MAP

फिलीस्तीनी बच्चे और  वयस्क इस्राएल के हमले के बाद अंतिम संस्कार में भाग लेते हुए फिलीस्तीनी बच्चे और वयस्क इस्राएल के हमले के बाद अंतिम संस्कार में भाग लेते हुए 

पोप लियो : प्रतिशोध के तर्क को अस्वीकार करें; हृदयों को घृणा से मुक्त करें

पोप लियो 14वें ने शुक्रवार को शांति के लिए प्रार्थना और उपवास का दिन घोषित किया था। उनके आह्वान का प्रत्युत्तर देते हुए कलीसियाई समुदाय व्यापक रूप से पोप की इस अपील में शामिल हुए। मध्य पूर्व और यूरोप के दुखद युद्धों के अलावा, 56 से ज़्यादा "भूले-बिसरे" संघर्ष हैं जो लोगों के बीच दुःख और पीड़ा उत्पन्न कर रहे हैं।

वाटिकन न्यूज

दुनिया "लगातार युद्धों से घायल" है, स्वतंत्र पोर्टल एसीएलईडी (सशस्त्र संघर्ष स्थान और घटना डेटा परियोजना) के अनुसार, कम से कम 56 युद्ध ऐसे हैं, जिनमें गज़ा, यूक्रेन और सूडान जैसे तीखे संघर्षों से लेकर, कम चर्चित युद्ध हैं, जिनमें अक्सर गैर-सरकारी तत्व शामिल होते हैं, और "ठंडे" युद्ध भी शामिल हैं, जिनका समाधान नहीं हो पाता, लेकिन जिनके फिर से भड़कने का खतरा बना रहता है, जैसा कि हाल ही में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद या कश्मीर को लेकर पाकिस्तान और भारत के बीच विवाद के साथ हुआ।

इसी पृष्ठभूमि में, जैसा कि उनकी अपीलों में बार-बार उल्लेख किया गया है, पिछले बुधवार को, अपने आमदर्शन समारोह के अंत में, पोप लियो 14वें ने शुक्रवार, 22 अगस्त को, जब कलीसिया धन्य कुँवारी मरियम की रानी बनने का पर्व मनाती है, शांति के लिए प्रार्थना और उपवास के लिए समर्पित करने का निर्णय लिया।

शुक्रवार को अपने @Pontifex अकाउंट X पर प्रकाशित एक पोस्ट में, पोप ने आशा व्यक्त की कि "हृदय घृणा से मुक्त हो सकें", "हम विभाजन और प्रतिशोध के तर्क को त्याग सकें, और सर्वहित से प्रेरित एक व्यापक दृष्टिकोण प्रबल हो सके।"

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, लगभग सभी धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों और अलग-अलग धर्मप्रांतों ने पोप लियो के निमंत्रण का स्वागत किया है।

पोप की अपील का प्रत्युत्तर

इतालवी धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल मातेओ ज़ुप्पी ने "हथियार त्याग और निःशस्त्र शांति" के लिए गहन प्रार्थना का आह्वान किया। इटली में कई अलग-अलग धर्मप्रांत और धार्मिक आंदोलन भी पोप के आह्वान पर एकजुट हुए। रोम धर्मप्रांत ने कार्डिनल विकार बाल्डो रीना ने "प्रत्येक समुदाय, पल्ली, परिवार और व्यक्तिगत विश्वासी" से "हमारी एकता के प्रतीक और शांति के उपहार" के रूप में उपवास करने का आग्रह किया था।

भारत के काथलिकों ने भी पोप के इस आह्वान का खुलकर प्रत्युत्तर दिया। भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीआई) के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष एंड्रयूज थजाथ ने भारत में कलीसिया के सभी सदस्यों - धर्माध्यक्ष, पुरोहितों, धर्मसंघियों और लोकधर्मियों तथा सद्भावना रखनेवाले सभी लोगों को, 22 अगस्त को विश्व शांति के लिए प्रार्थना और उपवास हेतु समर्पित करने की हार्दिक अपील की।

शांति के लिए प्रार्थना एवं उपवास हेतु पोप लियो 14वें की अपील के बाद महाधर्माध्यक्ष थजाथ ने भारत की कलीसिया से इस विश्वव्यापी आध्यात्मिक पहल में पूरे मन से शामिल होने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "हमारा विश्व इस समय युद्ध, हिंसा और घृणा के विनाशकारी प्रभावों से जूझ रहा है। गरीबों और निर्दोषों की चीखें लगातार उठ रही हैं," उन्होंने विश्वासियों से ईश्वर से शांति और विश्व नेताओं के ज्ञानोदय की प्रार्थना करने की अपील की।

