संत पापा लियोःजीवन के अंधकारमय क्षणों में भी प्रेम और क्षमा करें
वाटिकन सिटी
संत पापा लियो ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा प्रिय भाइयो एवं बहनों।
आज हम सुसमाचार में एक अति मार्मिक और आलोकित करने वाले निशानियों में से एक पर चिंतन करेंगे- अंतिम व्यारी के उस समय येसु, अपने संग धोखा करने वाले को एक निवाला देते हैं। यह केवल अपने को बांटने की निशानी मात्र नहीं है, यह उससे भी बढ़कर है, यह प्रेम में अंतिम कोशिश को व्यक्त करता है जहाँ हम प्रेम में छोड़ने की भावना को नहीं देखते हैं।
अंत तक प्रेम करना
संत योहन, अपने अति संवेदनशील आध्यात्मिकता में हमें इस बात की चर्चा करते हुए कहते हैं, अंतिम व्यारी के समय, शैतान सिमोन इसकारियोती के पुत्र यूदस के मन में ईसा को पकड़वाने का विचार उत्पन्न कर चुका था... येसु जानते थे कि उनका समय आ पहुंचा है...वे अपनों को सदैव प्रेम करते आये थे। आखरी क्षण तक प्रेम करना- यह येसु ख्रीस्त के हृदय को समझ के लिए जरूरी बात हैं। एक प्रेम जो परित्याग, निराश और यहाँ तक कि कृतघ्नता की स्थिति में भी प्रेम करना बंद नहीं करता है।
संत पापा लियो ने कहा कि येसु अपने समय के बारे में जानते हैं, लेकिन वे उस समय से दूर नहीं हटते हैं, वे इसका चुनाव करते हैं। यह वे हैं जो उस समय को जानते हैं जब उनका प्रेम सबसे अधिक दर्द भरे घाव से होकर गुजरेगा जिसे हम धोखे के रुप में पाते हैं। और इस परिस्थिति में पीछे हटने, दोष लगाने, अपनी सुरक्षा करने के बदले वे प्रेम करना जारी रखते हैं- वे पैर धोते, रोटी को डूबोते और उसे देते हैं।
दूसरे की स्वतंत्रता
“मैं जिसे रोटी का टुकड़ा थाली में डुबोकर दूंगा वही है।” इस साधारण और नम्र निशानी के द्वारा येसु अपने प्रेम को आगे बढ़ते और उसे गहराई तक ले जाते हैं, इसलिए नहीं कि वे अपने में घटित हो रही चीजों को नजरअंदाज करते हैं लेकिन इसलिए कि वे इसे स्पष्ट रुप में देखते हैं। वे इस बात को समझते हैं कि दूसरे की स्वतंत्रता, भले ही वह बुराई में खो गई हो, ऐसी परिस्थिति में भी एक नम्र भाव की ज्योति में प्राप्त की जा सकती है, क्योंकि वह जानता है कि सच्ची क्षमा पश्चाताप की प्रतीक्षा नहीं करती, बल्कि स्वीकार किए जाने से पहले ही, एक मुफ्त उपहार स्वरूप, स्वयं को पहले प्रस्तुत करती है।
येसु का प्रेम सदैव
संत पापा ने कहा कि दुर्भाग्यवश यूदस इसे नहीं समझता है। रोटी का टुकड़ा लेने के उपरांत-जैसे कि सुसमाचार हमें बतलाता है “शैतान उसमें प्रवेश कर गया।” यह पद हमें प्रभावित करता है- मानो बुराई तबतक छुपी हुई थी, अपने को उस समय व्यक्त करती है जब प्रेम अपने को हस्तमुक्त रुप में प्रस्तुत करता है। और मुख्य रूप से इसी कारण, प्रिय भाइयो और बहनों, वह टुकड़ा हमारी मुक्ति है- क्योंकि यह हमें बतलाता है कि ईश्वर सब कुछ करते हैं- पूर्णरूपेण सारी चीजों को- जिससे वे हमारे बीच पहुंच सकें, यहाँ तक उस समय में भी जब हम उनका तिरस्कार करते हैं।
क्षमा की शक्ति
यहाँ हम क्षमा की सारी शक्ति को प्रकट होता पाते हैं जो आशा के अपने सच्चे चेहरे को व्यक्त करती है। यह भूलने की कोई चीज नहीं है, यह अपने में कोई कमजोरी नहीं है। यह दूसरों को पूर्ण रूप से स्वतंत्र करना है, बल्कि यह उसे अंतिम क्षण तक प्रेम करना है। येसु दुःख की सत्यता को अस्वीकार नहीं करते हैं लेकिन बुराई अपने में अंतिम शब्द नहीं है। यही वह रहस्य है जिसे येसु हमारे लिए पूरा करते हैं, जिसमें हम भी, कभी-कभी अपने को शामिल करने के लिए बुलाये जाते हैं।
