संत पापाः मरियम का भजन हमारी आशा की सुदृढ़ता
वाटिकन सिटी
संत पापा लियो ने कस्तेल गंदोल्फो के संत थोमस विल्लानोभा परमधर्मपीठ पल्ली में माता मरियम के स्वर्गारोहण के महोत्सव का मिस्सा बलिदान अर्पित किया।
संत पापा ने अपने प्रवचन में कहा कि आज रविवार नहीं है फिर भी हम येसु के पास्का रहस्य को दूसरे रूप में मनाते हैं जिसने इतिहास को बदल दिया। नाजरेत की मरियम में हम स्वयं अपने इतिहास को पहचानते हैं, कलीसिया के इतिहास को जो मानवता के इतिहास में समा गई। उनमें मानव जीवन को धारण करते हुए जीवन और स्वतंत्रता के ईश्वर ने मृत्यु पर विजय पाई। हाँ, आज हम मृत्यु पर ईश्वर की जीत पर चिंतन करते हैं-यद्यपि यह हमारे बिना संभव नहीं है। उनका राज्य है, लेकिन यह उनके प्रेम के प्रति हमारा “हाँ” है जो सारी चीजों को परिवर्तित कर सकता है। क्रूस पर येसु ने उस “हाँ” को स्वतंत्रता में उच्चरित किया जो मृत्यु की शक्ति को खत्म करती है- मृत्यु जो अब भी उन स्थानों में फैलती है जहाँ हमारे हाथ क्रूसित होते हैं और हमारे हृदय भय और अविश्वास में कैद हो जाते हैं। क्रूस में विश्वास है उसी तरह प्रेम भी, जो उन चीजों को देखती हैं जो आने वाली हैं, और क्षमा अपने में विजय होती हैं।
जीवन किसे के लिए?
मरियम वहाँ अपने पुत्र के संग संयुक्त थी। हमारे समय में, जब कभी हम नहीं भागते, हम मरियम के समान होते हैं जब हम येसु के “हाँ” को अपना बनाते हैं। वह “हाँ” आज भी जीवित है और हमारे समय के शहीदों में मृत्यु का सामना करता है, जहाँ हम विश्वास और न्याय, नम्रता और शांति का साक्ष्य देते हैं। इस भांति खुशी का यह दिन हमारे लिए चुनाव हेतु बुलावे का भी एक दिन होता है- हम कैसे और किस के लिए जीते हैं।
वह ऐतिहासिक मिलन
स्वर्गारोहण के इस समारोह में,धर्मविधि का सुसमाचार मरियम की भेंट को प्रस्तुत करता है। संत लूकस इस पद में मरियम की भेंट को एक निर्णयक क्षण स्वरुप प्रस्तुत करते हैं। उन दिन की याद करना हमारे लिए कितना मनोरम है जहाँ हम उनके ताजपोशी की याद करते हैं। हर मानव का इतिहास, ईश्वर की माता के इतिहास की भांति ही इस पृथ्वी पर छोटा और खत्म होने वाला है। फिर भी कुछ नहीं खोता है। जब एक जीवन समाप्त होता है इसकी अद्वित्यता अपने में और भी स्पष्ट दिखाई देती है। मरियम का ईशमहिमा गान जिसे सुसमाचार युवा नारी के मुख से घोषित करता है, उनके पूरे जीवन में ज्योति बिखेरती है। एक दिन- जब वह अपनी कुटुबिंनी एलिजबेद से भेंट करती है, अपने में हर दिन के बीज, हर मौसम को वहन करता है। और इसके लिए शब्द काफी नहीं है, हमें एक गीत की जरुरत है, एक गीत जिसे कलीसिया में पीढ़ी दर पीढ़ी दिन की समाप्ति में गाई जाती है। एक पुत्रहीन नारी ऐलिजबेद का आश्चर्य में गर्भवती होना मरियम के विश्वास को सुदृढ़ करता है, यह उसके “हाँ” में अभिव्यक्त होती जो कलीसिया और सारी मानवता को फलप्रद बनती है, जब हम ईश्वर के नवीकृत वचनों को अपने में स्वागत करते हैं। उस दिन दो नारियों का विश्वास में मिलन हुआ जो तीन महीने तक एक साथ रहीं, उन्होंने न केवल भौतिक रुप में बल्कि इतिहास को एक नये रूप में एक दूसरे को पढ़ने हेतु मदद किया।
ईश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है
