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करूणा के प्रेरितों की जयंती पर कार्डिनल फिसीकेल्ला मिस्सा बलिदान में करूणा के प्रेरितों की जयंती पर कार्डिनल फिसीकेल्ला मिस्सा बलिदान में  (Vatican Media)

करूणा के प्रेरित, मेल-मिलाप के विशेष साधन हैं

करूणा के प्रेरितों की जयंती के उपलक्ष्य में, कार्डिनल रीनो फिसीकेल्ला ने करूणा के प्रेरितों हेतु संत अद्रेयस के महागिरजाघऱ में ख्रीस्तयाग अर्पित किया और उन्हें ऊड़ाव पुत्र के दृष्टांत पर चिंतन करते हुए दोनों पुत्रों की छवि को देखने का आहृवान किया।

वाटकिन सिटी

30 मार्च को करूणा के प्रेरितों ने अपनी जयंती मनायी। इस उपलक्ष्य में सुसमाचार प्रचार हेतु गठित परमधर्मपीठीय के प्रो-अध्यक्ष कार्डिनल रीनो फिसीकेल्ला ने करूणा के प्रेरितों हेतु, रोम के संत अद्रेयस महागिरजाघर में ख्रीस्तीयग अर्पित किया।

अपने प्रवचन में कार्डिनल रीनो फिसीकेल्ला ने कहा कि संत लूकस के सुसमाचार में ऊड़ाव पुत्र का दृष्टांत  नये विधान और साहित्य की दृष्टिकोण से अपने में एक अति सुंदर कहानी है। इस दृष्टांत के माध्यम येसु मावन के लिए अपने ईश्वर पिता के महत्वपूर्ण प्रेम को प्रकट करते हैं। ये दोनों पुत्र पिता के प्रेम और दया को व्यक्त करने हेतु उपयोग किये गये हैं। जैसा कि हर दृष्टांत में होता है, हमें इस दृष्टांत में भी एक पात्र के साथ अपनी पहचान स्थापित करने का निमंत्रण दिया जाता है। क्या हम पहले पुत्र की भांति हैं या दूसरे की तरहॽ

हमारी चाह स्वतंत्रता में जीना

हम अपने को दोनों संतानों का तरह ही पाते हैं। आज नहीं तो कल हम अपने को मिली विरासत की मांग करेंगे। यह हमारे जीवन का अस्तित्व है। हम अपनी संस्कृति के अनुसार अपने में स्वतंत्र रहने की चाह रखते और उन चीजों को करना चाहते हैं जिन्हें हम पसंद करते हैं। हम इसके परिणाम को अपनी आंखों के सामने असफलता स्वरुप पाते हैं। ईश्वर पिता के घर से, कलीसिया से बाहर हम अपने को उद्देश्यहीन, क्षणभंगुर चीजों में भटकता हुआ पाते हैं। हम कितनी बार उन चीजों के पीछे पड़ जाते जो व्यर्थ की हैं, अर्थहीन जीवन और प्रेम से भटका हुआ।

दूसरे भाई को छवि

कार्डिनल रीनो फिसीकेल्ला ने कहा कि दूसरा भाई जो बहुत हद तक हम सभों की तरह है अपने भाई की  वापसी पर क्रोधित हो जाता है। उसके द्वारा कहे जाने वाले शब्दों में हम इस अनुभव को पाते हैं, “'देखिए, मैं इतने बरसों से आपकी सेवा करता आया हूँ। मैंने कभी आपकी आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया। फिर भी आपने कभी मुझे बकरी का बच्चा तक नहीं दिया, ताकि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द मनाऊँ।” अपनी निष्ठामय सेवा के बदले में हम कुछ चीजों की मांग करते हैं। पाप जो इस व्यवहार में छुपा हुआ है उसे हम पिता के उत्तर में स्पष्ट पाते हैं,“बेटा तुम सदा मेरे साथ रहे, जो मेरा है वह तुम्हारा है। वास्तव में, हम ईश्वर के खुलेपन को नहीं समझते हैं। हम पुरोहितों के लिए विशेषकर जब हम अपनी प्रेरिताई को लेकर आदी हो जाते, तो सारी चीजें हमारे लिए दिनचर्या-सी हो जाती हैं। इस भांति हम उनके संग अपने को जुड़ा नहीं पाते हैं। प्रेरिताई की पवित्र को चाहिए कि वह हमें ईश्वर के संग और निकटता से संयुक्त रखे, हमें उनके प्रेम को पहचानने में मदद करे। लेकिन ऐसा होने के बदले हम ईश्वर के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त करते हैं। यदि हम इस कृपा को पहचान पाते जो हमें रोज दिन ईश्वर के निकट रहने के रुप में मिली है, “जो मेरा है वह तुम्हारा है” तो पुरोहितों के रुप में हमारा जीवन पिता के प्रेम को प्रकट करता। हम ईश्वर के संग सारी चीजों को सुरक्षित रखते हुए उनके संग साझा करने हेतु बुलाये गये हैं। हमें दृष्टांत से उभरने वाली पितृत्व की भावनाओं को अपने अंदर समाहित करने की आवश्यकता है। पहला, एक पिता का जो उम्मीद से क्षितिज की ओर देखता है। हमें यह जानना चाहिए कि दूर की ओर कैसे देखना है ताकि दूर रहने वालों और निकट आने वालों की उपस्थिति को तुरंत महसूस किया जा सके। दूरदर्शिता हमें तुरंत उस अदूरदर्शिता को पीछे छोड़ने के लिए बाध्य करती है जो अक्सर हमारे विचारों और व्यवहारों में व्यक्त होती है ताकि हम अपने दिल और दिमाग को उन लोगों की ओर सही अर्थ में खोल सकें जो हमारे पास आते हैं।

