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संत पापा लियो बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा लियो बुधवारीय आमदर्शन समारोह में 

संत पापाः प्रेम टाल-मटोल नहीं अपितु एक चुनाव है

संत पापा लियो ने अपने बुधवारीय आमदर्शन में येसु के प्रेम की गहराई पर प्रकाश डाला जो मानवता के लिए अपने को पूर्णरूपेण देने में व्यक्त होता है।

वाटिकन सिटी

संत पापा लियो ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में सहभागी हो रहे सभी तीर्थयात्रियों और विश्वासियों से कहा प्रिय भाइयो एवं बहनों।

आज हम एक उस दृश्य पर चिंतन करेंगे जहाँ हम येसु के दुःखभोग की शुरूआत को देखते हैं-गेतसेमानी बारी में येसु की गिरफ्तारी। सुसमाचार लेखक योहन, अपनी असाधरण गहराई में, येसु के भयभीत रुप को व्यक्त नहीं करते हैं जो भागते या छिपते हों। इसके विपरीत, वे उन्हें एक स्वतंत्र व्यक्ति के रुप में प्रस्तुत करते हैं, जो सामने आते और बातें करते हैं, उस क्षण का सामना करते हैं जहाँ प्रेम अपनी सर्वश्रेष्ठ चमक में प्रकट होता है।

येसु का असीमित प्रेम

येसु अपने ऊपर होने वाली सभी बातों को जान कर आगे बढ़े और उनसे कहा, “किसे ढूंढते हो?” येसु जानते हैं। यद्यपि वे पीछे नहीं हटते हैं। वे अपने को समर्पित करते हैं। यह कमजोरी में नहीं बल्कि प्रेम में होता है। एक प्रेम जो अपने में पूर्ण है, जो अपने में प्रौढ़ है, जो अपने में परित्याग किये जाने से नहीं डरता है। येसु को पकड़ा नहीं जाता है वे स्वयं को ले जाने देते हैं। वे एक गिरफ्तारी के शिकार नहीं है बल्कि देने वाले एक उपहार हैं। इस निशानी में, वे मानवता के लिए मुक्ति की एक आशा को अपने में धारण करते हैं- यह जानते हुए कि अंधेरी घड़ी में भी, वे अपनी स्वतंत्रता में अंतिम क्षणों तक प्रेम करने को स्वतंत्र हैं।

जब येसु उत्तर देते हैं, “मैं ही हूँ”, सिपाही भूमि पर गिर पड़ते हैं। यह एक रहस्यात्मक पद है, उसी समय से यह अभिव्यक्ति, धर्मग्रंथ के प्रकाश में, येसु के नाम की अभिव्यक्त को प्रकट करता है, “मैं ही हूँ।” येसु इस बात को व्यक्त करते हैं कि ईश्वर की उपस्थिति विशेष रूप से उस समय प्रकट होती है जब मानवता अपने में अन्याय, भय, अकेलेपन का अनुभव करता है। ठीक वहाँ, सच्ची ज्योति बढ़ते अंधकार के भय से जीते जाने से भयहीन अपने में चमकने को तैयार होती है।

ख्रीस्तीय प्रेम टाल-मटोल नहीं है

संत पापा ने कहा कि रात्रि के मध्य में, जब सारी चीजें अपने में टूटने जैसी लगती हैं, येसु इस बात को दिखलाते हैं कि ख्रीस्तीय आशा अपने में टाल-मटोल नहीं, बल्कि एक निर्णय है। यह मनोभाव गहरी प्रार्थना का परिणाम है जहाँ वह ईश्वर से दुःखों में सुरक्षित रखने की मांग नहीं करता है, बल्कि अपने को प्रेम में बनाये रखते हेतु ईश्वर से शक्ति की मांग करता है, इस बात से सचेत होते हुए कि प्रेम में अपने जीवन को स्वतंत्रतापूर्वक अर्पित करना, किसी दूसरे के द्वारा छीना नहीं जा सकता है।

“मैं तुम से कह चुका हूँ कि मैं ही हूँ अतः यदि तुम मुझे ढ़ूढ़ते हो तो उनको जाने दो।” अपनी गिरफ्तारी के समय येसु अपने को बचाने की चिंता नहीं करते हैं-वे इस बात की चाह रखते हैं कि उनके मित्र अपने में कुशलमंगल रहें। यह हमारे लिए उनके त्याग भरे एक सच्चे प्रेमपूर्ण कार्य को व्यक्त करता है। येसु अपने को सिपाहियों के द्वारा पकड़े जाने देते हैं, जिससे वे अपने  शिष्यों को स्वतंत्र रख सकें।