इस भांति, प्रिय भाइयो और बहनों, पुनरूत्थान आज भी हमारे विश्व में प्रवेश करता है। शब्द और मृत्यु के स्वरूप रह जाते हैं लेकिन जीवन के ईश्वर हमारी निराशा को ठोस भातृत्वमय अनुभवों और एकता की नई निशानियों से तोड़ते हैं। हमारे अंतिम पड़ाव में पहुंचने के पहले पुनरूत्थान, शरीर और आत्मा, हमारे निवास स्थल को इस धरती पर बदलता है। मरियम का ईश गुणगान दीनों की आशा, भूखों और ईश्वर के विश्वासी सेवकों को मजबूत करती है। ये धन्यवचनों के नर और नारियाँ हैं जो अपनी मुसीबतों में भी अदृश्य को देखते हैं- ईश्वर शक्तिशालियों को उनके सिंहासनों से गिरा देता,धनियों को खाली हाथ भेजता, ईश्वर की प्रतिज्ञा पूरी होती है। इन अनुभवों को हर ख्रीस्तीय समुदायों में दिखाई देना चाहिए। ये असंभव दिखाई देते हों, लेकिन ईश्वर का वचन निरंतर ज्योति संचार करता है। जब एकता उत्पन्न होती है जिसके द्वारा हम बुराइयों का सामना अच्छाई से और मृत्यु का सामना जीवन से करते हैं, तो हम इस बात को पाते हैं कि ईश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
कलीसिया की खुशी का कारण
संत पापा ने कहा कि कभी-कभी, दुर्भाग्यवश जहाँ हम मानवीय आत्म-निर्भरता को पाते हैं, जहाँ भौतिक सुविधा और एक निश्चित आत्म संतुष्टि चेतना को धीमा कर देती है, विश्वास अपने में पुराना हो सकता है। ऐसी स्थिति में मृत्यु परित्याग और शिकायत, पुरानी यादों और भय के रुप में प्रवेश करती है। पुरानी चीजों को छोड़ने के बदले व्यक्ति उनके संग जुड़ा रहता है, धनियों और शक्तिशालियों से सहायता की मांग करता जो बहुधा गरीबों और छोटे लोगों के लिए घृणा स्वरुप आती है। कलीसिया, यद्यपि अपने लोगों की संवेदनशीलता में रहती है और वह उनके ईश गुणगान में नवीकृत होती है। हमारे समय में भी,गरीब और सताये जाने वाले ख्रीस्त समुदाय,युद्ध के क्षेत्रों में कोमलता और क्षमाशीलता का साक्ष्य तथा टूटती दुनिया में शांति की संस्थापना कलीसिया की खुशी है। वे उसके बने रहने वाले फल हैं, ईश्वरीय राज्य के प्रथम फल। उसमें बहुत से नारियाँ, बुजुर्ग एलिजबेद और युवा मरियम, पास्का के समय की नारियाँ पुनरूत्थान के प्रेरित हैं। आइए हम उनके साक्ष्यों द्वारा अपने में परिवर्तन लायें।
येसु का प्रेम हमारी प्रेरणा
संत पापा ने कहा,प्रिय भाइयो एवं बहनों, “जब हम इस दुनिया में जीवन का चुनाव करते हैं हम मरियम में अपने भाग्य को देखते हैं। वे हमारे लिए एक निशानी के रुप में दी गई हैं कि येसु का पुनरूत्थान अपने में कोई अलग घटना नहीं है, कोई अपवाद नहीं है।” येसु में हम भी “मृत्यु को निगल” सकते हैं। हम इस बात से निश्चित हों कि यह हमारा नहीं, बल्कि ईश्वर का कार्य है। फिर भी मरियम ईश्वरीय कृपा और स्वतंत्रता का एक अदभुत मिलन है, जो हमें विश्वास, साहस और लोगों के जीवन में सहभागी होने का निमंत्रण देती हैं। “सर्वशक्तिमान ने मेरे लिए महान कार्य किये हैं” हम में हर कोई इस खुशी को जाने और एक नये गाने में इसे घोषित करें। हम जीवन का चुनाव करने में न डरें। यह अपनें में जोखिम भरा और अविवेकी होने जैसा लगता है। बहुत-सी आवाजें फुसफुसाती हैं “क्यों व्यर्थ के कार्य करते हो? जान दो। आप अपनी रूचियों के बारे में सोचो।” ये सारी मृत्यु की आवाजें हैं। लेकिन हम येसु के शिष्य हैं। यह उनका प्रेम है जो हमारी आत्मा और शरीर को प्रेरित करता है। व्यक्तिगत रुप में, कलीसिया के रुप में हम अपने लिए जीवन नहीं जीते हैं। केवल यही जीवन का संचार करता और केवल यही जीवन को बनाये रखते है। मृत्यु पर हमारी विजय यहाँ और अभी शुरू होती है।
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