नेतन्याहू का युद्ध
वाटिकन न्यूज
विस्फोट की तस्वीरें बहुत कुछ बयां करती हैं: एक इस्राएली सेना के टैंक से दागा गया गोला गज़ा स्थित काथलिक पल्ली, पवित्र परिवार गिरजाघर पर गिरा। उस परिसर में, दो गिरजाघर और एक स्कूल में, पाँच सौ लोग, जिनके घर बर्बाद हो गए हैं, लगभग दो साल से शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं। इस्राएली अधिकारियों ने माफी मांगते हुए कहा कि यह एक गलती थी, इस्राएल धार्मिक स्थलों का सम्मान करता है, और मामले की जाँच की जाएगी। ये बयान निश्चित रूप से आश्वस्त करनेवाले नहीं हैं, न केवल इसलिए कि ध्वस्त मस्जिदों और हमला किये गये गिरजाघरों की स्पष्ट तस्वीरें इनका खंडन करती हैं, जिसमें संत पोर्फिरी के ऑर्थोडॉक्स गिरजाघर पर हमले में दर्जनों लोगों की जान चली गई, बल्कि इसलिए भी कि गज़ा के एक पल्ली में एक स्नाइपर द्वारा दो ख्रीस्तीय महिलाओं की हत्या की जाँच के नतीजों का डेढ़ साल से इंतजार किया जा रहा है।
इस संबंध में इटली में इस्राएली राजदूत जोनाथन पेलेड के शब्द विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, जिन्होंने कहा: "हमारा नागरिक संस्थानों को खतरे में डालने का कोई इरादा नहीं है। लेकिन आतंकवादी हर जगह मौजूद हैं, यहाँ तक कि स्कूलों जैसी सार्वजनिक इमारतों में भी और दुर्भाग्य से, पूजा स्थलों में भी।" ये बयान चौंकाने वाले हैं क्योंकि ये किसी न किसी तरह उस घटना का संदर्भ प्रदान करते हैं जिसे "गलती" कहा गया है। पाँच सौ निहत्थे लोग, जिनमें से कई हरदिन रोजरी माला विन्ती करने के लिए इकट्ठा होते हैं, अनजाने में ही निशाना बन गए हैं, क्योंकि, जैसा कि राजदूत पेलेड कहते हैं, "कभी-कभी युद्ध के यही परिणाम होते हैं।"
जैसा कि वाटिकन मीडिया के पाठक और श्रोता भली-भांति जानते हैं, हमने गज़ा में रोज़ाना होनेवाले नरसंहारों के बारे में बात करने के लिए सिर्फ ख्रीस्तीयों की मौतों का इंतजार नहीं किया, जहाँ हर हफ्ते दर्जनों मासूम बच्चे, महिलाएँ और पुरुष मारे जाते हैं, जो खाद्य पदार्थों के सुरक्षित वितरण को सुनिश्चित करनेवालों द्वारा छापे या हमलों का शिकार होते हैं। हम गज़ा के पीड़ितों के बारे अब इसलिए बात नहीं कर रहे हैं क्योंकि वे ख्रीस्तीय हैं या क्योंकि लोसेरवातोरे रोमानो के एक युवा योगदानकर्ता सुहैल गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, जो बतलाते थे कि युद्ध की त्रासदी के बीच ख्रीस्तीय अनुभव को कैसे जीते हैं: सभी निर्दोष पीड़ित ईश्वर से गुहार लगाते हैं। हर जीवन पवित्र है, और इस पट्टी के ख्रीस्तीय, हर धर्म के लोग, हर तरह से अपने लोगों, शहीद फ़िलिस्तीनी लोगों के भाग्य के भागीदार हैं।
7 अक्टूबर, 2023 को हमास आतंकवादियों द्वारा इस्राएल के खिलाफ किए गए अमानवीय नरसंहार की परमधर्मपीठ ने स्पष्ट रूप से निंदा की, सभी बंधकों की रिहाई का आह्वान किया और इस्राएल के आत्मरक्षा के अधिकार को मान्यता दी। लेकिन इतने सारे निर्दोष नागरिकों की कीमत पर किया गया यह अमानवीय नरसंहार, साठ हजार मौतों और शहरों को जमींदोज करने को उचित नहीं ठहरा सकता। यह उन लोगों की चुप्पी और निरर्थकता को भी उचित नहीं ठहरा सकता जो इसे न देखने का नाटक करते हैं।
इसीलिए, हम इस युद्ध की बेतुकी बातों की निंदा करते नहीं थकेंगे, और 26 जून को पूर्वी कलीसियाओं की सहायता के लिए एजेंसियों की बैठक में लियो 14वें द्वारा कहे गए शब्दों को दोहराते रहेंगे: "हम, पूरी मानवता, इन संघर्षों के कारणों का मूल्यांकन करने, वास्तविक कारणों की पुष्टि करने और उन पर विजय पाने का प्रयास करने, और भावनात्मक बनावटीपन और बयानबाज़ी के फलस्वरूप बने झूठे संघर्षों को अस्वीकार करने और दृढ़तापूर्वक उनका पर्दाफ़ाश करने के लिए बुलाए गए हैं। लोग झूठी खबरों के कारण नहीं मर सकते।" हमें उस वैश्वीकरण की उस क्षणिक उदासीनता पर विजय पाने के लिए बुलाया गया है, जो हमें कुछ पीड़ितों के प्रति आक्रोशित और दूसरों को नजरअंदाज करने के लिए प्रेरित करती है। हमें मध्य पूर्व की स्थिति और नए मोर्चों के लगातार खुलने के साथ युद्ध के बेतुके विस्तार को यथार्थवादी दृष्टि से देखने के लिए बुलाया गया है, मानो सत्ता में बैठे नेताओं का, आतंकवादी संगठनों और राज्यों में, अस्तित्व शांति के बजाय युद्धों के अंतहीन विस्तार पर निर्भर करता हो। अब समय आ गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय कानून द्वारा प्रदत्त सभी साधनों के साथ हस्तक्षेप करने का साहस जुटाए: बंदूकों को खामोश करने के लिए, नरसंहारों को समाप्त करने के लिए, तथा सत्ता के उन खेलों को समाप्त करने के लिए जिनकी कीमत हजारों निर्दोष पीड़ितों को चुकानी पड़ती है।
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