MAP

बेरूत बंदरगाह में विस्फोट की पांचवीं वर्षगांठ बेरूत बंदरगाह में विस्फोट की पांचवीं वर्षगांठ 

बंदरगाह विस्फोट के पांच साल बाद, पोप ने बेरूत के लोगों के साथ निकटता व्यक्त की

4 अगस्त को, बेरूत में, ठीक पाँच साल पहले 4 अगस्त 2020 को हुए बंदरगाह विस्फोट त्रासदी स्थल से सटे इलाके में, एक प्रार्थना सभा आयोजित की गई। प्रार्थना सभा के दौरान पढ़े गए पोप लियो 14वें के एक संदेश में लोगों के प्रति उनकी निकटता व्यक्त की गई थी। प्रेरितिक राजदूत, महाधर्माध्यक्ष बोर्जा ने कहा, "पीड़ित परिवारों को न्याय और जो कुछ हुआ उसके बारे में सच्चाई चाहिए। ये ऐसी मौतें हैं जिनका अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं है, और यह पूरे देश पर भारी बोझ है।"

वाटिकन न्यूज

बेरूत, मंगलवार, 5 अगस्त 2025 (रेई) : 4 अगस्त 2020 को बेरूत बंदरगाह पर हुए विस्फोट की पाँचवीं बरसी पर पीड़ितों के नाम वाले 75 वृक्षों के रोपण, साक्ष्यों, स्मृतियों, मौन जुलूस और प्रार्थनाओं के साथ सभा आयोजित की गई। पाँच साल बाद, लेबनान के लोगों ने 245 मृतकों और 6,000 घायलों, एक खुले घाव, देवदारों की भूमि के लिए एक और परीक्षा, युद्ध, आर्थिक एवं राजनीतिक संकटों तथा सामाजिक अस्थिरता को याद करते हुए, इस गंभीर स्मरण दिवस में आँसू और प्रार्थनाएँ शामिल थीं।

संत पापाओं की प्रिय भूमि, जिसे जॉन पॉल द्वितीय से एक "संदेश" कहा था और पोप फ्राँसिस ने ठीक एक साल पहले, अगस्त में, बंदरगाह त्रासदी के पीड़ितों के रिश्तेदारों के एक दल का स्वागत किया था। अब पोप लियो, राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन द्वारा हस्ताक्षरित एक संदेश के माध्यम से, आश्वासन देते हैं कि ख्रीस्त के आँसू "नुकसान और पीड़ा के सामने हमारे साथ जुड़ जाते हैं।" पोप ने लेबनानी लोगों के प्रति अपना तथा पूरी कलीसिया का स्नेह व्यक्त करते हुए कहा, "मृत्यु अंतिम शब्द नहीं है और न ही कभी होगी।" पोप लियो "एक बार फिर उन सभी लोगों के प्रति अपनी करुणा व्यक्त करना चाहते हैं जिनके दिल इस आपदा के कारण आहत हैं या जिन्होंने अपना सब कुछ खो दिया है। संदेश में पोप ने लिखा, प्रिय और पीड़ित लेबनान मेरी प्रार्थनाओं के केंद्र में है। संदेश को पिछली रात जागरण प्रार्थना में प्रेरितिक राजदूत पाओलो बोर्जा ने पढ़ा, जिन्होंने वाटिकन मीडिया के साथ देश के लिए अपने दृष्टिकोण और आशाएँ साझा कीं।

प्रश्न: महामहिम, बेरूत बंदरगाह विस्फोट की पाँचवीं बरसी पर कल हुए स्मरणोत्सव के बारे में बताइए।

यह बहुत ही मार्मिक था। यह करंटिना में, नोट्रे-डेम डे ला डेलिव्रांस गिरजाघर के सामने वाले चौक पर हुआ। यह बंदरगाह से सटा हुआ एक इलाका है और सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाकों में से एक है, जहाँ विस्फोट के तुरंत बाद सबसे ज़्यादा बचाव कार्य हुए थे। वहीँ एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया, जिसमें पीड़ितों और घायलों के परिवार एकत्रित हुए। कुछ गवाहियाँ दी गईं, जिसके बाद बंदरगाह की ओर जानेवाली सड़क के किनारे एक बगीचे तक मौन मार्च निकाला गया, जहाँ कुछ दिनों पहले पीड़ितों के नाम वाले 75 पेड़ लगाए गए हैं। भविष्य में और भी पेड़ लगाए जाएँगे। इसके अतिरिक्त, संस्कृति मंत्री ने घोषणा की कि 4 अगस्त को विस्फोटित साइलो को अब देश के ऐतिहासिक स्मारक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। यह वास्तव में एक भावुक क्षण था, क्योंकि उस दुखद विस्फोट के ज़ख्म आज भी गहरे हैं। बेरूत के अस्पतालों में छह हजार पांच सौ लोगों का इलाज किया गया, अराजकता, सड़कों पर मृत लोग - यह सब अभी भी लेबनानी लोगों की स्मृति में ताजा है।

प्रश्न: पोप लियो भी इस वर्षगाँठ में वहाँ “उपस्थित” होना चाहते थे...

