वाटिकन में कर सुधार पर अन्तरराष्ट्रीय वार्ता
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 14 फरवरी 2025 (वाटिकन न्यूज़, वाटिकन रेडियो): नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री जोसेफ स्टिग्लिट्ज़ और यूएनएड्स निदेशक विनी ब्यानयीमा ने सामाजिक विज्ञान सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी द्वारा आयोजित "कर सुधार" पर उच्च स्तरीय वार्ता के बारे में वाटिकन न्यूज से बात की।
गुरुवार को राष्ट्रीय सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के दर्जनों अधिकारी वाटिकन में ‘कर न्याय और एकजुटता’ पर एक उच्च स्तरीय वार्ता के लिए एकत्र हुए। सम्मेलन का आयोजन पोंटिफिकल एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज (PASS) अर्थात् सामाजिक विज्ञान सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी द्वारा किया गया था। इसमें उन तरीकोंपर ध्यान आकर्षित कराया गया जिनसे आज की अंतरराष्ट्रीय "कर प्रणाली" वैश्विक असमानता को बढ़ावा दे रही है।
कलीसिया ‘मार्गदर्शक’
परमधर्मपीठीय अकादमी की अध्यक्षा सि. हेलेन आलफोर्ड ने वाटिकन न्यूज़ से कहा, ”मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कर प्रणाली सौ साल से भी अधिक पुरानी है और आज की अति-वैश्वीकृत दुनिया से निपटने में “वास्तव में सक्षम नहीं है”। यह बहुराष्ट्रीय निगमों और अत्यधिक धनी व्यक्तियों को बहुत कम कर दरों का भुगतान करने की अनुमति देती है, जिससे सरकारें महत्वपूर्ण संसाधनों से वंचित हो जाती हैं।”
सि. अल्फ़ोर्ड ने इस समस्या से निपटने के लिये कलीसिया की भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि दर्जनों सरकारी और अंतरराष्ट्रीय अधिकारी उच्च स्तरीय वार्ता के लिए वाटिकन में एकत्र हुए हैं, क्योंकि वे वर्तमान विश्व में कलीसया और विशेष रूप से सन्त पापा फ्रांसिस की “महत्वपूर्ण मार्गदर्शक भूमिका” को पहचानते हैं।
सिस्टर अल्फोर्ड ने कहा कि विश्व नेता न केवल विश्व के 1.4 अरब काथलिक धर्मानुयायियों से बात करने की उनकी क्षमता को पहचानते हैं, बल्कि “उससे भी कहीं आगे” भी, कलीसिया के बाहर कई लोगों द्वारा सन्त पापा को नैतिक प्राधिकारी के रूप में मान्यता दी गई है।
कर सुधार और जयन्ती
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री शिक्षाविद जोसेफ स्टिग्लिट्ज़ भी उक्त वार्ता में शामिल थे। उन्होंने वाटिकन न्यूज़ बात करते हुए ”कर सुधार” के मुद्दे पर कलीसिया के “नैतिक नेतृत्व” की प्रशंसा की, और कहा कि यह संवाद “न्याय और समानता” को समर्पित 2025 जयंती वर्ष के संदर्भ में आया है, जो एक महत्वपूर्ण तथ्य है, इसलिये कि आज “हमें कर न्याय की नितान्त आवश्यकता है”।
स्टिग्लिट्ज़ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि केवल जब अरबपति और धनी निगम अपने उचित हिस्से का कर अदा करेंगे, तभी “अधिक समानता की ओर कदम उठाया जा सकेगा” और “हमारी कर प्रणाली में विश्वास की बहाली” हो सकेगी।
एड्स के विरुद्ध संघर्ष
इसी बीच, यूएनएड्स की निदेशक विनी ब्यानयीमा ने एच आई वी वाईरस एवं एड्स महामारी के विरुद्ध संघर्ष पर बातचीत की और कहा कि यूएनएड्स का लक्ष्य 2030 तक इस महामारी का उन्मूलन है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा लक्ष्य है जो इस कार्यक्रम को अमीर देशों से मिले “मजबूत समर्थन” के कारण हासिल किया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि हाल ही में उन देशों से वित्तीय सहायता में कमी आई है। खास तौर पर, उन्होंने कहा कि अमरीकी सरकार द्वारा लगभग सभी विदेशी सहायता को रोकने का फैसला इस प्रयास को पटरी से उतारने की धमकी देता है, क्योंकि यूएनएड्स का 73 प्रतिशत अनुदान अमरीका से आता है।
विश्वास की भूमिका
एड्स और एचआईवी के खिलाफ लड़ाई में आस्था आधारित संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी उन्होंने प्रकाश डाला। सबसे पहले, उन्होंने कहा, विश्वास सम्बन्धी संगठन "वैश्विक एकजुटता" का आग्रह कर सकते हैं, अमरीका को बीमारी के खिलाफ संघर्ष का समर्थन जारी रखने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, और यूरोपीय देशों को और अधिक योगदान देने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
ब्यानयीमा ने कहा कि धार्मिक संस्थाएँ एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोगों के इर्द-गिर्द कलंक के खिलाफ भी लड़ सकती हैं – जो कि कई लोगों के उपचार न पाने के मुख्य कारणों में से एक है।
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