येसु का जीवन देना

येसु ने अपने जीवन के हर दिन इस नाटकीय क्षण की तैयारी में जीया। यही कारण है, जब वह समय आता है तो उनमें वह शक्ति है जो भागने के लिए एक रास्ता नहीं खोजती है। उनका हृदय अच्छी तरह जानता है कि प्रेम के लिए जीवन देना अपने में एक असफलता नहीं बल्कि अपने में एक रहस्यमय फलहित होना है, ठीक गेहूँ के एक उसी बीज की भांति, जो जमीन पर गिरते हुए अकेला नहीं रहता लेकिन मरता और बहुत फल देता है।

येसु भी उस बात से विचलित होते हैं, जब वे एक मार्ग को सिर्फ मौत की ओर ले जाते हुए देखते हैं। लेकिन वे इस बात से भी उतने ही विश्वस्त हैं कि सिर्फ प्रेम में खोया गया एक जीवन अंततः अपने में प्राप्त होता है। सच्ची आशा में हम इसकी बात को पाते हैं- वह दर्द को दूर करने की कोशिश नहीं करता है बल्कि इस बात पर विश्वास करता है कि अन्याय से अत्यधिक प्रताड़ित हृदय में भी, नये जीवन का एक बीज छुपा है।

संत पापाः येसु का प्रेम एक निर्णय है

सुसमाचार का तर्क भिन्न

संत पापा लियो ने कहा, “और हम?” हम कितनी बार अपने जीवन की, अपनी योजनाओं, अपनी निश्चितताओं की रक्षा करते हैं, इस बात का अनुभव किया बिना कि ऐसा करते हुए, हम अकेले रह जाते हैं। सुसमाचार का तर्क अपने में भिन्न है- वह जो दिया जाता है केवल वही फलहित होता है, केवल प्रेम जो अपने में स्वतंत्र होता है, अपने में भरोसा को सुदृढ़ करने के योग्य होता है यहाँ तक कि उन परिस्थितियों में भी जहाँ सारी चीजें खोई हुई दिखाई देती हैं।

संत मरकुस का सुसमाचार भी हमें एक जवान व्यक्ति के बारे में बतलाता है जो येसु के गिरफ्तार होने पर नंगा भाग जाता है। यह एक रहस्यमय छवि है, लेकिन अत्यंत विचारोत्तेजक है। हम भी, येसु का अनुसरण करने की कोशिश में, ऐसे क्षणों का अनुभव करते हैं जब हम अचानक  आश्चर्यचकित हो जाते हैं और सुसमाचार के मार्ग का त्याग करने के प्रलोभन में पड़ जाते हैं क्योंकि प्रेम के मार्ग की यात्रा हमारे लिे असंभव लगती है। और फिर भी, यह वास्तव में, वह युवा व्यक्ति है, जो सुसमाचार के अंत में, नारियों को पुनरूत्थान की घोषणा करता है, जो अपने में नंगा नहीं बल्कि एक सफेद वस्त्र पहने है।

विश्वास की आशा

यह हमारे विश्वास की आशा है- हमारे पाप और हमारी हिचकिचाहटें, ईश्वर को हमारे पापों को क्षमा करने में बाधा नहीं बनता है, यह हममें ईश्वर का अनुसरण करने की इच्छा को पुनः बहाल करने, तथा यह हमें दूसरों के लिए अपना जीवन देने के योग्य बनने से नहीं रोकता है।

प्रिय भाइयो एवं बहनों, आइए हम भी अपने आप को पिता की नेक इच्छा के अधीन करना सीखें, और अपने जीवन को उस भलाई का प्रत्युत्तर बनने दें जो हमें प्राप्त हुई है। जीवन में, सारी चीजें के ऊपर नियंत्रण रखना जरुरी नहीं है। हमारे लिए स्वतंत्र रुप में प्रतिदिन प्रेम करना अपने में काफी है। यह सच्ची आशा है- इस बात को जानते हुए, कि तकलीफों के अंधकार में भी, ईश्वर का प्रेम हमें आगे ले चलता है और अनंत जीवन का फल हममें पककर तैयार होता है।

 

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27 अगस्त 2025, 12:53