युद्ध, जलवायु संकट और वित्त पोषण की कमी के कारण वैश्विक भुखमरी बढ़ रही है
वाटिकन न्यूज
शनिवार, 17 मई 2025 (रेई) : खाद्य संकट के खिलाफ वैश्विक नेटवर्क की हाल ही में जारी 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में गंभीर भूखमरी से पीड़ित लोगों की संख्या 295 मिलियन से अधिक हो गई है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 14 मिलियन लोगों की चिंताजनक वृद्धि को दर्शाता है और यह एक गहराते संकट को दिखलाता है जो मुख्य रूप से संघर्ष, जलवायु-संबंधी आपदाओं और आर्थिक झटकों के कारण हो रहा है।
ये निष्कर्ष विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा 65 देशों से एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित हैं। इनमें से 53 देश वर्तमान में गंभीर रूप से खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं।
वाटिकन रेडियो से बात करते हुए, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) आपातकालीन प्रभाग की ऑरेलियन मेलिन ने संकट की बढ़ती जटिलता पर जोर दिया।
मेलिन ने कहा, "2016 से 35 देश लगातार खाद्य संकट की स्थिति में हैं।" "ये दीर्घकालिक आपात स्थितियाँ हैं, जिनके लिए न केवल अल्पकालिक सहायता की आवश्यकता है, बल्कि दीर्घकालिक, बहु-क्षेत्रीय प्रतिक्रियाओं की भी आवश्यकता है - जिसमें आपातकालीन कृषि सहायता भी शामिल है, जिसे वर्षों से कम वित्तपोषित किया गया है।"
संघर्ष: भूख का मुख्य कारण
वर्ष 2016 से खाद्य असुरक्षा के तीन मुख्य कारण अपरिवर्तित रहे हैं: संघर्ष और असुरक्षा, खराब मौसम की घटनाएँ (अक्सर जलवायु परिवर्तन के कारण तीव्र हो जाती हैं) और आर्थिक झटके। मेलिन ने कहा कि इनमें से संघर्ष सबसे विनाशकारी है।
एफएओ विशेषज्ञ ने बताया, "संघर्ष और असुरक्षा आज खाद्य संकट का सामना करनेवाले सबसे अधिक लोगों को प्रभावित करते हैं।" उन्होंने सूडान का उदाहरण दिया, जहाँ लड़ाई के कारण अकाल जैसी स्थितियाँ पैदा हो गई हैं, और हैती, जहाँ हिंसा और अस्थिरता ने जमीन पर भयावह स्थितियाँ पैदा कर दी हैं।
आर्थिक कारकों के कारण स्थिति और भी जटिल हो गई है। मेलिन ने कोविड-19 महामारी और यूक्रेन में चल रहे युद्ध के प्रभावों, जैसे वैश्विक व्यवधानों को आर्थिक स्थिति को अधिक खराब करने में योगदान देनेवाला बताया, विशेषकर कम आयवाले और कमजोर देशों में।
सबसे ज्यादा प्रभावित हैं बच्चे
मेलिन ने मानवीय सहायता के घटते वित्तपोषण पर भी चिंता जताई और सबसे कमजोर तबके, ख़ास तौर पर बच्चों के लिए इसके परिणामों की चेतावनी दी। उन्होंने कहा, "यमन और अफगानिस्तान जैसे सबसे बुरे संकटों का सामना कर रहे कुछ देशों को अपेक्षित वित्तपोषण कटौती के कारण महत्वपूर्ण मानवीय सहायता खोने का जोखिम है।" "यदि ये व्यवधान होते हैं, तो यह जीवन रक्षक सहायता के वितरण में गंभीर रूप से बाधा उत्पन्न करेगा।"
रिपोर्ट में इसे एक उभरते खतरे के रूप में चिन्हित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि मानवीय कार्यों में कमी से भूख में और वृद्धि हो सकती है, खासकर, कमजोर समुदायों में, जहाँ मामूली झटके भी गंभीर खाद्य असुरक्षा को जन्म दे सकते हैं।
एफएओ और उसके साझेदार अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आपातकालीन और दीर्घकालिक समर्थन दोनों को बढ़ाने का आग्रह कर रहे हैं।
मेलिन के अनुसार, "ये संकट असाध्य नहीं हैं," सहायता के सही मिश्रण से प्रगति देखी गई है। यह केवल भोजन की कमी का मामला नहीं है बल्कि इसमें कृषि, स्थिरता और निरंतर निवेश भी शामिल है।"
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here