पिता का व्यवहार

कार्डिनल फिलीकेल्ला ने कहा कि पिता अपने बेटे से मिलने को दौड़ पड़ते हैं। यह व्यवहार एक पुरोहित के लिए जरूरी है, वह अपने लोगों से मिलने हेतु बाहर निकलने। पुत्र ने गलती की लेकिन वह अनुभव करता है कि अपने घर से, अपने पिता और परिवार से दूर उसके जीवन का कोई अर्थ नहीं है। प्रेम में पिता का आलिंगन हमारे लिए इस बात को व्यक्त करता है कि प्रेम किस तरह पापों को क्षमा कर देता है। यह प्रेम है जो हमें भविष्य की ओर अपनी निगाहें उठकर देखने को मदद करता है जहाँ हम अपने जीवन को अच्छी तरह जीने की चाह रखते हैं। पिता का दूसरे पुत्र के लिए धैर्य को हम उनकी पहल में पाते हैं जहाँ वह उससे मिलने को जाते हैं। वे उसे गाली नहीं देते “उससे निवेदन” करते हैं, मांग से बढ़कर एक दूसरी चीज के लिए। “तुम्हारा यह भाई जो मर गया था जी गया है, खो गया था मिल गया है।” जेष्ठ पुत्र पिता के प्रेम में जीवन को परिवर्तन होने का अनुभव करता है, क्षमा नया जीवन प्रदान करता है, शामिल होना उदारता के फल को प्रकट करता है जो हमें दिया गया है।

पिता के पास लौटें

दोनो भाइयों को चाहिए कि वे एक पिता के पुत्र होने की बात को अनुभव करें और एक साथ पिता के घर में लौटें। केवल एक साथ मिलन में हम पिता के महान प्रेम को प्रकट होता पाते हैं। कोई भी पिता के घर से बाहर नहीं रह सकता है यह पिता के प्रेम का परित्याग और अर्थहीन जीवन होगा। पिता हमें पूरी तरह क्षमा करते हैं जो उन्हें संतान होने की अनूभूति प्रदान करता है।

करूणा के प्रेरितगण, कार्डिनल रीनो फिसीकेल्ला ने कहा कि आप मेल-मिलाप के एक विशेष साधन हैं। यह दृष्टांत हमें ईश्वर के प्रेम की थाह लेने को मदद करता है। यह प्रेम हमारे प्रेम करने से कितना अलग है। हमें इसे अपने हृदय की गहराई में स्वागत करने की जरुरत है जो हमें ईश्वर की ओर आने और उनसे मेल-मिलाप करने के रहस्य को समझने में मदद करता है।

उन्होंने कहा कि यूख्रारीस्त हमारे लिए क्षमा का एक स्रोत है। यह पिता की ओर से निर्धारित समारोह है। हम इस बात को न भूलें कि इसमें पूर्ण मेल-मिलाप होता है क्योंकि इसमें हम ख्रीस्त के बलिदान को पाते हैं। इस वेदी से प्रवाहित होने वाला प्रेम जो हमारे पापों को क्षमा प्रदान करता है, यह हमारे लिए मेल-मिलाप की प्रेरिताई हेतु एक जीवंत और प्रभावी स्मृति बने।

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31 मार्च 2025, 16:20