परमधर्मपीठ स्मारकों के संरक्षण हेतु, एलविरा काजानो की नियुक्ति
वाटिकन सिटी
रोम के पोंटिफिकल ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय में कलीसियाई इतिहास और सांस्कृतिक विरासत संकाय की प्रध्यापिका एलविरा काजानो को वाटिकन राज्य के सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने परमधर्मपीठ स्मारकों के संरक्षण हेतु आयोग के नई अध्यक्षिका स्वरुप में नियुक्त किया।
एलविरा काजानो, रोम के परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय में कलीसियाई इतिहास और सांस्कृतिक विरासत के संकाय में अस्थायी प्रध्यापिका स्वरुप अपनी सेवाएं देती हैं। किया, होली सी के ऐतिहासिक और कलात्मक स्मारकों के संरक्षण के लिए स्थायी आयोग के नए अध्यक्ष हैं।
उनकी नियुक्ति वाटिकन राज्य के सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन के द्वारा 10 अप्रैल को हुई। इतिहास की प्रध्यापिका काजानो का जन्म 29 मई, 1955 को परमा में हुआ था। उन्होंने वास्तुकला में स्नातक की उपाधि हासिल की है और रोम के “ला सपिंएसा” विश्वविद्यालय से वास्तुकला के इतिहास, ड्राइंग और पुनर्स्थापना में पीएचडी की उपाधि ली है। उन्होंने पुरातत्व, ललित कला और ऊबिया के परिदृश्य के अधीक्षण में प्रबंधकीय भूमिका निभाई। वह रोम में पोंटिफिकल ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय में बहाली और संरक्षण सिद्धांत की प्रध्यापिका थी और कई प्रकाशनों की लेखिका रही हैं। इस नियुक्त के मुताबिक वह वाटिकन संग्रहालय के पूर्व निदेशक और जनवरी 2017 से अध्यक्ष रहे प्रोफेसर फ्रांसेस्को बुरनेली की जगह लेंगी।
एक अति प्राचीन आयोग
वाटिकन के ऐतिहासिक और कलात्मक स्मारकों के संरक्षण हेतु स्थायी आयोग की स्थापना 27 जून 1923 को पियुस 11वें द्वारा की गई थी। संत पापा पौल 06वें द्वारा रोमन क्यूरिया के पुनर्गठन के भाग स्वरूप, 1965 में इसके कर्तव्यों को वाटिकन के स्वामित्व वाली कला के कार्यों के मूल्यांकन के लिए भी किया गया था। 2001 में संत पापा जोन पौल द्वितीय द्वारा सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण पर कानून के प्रख्यापन के साथ, "स्थायी आयोग को वाटिकन राज्य और इसके बाह्यक्षेत्रीय क्षेत्रों में किए जाने वाले सभी बहाली हस्तक्षेपों, नए निर्माण, प्रदर्शनी परियोजनाओं और संरक्षण हस्तक्षेपों पर अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार प्राप्त है।”
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