उन्होंने अनुरोध किया कि प्रत्येक पल्ली और धार्मिक समुदाय राष्ट्रों के बीच मेल-मिलाप के लिए प्रार्थना करने के विशिष्ट उद्देश्य से कम से कम एक घंटे की यूखरिस्तीय आराधना का आयोजन करें। उन्होंने परिवारों को प्रार्थना में एक साथ आने के लिए प्रोत्साहित किया, खासकर, पवित्र रोजरी माला विन्ती करने, और शांति की रानी मरियम की शक्तिशाली मध्यस्थता पर अपनी आशा रखने का प्रोत्साहन दिया।

महाधर्माध्यक्ष थजाथ ने ज़ोर देकर कहा कि इस दिन को पूरे भारत में प्रार्थना और उपवास के एक पवित्र अवसर के रूप में मनाया जाना चाहिए।

स्पेनिश धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने भी एक बयान में घोषणा की कि उसने पोप के निमंत्रण को स्वीकार किया है।

लैटिन अमेरिकी और कैरिबियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल जैमे स्पेंगलर ने कहा, "हम अनुरोध करते हैं कि इस निमंत्रण को हमारे पल्ली समुदायों, धर्मसंघों, कलीसियाई आंदोलनों और प्रेरितिक समूहों के बीच व्यापक रूप से साझा किया जाए, ताकि शांति की पुकार दुनिया भर में कलीसिया के हृदय में एकजुट होकर उठ सके।"

विशेष आकर्षणों में दक्षिणी अरब के प्रेरितिक विकारिएट की अपील का समर्थन शामिल है, जिसके क्षेत्र में यमन भी शामिल है, जो दस वर्षों से अधिक समय से एक "भूले-बिसरे" गृहयुद्ध से तबाह है। प्रेरितिक विकार पाओलो मार्टिनेली ने घोषणा की, "उपवास और प्रार्थना के माध्यम से, हम शांति की रानी, ​​कुँवारी मरियम से प्रार्थना करते हैं कि वे अपने पुत्र से शांति के लिए, विशेषकर निकटवर्ती पवित्र भूमि में, तथा सभी संघर्षों से पीड़ित सभी लोगों की सांत्वना के लिए प्रार्थना करें।"

पवित्र भूमि के संरक्षक, फादर फ्रांसेस्को इलपो ने फ्राँसिस्कन फ्रायर्स को संबोधित एक पत्र में इस बात पर ज़ोर दिया था कि "शांति एक लंबे समय से प्रतीक्षित और अत्यंत वांछित उपहार है, विशेष रूप से पवित्र भूमि में, जो संघर्ष और आशा से परिपूर्ण है"।

उन्होंने आगे कहा, "आइए हम प्रार्थना करें कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय केवल मूकदर्शक बनकर न रहे, बल्कि शांति, अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रति सम्मान और नागरिकों, मानवीय कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए हस्तक्षेप करे।"

एशिया में पाकिस्तानी पंजाब के लाहौर के बाहरी इलाके भाई फेरू में देवदूतों की रानी मरियम पल्ली के कैपुचिन फ्रायर और पल्ली पुरोहित फादर कैसर फ़िरोज़ ने धर्मबहनों, वयस्कों और बच्चों के साथ एक प्रार्थना सभा और शांति के लिए उपवास का आयोजन किया। कंबोडिया में, नोम पेन्ह के प्रेरितिक विकर, ओलिवियर श्मिटहेस्लर की उपस्थिति में प्रार्थनाएँ आयोजित की गईं। गृहयुद्ध से तबाह म्यांमार में, परिवारों और विस्थापित श्रद्धालुओं के छोटे समूहों ने शांति के लिए हार्दिक प्रार्थनाएँ कीं। पूरे दिन, श्रद्धालुओं के छोटे छोटे दल यांगून के संत मरिया महागिरजाघर गए।

दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता

हालाँकि पोप लियो 14वें के निमंत्रण को कलीसियाओं ने व्यापक रूप से स्वीकार किया, फिर भी राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर "गति में बदलाव" की तत्काल आवश्यकता है। दुनिया एक "टुकड़ों में बंटे तीसरे विश्व युद्ध" से जूझ रही है, जिसने पिछले साल हथियारों पर खर्च को 2.718 ट्रिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचा दिया था।

फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के साथ, साढ़े तीन वर्षों से, यूरोप एक ऐसे खूनी युद्ध के दुःस्वप्न में डूबा हुआ है जो बाल्कन में संघर्षों के बाद से महाद्वीप के मध्य में कभी नहीं देखा गया था।

