मरियम अकादमी के अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन के सदस्यों से सन्त पापा
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार, 6 सितम्बर 2025 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में परमधर्मपीठीय अन्तरराष्ट्रीय मरियम अकादमी के 26 वें वार्षिक सम्मेलन में भाग लेनेवाले धर्मसमाजियों, नागर एवं सैन्य अधिकारियों तथा कूटनीतिज्ञों को शनिवार को सम्बोधित कर सन्त पापा लियो 14 वें ने माँ मरियम की विरासत को याद रखने का सन्देश दिया।
मरियम अकादमी का महत्व
सन्त पापा ने कहा कि कलीसिया की माता मरियम हमें ईश्वर की पवित्र प्रजा बनने की शिक्षा प्रदान करती हैं और यही परमधर्मपीठीय अन्तरराष्ट्रीय मरियम अकादमी का महत्व है, जो विचारों के आदान प्रदान, आध्यात्मिकता एवं संवाद का एक मंच है।
परमधर्मपीठीय अन्तरराष्ट्रीय मरियम अकादमी के 26 वें वार्षिक सम्मेलन के शीर्षक पर विचार प्रकट करते हुए सन्त पापा ने कहा कि सम्मेलन में आपने इस बात पर विचार किया कि क्या कलीसिया का मरियम-संबंधी आयाम अतीत का अवशेष है या भविष्य के लिए एक भविष्यवाणी, जो मन और हृदय को उस "ख्रीस्तीय समाज" के रीति-रिवाजों और पुरानी यादों से मुक्त कर सकता है जो अब अस्तित्व में नहीं है?
मरियम की बुलाहट
उन्होंने कहा कि आपने उन लक्ष्यों और मूल्यों पर चर्चा की जो मरियम-संबंधी भक्ति का परिचय विश्वासियों को प्रदान करते हैं, और यह कि क्या वे उस आशा और सांत्वना का समर्थन करते हैं जिसकी घोषणा करने के लिए कलीसिया को बुलाया गया है। आपने जयंती वर्ष और धर्माध्यक्षीय धर्मसभा में दो बाइबिल और धर्मशास्त्रीय विषयों को पहचाना है जो प्रभु की माता के आह्वान और मिशन को प्रभावी ढंग से व्यक्त करते हैं।
सन्त पापा ने कहा कि जयन्ती की माता रूप में मरियम एक “प्रसन्नचित्त” महिला हैं जो प्रभु के वचन सुनकर उसकी प्रतिक्रिया देने के लिये सदैव तत्पर रहती हैं। इसी प्रकार, एक "सिनॉडल" महिला के रूप में अर्थात् धर्मसभाई माँ के रूप में, मरियम मातृत्व भाव से पूरी तरह पवित्र आत्मा की क्रिया में संलग्न हैं, जो उन लोगों को भाई-बहन के रूप में बुलाती हैं, जो सन्त मत्ती रचित सुसमचार के अनुसार, पहले यह मानते थे कि परस्पर अविश्वास और यहाँ तक कि दुश्मनी के फलस्वरूप वे भाई बहन होते हुए भी आपस में विभाजित थे।
मरियम की दयालुता
सन्त पापा ने कहाः आशा और सांत्वना की सेवा की ओर उन्मुख मरियम प्रेरित दयालुता और उसका अभ्यास हमें भाग्यवाद, सतहीपन और कट्टरवाद से मुक्त करता है; यह सभी मानवीय वास्तविकताओं को गंभीरता से लेता और परित्यक्त लोगों से शुरू करता है; यह उन लोगों को आवाज और सम्मान देने में योगदान देता है जो प्राचीन और नवीन देवप्रतिमाओं की वेदियों पर बलि चढ़ा दिये जाते हैं।
एकता की ओर
सन्त पापा ने कहा कि चूँकि प्रभु की माता की बुलाहट को कलीसिया की बुलाहट के रूप में समझा जाता है, इसलिए मरियम धर्मशास्त्र का कार्य, सन्त लूकस रचित सुसमाचार के अनुसार, सर्वप्रथम ईशप्रजा के बीच, ईश्वर, ईश्वर के वचन और पड़ोसी प्रेम तथा विनम्रता और साहस के साथ "नई शुरुआत" करने की इच्छा विकसित करना है। इसमें त्रियेक ईश्वर से प्रवाहित होने वाली एकता की ओर बढ़ने की इच्छा को विकसित करना भी शामिल है, ताकि हम विश्व के समक्ष, विश्वास के सौन्दर्य, प्रेम की फलदायीता और निराश न करने वाली आशा की भविष्यवाणी का साक्ष्य दे सकें।
इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि कलीसिया को मरियमशास्त्र का आवश्यकता है सन्त पापा ने कहा कि हाल के वर्षों में, मरियम अकादमी ने संस्कृतियों के बीच मिलन और संवाद के माध्यम के रूप में ईसा मसीह की माता की छवि और संदेश को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न पहलें शुरू की हैं। वास्तव में, पवित्र आत्मा के साथ एक आदर्श सहयोगी के रूप में, मरियम द्वार खोलने, पुलों का निर्माण करने, दीवारें तोड़ने और मानवता को शांति और विविधता के सामंजस्य में रहने में मदद करने से कभी नहीं चूकतीं हैं।
सन्त पापा ने कहा कि यह कदापि न भुलाया जाये कि मरियम सम्बन्धी “चेहरा” और मरियम सम्बन्धी “व्यवहार“ ही कलीसिया की पहचान है, इसीलिये, उन्होंने कहा कि परमधर्मपीठीय अकादमी द्वारा दिये जानेवाले पुरस्कार का नाम “मरियम, संस्कृतियों के बीच शांति का मार्ग”, उचित और सुसंगत है।
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