पोप : धर्माध्यक्ष विनम्रता एवं प्रार्थना के माध्यम से ख्रीस्त की सेवा का उदाहरण दें
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 11 सितम्बर 2025 (रेई) : पिछले एक साल में नियुक्त धर्माध्यक्षों ने इस हफ्ते रोम में एक ट्रेनिंग कोर्स में हिस्सा लिया, जो गुरुवार को पोप लियो 14वें से मुलाकात के साथ समाप्त हुआ।
अपने भाषण में, पोप ने नए धर्माध्यक्षों से कहा कि वे याद रखें कि उन्हें धर्म के सेवक के रूप में चुना, बुलाया और भेजा गया है।
उन्होंने कहा, "मैं एक ऐसी बात दोहराना चाहता हूँ जो बहुत सरल है, लेकिन इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए, आपको जो उपहार मिला है, वह आपके लिए नहीं है, बल्कि सुसमाचार की सेवा के लिए है।"
इसके बाद पोप लियो ने धर्माध्यक्षों को दिए गए सेवा के कार्य पर ध्यान दिया और कहा कि यही उनकी पहचान है।
पोप ने कहा कि सेवा कोई बाहरी विशेषता या कार्य नहीं है बल्कि आंतरिक स्वतंत्रता, मन की दीनता एवं सेवा की तत्परता के लिए एक बुलावा है, जो प्रेम से उत्पन्न हुआ है, ताकि हम येसु के आदर्श को अपना सकें, जिन्होंने हमें धनी बनाने के लिए खुद को गरीब बना लिया।”
पोप ने आगे कहा कि ईश्वर हमारे बीच सामर्थ्य के साथ नहीं आये लेकिन पिता के प्रेम के साथ आये, जो हमें अपने साथ एक होने के लिए बुलाते हैं।
संत अगुस्टीन कहा करते थे कि धर्माध्यक्ष, जो दूसरों की अध्यक्षता करते हैं, उन्हें यह जानना चाहिए कि वे “बहुतों के सेवक” हैं। उन्होंने येसु के शिष्यों को मिली चेतावनी का हवाला दिया, जो अपने लिए महानता पाने की चाह करने लगे थे।
पोप ने कहा, “इसलिए मैं आपसे हमेशा कहता हूँ कि सावधान रहें और विनम्रता एवं प्रार्थना के साथ रहें, ताकि आप उन लोगों के सेवक बन सकें, जिन्हें प्रभु आपके पास भेजते हैं।”
पोप लियो 14वें ने अपने पूर्वाधिकारी, पोप फ्राँसिस के शब्दों को याद किया, जिन्होंने धर्माध्यक्षों से अपने विश्वासियों के करीब रहने का आग्रह किया था, क्योंकि उनके करीब रहने से ईश्वर अपने लोगों के प्रति अपना प्रेम दिखाते हैं।
पोप ने कहा कि सभी के सेवकों के रूप में, धर्माध्यक्षों को यह ध्यान देना चाहिए कि उनकी सेवा में ख्रीस्त और उनके सेवा का उदाहरण झलकना चाहिए। उन्हें अपनी सेवा को इस तरह से ढालना चाहिए कि उसमें मसीह की सेवा झलकती हो, जिसमें चरवाहे के रूप में उनकी देखभाल का तरीका, संदेश देना और नेतृत्व शामिल है।
उन्होंने कहा, "विश्वास और उसके प्रचार में संकट, साथ ही कलीसिया से संबंधित और उसके नियमों से जुड़ी मुश्किलें, हमें सुसमाचार के नए प्रचार के लिए जोश और साहस को फिर से खोजने के लिए प्रेरित करती हैं।"
उन्होंने आगे कहा, धर्माध्यक्षों को कलीसिया के द्वार पर आनेवाले सभी लोगों का स्वागत करना चाहिए, और साथ ही युद्ध, हिंसा, गरीबों की पीड़ा, नैतिक चुनौतियाँ और भाईचारे एवं एकजुटता पर आधारित दुनिया की इच्छा जैसी सांस्कृतिक और सामाजिक चुनौतियों को भी नहीं भूलना चाहिए।
पोप लियो ने कहा, “कलीसिया, आपको ऐसे देखभाल करनेवाले और ध्यान देनेवाले चरवाहों के रूप में भेजती है, जो लोगों की यात्रा, उनके सवालों, चिंताओं और उम्मीदों को समझ सकें; ऐसे चरवाहे जो पुरोहितों और विश्वास में हमारे भाई-बहनों के लिए मार्गदर्शक, पिता और भाई जैसा रिश्ता बनाए रखें।”
अंत में, पोप लियो 14वें ने प्रार्थना की कि नए धर्माध्यक्ष “कभी भी पवित्र आत्मा की शक्ति और अपनी नियुक्ति की खुशी से वंचित न हों, यह एक सुगन्ध की तरह, उन लोगों तक भी पहुंचे, जिनकी आप सेवा करने जा रहे हैं।”
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