संत पापा लियोः हम येसु के पास्का की तैयारी करें
वाटिकन सिटी
संत पापा लियो ने कहा कि हम अपने जयंती वर्ष की तीर्थयात्रा में येसु के चेहरे को खोजना जारी रखें जिनमें हमारी आशा निरंतर बनी रहती है। आज हम येसु के दुःखभोग, मृत्यु और पुनरूत्थान पर के रहस्य पर चिंतन शुरू करते हुए एक उस शब्द- “तैयारी” पर चिंतन करेंगे जो साधारण दिखलाई पड़ती है लेकिन ख्रीस्तीय जीवन में एक मूल्यवान रहस्य को वहन करती है।
तैयारी- निर्णय और चुनाव निहित
संत मारकुस का सुसमाचार हमारे लिए यह घोषित करता है कि “बेखमीर रोटी के पहले दिन, जब पास्का मेमना का वध किया जाता था, शिष्यों ने येसु से कहा, “आप क्या चाहते हैं कि हम कहाँ जाकर आप के लिए पास्का भोज की तैयारी करे?” यह एक व्यावहारिक सवाल है लेकिन इसे हम उत्साह भरा भी पाते हैं। शिष्यों ने इस बात का अनुभव किया कि कुछ महत्वपूर्ण होने वाला है, लेकिन वे इसके बारे में विस्तृत रूप से नहीं जानते हैं। येसु का उत्तर उन्हें एक पहेली की भांति लगता है। “शहर में जाओ, वहाँ तुम्हें पानी का घड़ा लिये एक व्यक्ति मिलेगा।” यह व्याख्या प्रतीकात्मक लगती है, एक व्यक्ति द्वारा पानी का घड़ा ढ़ोया जाना, उस समय के अनुसार यह एकदम नारीत्व की निशानी थी, ऊपर एक कोठरी पहले से तैयार, एक अज्ञात आतिथ्य। हमारे लिए ऐसा जान पड़ता है मानों सारी चीजें पहले से तैयार की गई हों। वास्तव में, हम इसे ठीक वैसा ही पाते हैं। इस परिदृश्य में, सुसमाचार हमें बतलाता है कि प्रेम किसी अनयास कारणवश नहीं होता है, बल्कि हम इसे सचेतना में एक चुनाव स्वरुप पाते हैं। यह कोई एक साधारण प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि एक निर्णय है जिसके लिए तैयारी की आवश्यकता है। येसु अपने दुःखभोग का सामना कोई भाग्य के अनुरूप नहीं करते हैं लेकिन यह निष्ठा में उनका स्वतंत्र चुनाव होता है जहाँ वे स्वेच्छा से एक मार्ग का आलिंगन करते और उसमें चलते हैं। यह हमें सांत्वना प्रदान करती है, इस बात का ज्ञान कि उनके जीवन का उपहार हमारे लिए एक गहरी चाहत में उत्पन्न होती है न कि अचानक उत्तेजना में।
तैयारी में पहचाने, भरे, सुरक्षित रखें
संत पापा ने कहा कि “वह ऊपर की कोठरी तैयार” थी जो हमें यह बतलाती है कि ईश्वर सदैव हमसे आगे रहते हैं। हमारे सोचने और अनुभव करने से पहले ही, ईश्वर हमारे लिए एक स्थान तैयार करने की पहल करते हैं जहाँ हम अपने को पहचाने और अपने को उनके मित्र होने का अनुभव करें। यह स्थान, मूलरूप से हमारा हृदय है- एक “कमरा” जो अपने में खाली प्रतीत हो लेकिन जिसे पहचानने, उसे भरने और सुरक्षित रखने की जरूरत है। पास्का, जिसकी तैयारी शिष्यों कर रहे होते हैं, वह सच्चे अर्थ में येसु के हृदय में पहले के विद्यमान है। उन्होंने पहले से सारी चीजों के बारे में विचार कर लिया, हर चीज को सजाकर रखा और हर बात पर विचार किया है। यद्यपि वे अपने मित्रों को उनके हिस्से के कार्य करने को कहते हैं। यह हमारे आध्यात्मिक जीवन के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों की शिक्षा देती हैः कृपा हमारी स्वतंत्रता का दमन नहीं करती बल्कि उसे जागृत करती है। ईश्वर का उपहार हमारे उत्तरदायित्वों को खत्म नहीं करता वरन उन्हें फलहित करता है।