जी हाँ, राज्य सचिव द्वारा हस्ताक्षरित एक भावपूर्ण संदेश के माध्यम से संत पापा उपस्थित थे। यह एक प्रोत्साहन भरा संदेश है जिसमें उनकी और परमधर्मपीठ की निकटता व्यक्त की गई है, जिन्होंने इन वर्षों में पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति विशेष चिंता और निकटता दिखाई है। गौरतलब है कि पिछले साल पोप फ्राँसिस ने पीड़ितों के परिजनों के एक प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया था।

वास्तव में, 26 अगस्त 2024 को पोप फ्राँसिस ने पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात की थी और "न्याय और सत्य" के लिए उनकी पुकार को दोहराया था।

उस दिन न केवल पीड़ितों के परिजन मौजूद थे बल्कि घायल और वे लोग भी जिन्होंने गंभीर घावों की पीड़ा सही। और हाँ, पोप ने न्याय और सच्चाई के लिए उनकी अपील दोहराई, एक ऐसी अपील जिसे परिवारवाले पिछले पाँच सालों से कर रहे हैं। पोप फ्राँसिस ने माना कि यह मुद्दा जटिल और पेचीदा है। और यह सच है—हम सभी जानते हैं कि यह सच है। इसमें परस्पर विरोधी हित जुड़े हुए हैं, लेकिन सच्चाई और न्याय को सबसे ऊपर रखना होगा। हालाँकि, आज थोड़ी और उम्मीद जगी है। जाँच के चरण में कुछ कदम उठाए जा रहे हैं। पीड़ितों के परिवारों में भविष्य के लिए कुछ उम्मीद जगने लगी है, हालाँकि अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है।

प्रश्न: और खास तौर पर, जाँच अभी कहाँ खड़ी है?

हम अभी भी प्रारंभिक चरण में हैं, गवाहों और तथ्यों की जानकारी रखनेवाले लोगों की सुनवाई कर रहे हैं। लेकिन इसमें समय लगेगा, और हम आशा करते हैं कि यह जल्द ही पूरा हो जाएगा क्योंकि पीड़ितों और उनके परिवारों को सच्चाई जानने और न्याय पाने की जरूरत है। इन मौतों का अभी भी कोई स्पष्ट कारण या स्पष्टीकरण नहीं है, और यह पूरे देश पर भारी पड़ रहा है।

प्रश्न: एक ऐसा देश जिसने हाल के महीनों में युद्ध का भी सामना किया और खुद को मध्य पूर्वी बारूद के ढेर के बीच पाया। लेबनानी लोग इन दिनों कैसे जी रहे हैं?

यह देश के लिए एक कठिन परीक्षा है। युद्धविराम के बावजूद, निस्संदेह अभी भी तनाव का माहौल है, और कई आंतरिक और बाहरी राजनीतिक समस्याएँ गंभीर हैं और उनका समाधान ज़रूरी है। बेशक, हमेशा उम्मीद रहती है कि शांति कायम होगी—देश के भीतर और उसकी सीमाओं पर शांति स्थापित हो सकेगी। रास्ता आसान नहीं है; यह एक जटिल यात्रा है। लेकिन हमें उम्मीद है कि राजनीतिक गांठें सुलझ सकेंगी और एक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समाधान निकल सकेगा।

प्रश्न: रोम में युवाओं की जयंती के दौरान, विया देला कॉनचिलात्सियोने, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण और तोर वेरगाता में कई लेबनानी झंडे देखे गए। ये नई पीढ़ियाँ लेबनान के लिए क्या प्रतिनिधित्व करती हैं?

वे दो चीजों का प्रतिनिधित्व करते हैं। पहला, लेबनान में जीवित विश्वास जो कई रूपों में अभिव्यक्त होती है। दूसरा, पोप और विश्वव्यापी कलीसिया के प्रति गहरा लगाव। यह एक ऐसे युवा की निशानी है जो आजाद होना चाहता है, पुनर्जन्म लेना चाहता है, एक अलग देश बनाना चाहता है—बावजूद इसके। लेबनान एक गंभीर समस्या का सामना कर रहा है, जहाँ बहुत से युवा बेहतर जीवन की तलाश में यूरोप, अमेरिका, कनाडा या ऑस्ट्रेलिया जाने को मजबूर हैं। लेकिन कई युवा ऐसे भी हैं जो यहीं रहते हैं और काम करना चाहते हैं। हर कोई राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों को पाने की इच्छा रखता है, जो दुर्भाग्य से अभी भी मौजूद नहीं हैं—ऐसी परिस्थितियाँ जो उन लोगों को वापस लौटने और इस खूबसूरत देश में शांति से रहने का मौका देंगी जिन्हें देश छोड़ना पड़ा है।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

05 अगस्त 2025, 15:56