिनका उद्देश्य सबसे कमज़ोर फ़िलिस्तीनी आबादी के दुखों को कम करना है। हम सभी इस क्षेत्र के लिए प्रतिबद्ध हैं, और विशेष रूप से, फादर इब्राहिम फाल्टास ने युद्ध के इन महीनों के दौरान बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण पहल शुरू की हैं।

आज अपने आधिकारिक प्रवेश से पहले ही, मैं हाल के दिनों में सीरिया और लेबनान में हमारे समुदायों का दौरा करके अपने मिशन की शुरुआत करना चाहता था। मुझे हमारे धर्मबंधुओं की ख्रीस्तीय भावना और प्रभावी कार्य देखकर सुखद आश्चर्य हुआ—और उससे भी ज्यादा, सिर्फ ख्रीस्तीयों के बीच ही नहीं बल्कि अपने मिशन क्षेत्रों की स्थानीय जनता के बीच उनकी गहरी जड़ें और प्रशंसा देखकर।

सीरिया में, धर्मबंधु मेरे साथ ऑर्थोडॉक्स प्राधिधर्माध्यक्ष के विकर और फिर दमिश्क के ड्वेलाह मोहल्ले में स्थित संत एलियास गिरजाघर के पुरोहित से मिलने भी गए। 21 जून को, वह गिरजाघर इस्लामी चरमपंथियों द्वारा आतंकवादी हमले का निशाना बना, जिसमें 30 से ज़्यादा ख्रीस्तीय मारे गए और 60 से ज़्यादा घायल हुए। फादर ने मुझे हमले और मारे गए अपने पल्लीवासियों के बारे में बताया: पहली शिकार, वह युवती बनी जिसे हाथ में मोमबत्ती लिए पवित्र मिस्सा में आते समय गिरजाघर की सीढ़ियों पर गोली मार दी गई थी; और वह युवक जिसने विस्फोट से ठीक पहले आत्मघाती हमलावर पर खुद को फेंक दिया, जिससे वह श्रद्धालुओं से भरी बेंचों तक पहुँचने से रुक गया—और दर्जनों लोगों की जान बचाने के लिए खुद को बलिदान कर दिया।

हमारी बातचीत के अंत में, हमने एक-दूसरे को गले लगाया—यह एक ही क्रूस के नीचे, साझा दुःखों में सच्ची ख्रीस्तीय का प्रतीक था।

फिर, जब हमारे धर्मबंधुओं ने मेरी यात्रा के लिए एक विशेष ख्रीस्तयाग का आयोजन किया, तो मुझे लगा कि भय लोगों को दूर रखेगा। लेकिन इसके बजाय, गिरजाघर खचाखच भरा हुआ था। ख्रीस्तीय पहचान जातीय या राजनीतिक पहचान से ऊपर उठती है।

लेबनान में भी, मैंने इस्राएली बमबारी के दौरान हमारे धर्मबंधुओं के महान उदार कार्यों को देखा। उन्होंने बेरूत और दक्षिण में कई विस्थापित परिवारों को आश्रय प्रदान किया। मैं हमारे धर्मबंधुओं के साहस और मिशनरी भावना से बहुत प्रभावित हूँ, जिसके बारे में पश्चिम में बहुत कम जाना जाता है। आप अपने धर्मबंधुओं से क्या माँगेंगे?

बस, यही कि वे अच्छे धर्मबंधु बनें। जैसे उनके पूर्वज थे—जिन्होंने 800 वर्षों तक पवित्र भूमि में ख्रीस्तीय उपस्थिति को सुरक्षित और सुनिश्चित किया है। अपने पड़ोसियों की परवाह करते हुए, बल्कि हमेशा अपनी निगाहें मसीह पर टिकाए रखते हुए।

इन दिनों और इस यात्रा के दौरान, मैंने इस नए और अनपेक्षित कार्यभार पर बहुत विचार किया है, जो सुसमाचार के एक अंश से प्रेरित है जो मेरे साथ हमेशा बना रहा है। आज, येसु के समय की तरह, समुद्र की लहरें ऊँची और भयावह हैं, और नाव में डर बहुत है। लेकिन जब शिष्य येसु को पानी पर चलते हुए देखते हैं, तो उनका भय कम हो जाता है। पेत्रुस उनके पीछे चलने की कोशिश करता है, लेकिन डूबने लगता है। क्यों? क्योंकि उसने येसु की आँखों में देखना बंद कर दिया था।

मेरे लिए, यही कुंजी है। और यह मेरा व्यक्तिगत लक्ष्य और हमारे धर्मबंधुओं के लिए मेरा प्रस्ताव है: इस दुनिया के तूफानों में स्थिर और निडर बने रहना, अपनी आँखें येसु पर टिकाए रखना।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

22 जुलाई 2025, 16:23