तैयारी- व्यक्तिगत जीवन में प्रवेश करना
संत पापा लियो ने कहा कि आज भी, उस समय के समान, एक भोज की तैयारी करनी है। यह हमारे लिए सिर्फ एक धर्मविधि की बात नहीं है लेकिन हमारा अपनी निष्ठा में एक स्थान में प्रवेश करना जो हमें अपने से परे ले चलती है। यूखरिस्त को हम केवल वेदी में अर्पित नहीं करते हैं बल्कि हम इसे अपने रोज दिन के जीवन में, जहाँ हम अपने जीवन की सारी बातों को अनुभव करते हैं, जो हमें दिया जाता और जिसके लिए हम ईश्वर के प्रति कृतज्ञता के भाव प्रकट करते हैं। कृतज्ञता के इस भोज की तैयारी करना, अधिक करना नहीं बल्कि स्थान तैयार करना है। इसका अर्थ उन बातों को अपने से दूर करना जो हमें भारी लगती हैं, अपनी मांगों को कम करना और अवास्तविक आशाओं का परित्याग करना है। वास्तव में, बहुत बार अक्सर हम तैयारियों को भ्रम समझ लेते हैं। भ्रम हमें विचलित करते हैं, तैयारी हमें निर्देशित करते हैं। भ्रम में हम एक परिणाम की खोज करते हैं, तो तैयारी एक मिलन को संभव बनाती है। सच्चा प्रेम, सुसमाचार हमें याद दिलाता है, हमारे प्रत्युत्तर देने से पहले ही हमें दिया गया है। यह हमारे लिए एक अग्रिम उपहार है। यह इस बात पर आधारित नहीं है कि हम अपने में क्या पाते हैं, लेकिन इस बात पर कि हम क्या देना की चाह रखते हैं। यह वह बात है जिसे येसु अपने शिष्यों के साथ जीते हैं। जबकि वे इस बात को नहीं समझते थे, एक उन्हें धोखा वाला होता है और दूसरा उन्हें अस्वीकार करने वाला, वहीं वे सभों के लिए एक भोज की तैयारी करते हैं।
मेरे लिए तैयारी का अर्थ क्या है
प्रिय भाइयो एवं बहनों, हमें भी ईश्वर के “पास्का की तैयारी” हेतु निमंत्रण दिया जाता है। केवल धर्मविधि हेतु नहीं बल्कि अपने जीवन के लिए भी। हमारे चाह की हर निशानी, हर प्रेम भरा कार्य, पहले से दिया गया हर क्षमादान, धैर्य में हर प्रयास करने की इच्छा, अपने में एक स्थल तैयार करने का एक मार्ग बनता है जहाँ ईश्वर निवास कर सकते हैं। हम अपने को पूछ सकते हैं, अपने जीवन में हमें किस स्थान को सुव्यवस्थित करने की जरुरत है जिससे वहाँ येसु का स्वागत किया जा सके। मेरे लिए “तैयारी” करने का अर्थ आज क्या है? शायद एक मांग का परित्याग करना, दूसरों को बदले की प्रतीक्षा न करना, अपनी ओर से पहल करना। शायद और अधिक सुनना, कम व्यस्त होना या उन बातों में विश्वास करना जो पहले से तैयार की गई हैं।
यदि हम ईश्वर और अपने बीच में मिलन हेतु निमंत्रण को स्वीकार करते हैं, तो हम अपने को बहुत सारी निशानियों, मिलनों और शब्दों में घिरा पायेंगे जो हमें उस स्थान की ओर बढ़ने हेतु मार्ग दर्शन करेगा जो पहले से तैयार और विस्तृत है, जहाँ हम एक अनंत प्रेम के रहस्य को घोषित करते जो हममें सदा बना रहता और हमें आगे ले चलता है। प्रभु हमें अपनी उपस्थिति को देखने हेतु विनम्रता में तैयारी करने की शक्ति प्रदान करें। और, अपने दैनिक जीवन की तैयारी में, उनके प्रति शांतिमय विश्वास हममें विकसित हो, जिससे हम हर चीज़ का सामना खुले हृदय से कर सकें। क्योंकि जहाँ प्रेम की तैयारी की गई है, वहाँ जीवन सही में पुष्पित हो सकता है।
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