दूसरी ओर, यूरोपीय महाद्वीप के सीमांत क्षेत्रों में, आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच एक ऐतिहासिक शांति समझौते की दिशा में प्रगति हुई है जो 30 से अधिक वर्षों के रक्तपात और गलतफहमी को समाप्त कर सकता है।

7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा क्रूर हमले के बाद, गज़ा में इस सदी की एक सबसे क्रूर मानवीय त्रासदी हमारी आँखों के सामने घटित हो रही है। इस बीच, पश्चिमी तट पर, इज़राइली सरकार की नवीनतम योजनाएँ हमें उन मुद्दों के ख़तरे की याद दिलाती हैं जो कई वर्षों से अनसुलझे रहे हैं।

लेबनान पर भी यही बात लागू होती है। पिछले साल के युद्ध के बाद, सबसे निराशाजनक परिदृश्य दिखाई दे रहे हैं, जबकि पड़ोसी सीरिया एक महत्वपूर्ण और नाजुक दौर से गुजर रहा है, बशर अल-असद के पतन के बाद वह खास बदलावों का सामना कर रहा है।

सभी महाद्वीपों पर अनसुलझे संघर्ष

अफ्रीका सबसे ज्यादा संघर्षों वाले महाद्वीपों में से एक बना हुआ है। सूडान में, सेना और रैपिड सपोर्ट फ़ोर्स (RSF) के बीच अप्रैल 2023 में शुरू हुए सत्ता संघर्ष ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा दुनिया के सबसे गंभीर विस्थापन संकट को जन्म दिया है, जिसमें 1.4 करोड़ लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं।

लेकिन इस महाद्वीप पर युद्ध के कई अन्य केंद्र भी हैं: कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के पूर्व से, जहाँ सैकड़ों सशस्त्र समूह वर्षों से देश के संसाधनों को लूट रहे हैं, रक्तपात और अस्थिरता फैला रहे हैं, उत्तरी मोज़ाम्बिक और साहेल के कई देशों जहाँ जिहादी हिंसा व्याप्त है, इथियोपिया, सोमालिया और लीबिया, जो एक और "भूले-बिसरे" युद्ध से विभाजित हैं।

एशियाई महाद्वीप पर भी संघर्षों की कोई कमी नहीं है। म्यांमार में, चार वर्षों से भी अधिक समय से, एक क्रूर संघर्ष ने सत्तारूढ़ सैन्य जुंटा को विद्रोही समूहों के खिलाफ खड़ा कर दिया है जो अब देश के बड़े हिस्से पर नियंत्रण कर रहे हैं। कोरियाई प्रायद्वीप परमाणु प्रतिरोध के तर्क पर आधारित युद्ध की हवाओं से विभाजित और क्षत-विक्षत बना हुआ है, जबकि पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान के बीच की सीमा लंबे समय से एक ऐसे संघर्ष का केंद्र रही है जिसको सुर्खियों से दूर घसीटा जा रहा है।

ओशिनिया इससे अछूता नहीं है। पापुआ न्यू गिनी में समय-समय पर जनजातीय हिंसा भड़कती रहती है।

लैटिन अमेरिका, जहाँ शायद खुले युद्ध कम होते हैं, फिर भी ऐसे कई देश हैं जहाँ अपराध और हिंसा अभी भी व्याप्त है, जिनमें अमेरिका का सबसे गरीब देश हैती भी शामिल है, जहाँ सरकार और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की शक्तिहीनता के कारण लगभग 80 प्रतिशत भूभाग आपराधिक गिरोहों के नियंत्रण में है।

शांति प्राप्ति के लिए क्षमा का मार्ग

इतने सारे संघर्ष, इतने सारे अनसुलझे मुद्दे, ये सभी नागरिक आबादी, खासकर सबसे कमज़ोर लोगों, के बीच होने वाली पीड़ा से जुड़े हैं। जैसा कि पोप लियो 14वें ने बताया है, दुनिया को तत्काल दृष्टिकोण बदलने की जरूरत है क्योंकि "क्षमा के बिना शांति कभी नहीं होगी।"

"सच्ची क्षमा पश्चाताप की प्रतीक्षा नहीं करती, बल्कि पहले दी जाती है," पोप ने पिछले बुधवार को पॉल षष्ठम हॉल में आमदर्शन समारोह के दौरान समझाया, और कहा कि "क्षमा करने का अर्थ बुराई को नकारना नहीं है, बल्कि उसे और अधिक बुराई पैदा करने से रोकना है।"

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

23 अगस्त 2025, 15:25