क्षमा करने का अर्थ
संत पापा लियो ने कहा, “कितने ही संबंध टूट जाते हैं, कितनी ही कहानियाँ अपने में जटिल हो जाती हैं, कितने ही अनकहे शब्द वैसे ही रह जाते हैं।” फिर भी सुसमाचार हममें दिखलाता है कि हमारे लिए सदैव प्रेम करने का एक मार्ग है, तब भी जब सब कुछ पूरी तरह से समझौतापूर्ण लगता है। क्षमा करने का अर्थ बुराई को अस्वीकार करना नहीं है बल्कि इसे और अधिक बुराई उत्पन्न करने से रोकना है। यह अपने में कुछ नहीं हुआ हैं कहना नहीं है, बल्कि हर संभव उन चीजों को करने का प्रयास है जो इस बात को सुनिश्चित करती है कि क्रोध भविष्य का निर्धारण न करती हो।
जब यदूस अंतिम व्यारी के कोठरी को छोड़ा है उस समय अधंकार था। लेकिन इसके तुरंत बात येसु कहते हैं कि “अब मानव पुत्र महिमान्वित हुआ।” रात अब भी कायम है लेकिन एक ज्योति अपने में चमकना शुरू होती है। और यह चमकती है क्योंकि ख्रीस्त अंत तक निष्ठावान बने रहते हैं, और इस भांति उनका प्रेम घृणा से अधिक मजबूत है।
हमारे जीवन की रातें
प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा लियो ने कहा कि हम भी अपने में दर्द और कठिनाई भरी रातों का अनुभव करते हैं। हमारे हृदय की रातें, निराशा की रातें, वे रातें जहाँ किसी ने हमें चोट पहुंचाया या धोखा दिया है। उन क्षणों में, हम अपने में बंद होने के प्रलोभन में पड़ जाते हैं, अपने को सुरक्षित रखने, बदला चुकाने की चाह रखते हैं। लेकिन येसु हमें आशा को दिखलाते हैं जो एक दूसरे मार्ग के रूप में सदैव खुला रहता है। वे हमें शिक्षा देते हैं कि कोई भी किसी को एक टुकड़ा दे सकता है जो उन्हें धोखा देता हो। कोई भी व्यक्ति शांतिमय विश्वास में उत्तर दे सकता है। और हम सम्मान के साथ प्रेम का परित्याग किये बिना आगे बढ़ सकते हैं।
क्षमा की आवश्यकता
हम आज क्षमा करने की कृपा की मांगें उन परिस्थितियों में भी जहाँ हम नहीं समझे जाते हैं यहाँ तक की जब हम परित्याग किये जाने का अनुभव करते हैं। क्योंकि उन परिस्थितियों में हम प्रेम को अपनी परकाष्ठा में पहुंचता हुआ पाते हैं। जैसे कि येसु हमें शिक्षा देते हैं, प्रेम करने का अर्थ दूसरे को स्वतंत्र छोड़ना है- यहाँ तक कि धोखा देने तक– इस विश्वास को खत्म किये बिना कि वह स्वतंत्रता, जो घायल और खोई हुई है, उसे भी अंधकार के धोखे से छीना जा सकता है और अच्छाई के प्रकाश में वापस लाया जा सकता है। जब क्षमा की ज्योति हृदय के गहनतम दरारों में प्रवेश करने में सफल हो जाती है, तो हम समझ जाते हैं कि यह कभी व्यर्थ नहीं हुई है। यद्यपि दूसरे उसे स्वीकार नहीं करते हैं, जो भी कि वह अपने में व्यर्थ जान पड़ता है, क्षमा उन्हें स्वतंत्र करती है जो उसके देते हैं, यह अक्रोश को दूर करती है, शांति स्थापित करती है, यह हमारे पास लौट आती है।
धोखा भी एक अवसर
येसु, रोटी देने की साधारण निशानी से, हमारे लिए इस बात को व्यक्त करते हैं कि हर धोखा अपने में मुक्ति का एक अवसर हो सकता है, यदि हम इसका चुनाव एक अधिक प्रेम करने के एक अवसर स्वरूप करते हैं। यह बुराई के आगे नहीं झुकता, बल्कि अच्छाई से उस पर विजय प्राप्त करता है, तथा उसे हमारे अंदर की सबसे सच्ची चीज़: प्रेम करने की क्षमता को नष्ट होने से बचाता है।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here