MAP

 कस्तल गंदल्फो में संत पापा लियो 14वें का मिस्सा बलिदान कस्तल गंदल्फो में संत पापा लियो 14वें का मिस्सा बलिदान  (@Vatican Media)

संत पापाः हम भले समारी से सीखें

कस्तल गंदोल्फो के पल्ली संत थोमस दे भिल्लानोभा में संत पापा ने अपने मिस्सा बलिदान के दौरान भले समारी के दृष्टांत को एक अति सुन्दर और प्रभावकारी दृष्टांत कहा जो हमारे लिए विभिन्न प्रकार की चुनौतियाँ लाता है।

वाटिकन सिटी

संत पापा लियो ने अपने ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान कस्तल गंदोल्फो के थोमस दे भिल्लानोभा पल्ली में यूखारीस्तीय बलिदान अर्पित करते हुए भले समारी के दृष्टांत पर चिंतन किया।

संत पापा लियो 14वें ने कस्तल गंदोल्फो के संत थोमस दे भिल्लानोभा पल्ली समुदाय के सभी पुरोहितों, धर्मबहुओं एवं बहनों, नागर, सैन्य अधिकारियों और लोकधर्मियों का अभिवादन करते हुए कहा कि आप लोगों के संग यूखारीस्तीय बलिदान अर्पित करते हुए मैं हर्ष का अनुभव करता रहा हूँ।

सुन्दर और प्रभावकारी दृष्टांत

रविवारीय सुसमाचार पर अपने चिंतन व्यक्त करने के पूर्व संत पापा ने कहा कि भले समारी का दृष्टांत- येसु ख्रीस्त के दृष्टांतों में से एक- अति सुन्दर और प्रभावित करने वाला दृष्टांत है।

यह दृष्टांत हमें सदैव अपने जीवन के बारे में विचार करने की चुनौती देता है। यह हमारे सुषुप्त या भटकी हुई चेतना को विचलित करता और हमारे एक शालीन विश्वास को चेतावनी देता जो कानून के छिछले पालन से संतुष्ट है, लेकिन ईश्वर के समान दयालु करुणा को अनुभव और उसके अनुरूप कार्य में असमर्थ है।

करूणा का दृष्टांत

संत पापा ने कहा कि यह दृष्टांत करूणा के बारे में है। सुसमाचार की कहानी करूणा के बारे में कहती है जिसमें द्रवित होकर समारी कार्य करता है। लेकिन इसके पहले हम घायल व्यक्ति के संबंध में उन लोगों की प्रतिक्रिया के बारे में सुनते हैं जो डाकूओं के हाथों में पड़, सड़क के किनारे पड़ा रहा। हम एक याजक और एक लेवी के बारे में सुनते हैं, वे उसे देखते लेकिन वहाँ से गुजर जाते हैं। वहीं समारी के बारे में सुसमाचार कहता है कि वह उसे देखता और करूण से भर जाता है।

संत पापा लियो का प्रवचन
संत पापा लियो का प्रवचन   (@Vatican Media)

प्रिय भाइयो एवं बहनों, “हम दूसरों को कैसे देखते हैं वह अर्थ रखता है क्योंकि यह हमारे हृदय की बातों को प्रकट करता है। हम देखकर पार हो सकते हैं, या देखकर द्वित होते हुए करूणा से भर सकते हैं।” हमारे देखने के तरीके में छिछलापन, विचलन और जल्दबाजी होते हैं, हम देखते हुए भी नहीं देखने का बहाना करते हैं। हम बिना प्रभावित या चुनौती प्राप्त किये देखते हैं। और तब हम हृदय की आंखों से देखने को पाते हैं, जो निकटता से देखना, दूसरों से सहानुभूति रखना, उसके अनुभव या बातों में अपने को सहभागी करते हुए स्पर्श होने और चुनौती प्राप्त करना है। यह देखना अपने जीवन का अवलोकन करना और अपने में यह सावल करना है कि हम दूसरों के संबंध में अपने उत्तरदायित्व को किस भांति जीते हैं।

दृष्टांत की मांग

दृष्टांत हमें ईश्वर की निगाहों से देखने के बारे में कहता है जिससे हम अपने जीवन में दूसरों को और परिस्थितियों को उनकी निगाहों से देखना सीखते हैं, जो प्रेम और करूणा से भरे हैं। भला समारी सचमुच में हमारे लिए येसु- एक निशानी, दिव्य पुत्र को प्रकट करता है जिसे उन्होंने हमारी मानवता के इतिहास में भेजा क्योंकि वे विशेषकर मानवता को करूणा की निगाहों से देखते और उसके बीच से यूं ही गुजरना नहीं चाहते हैं। सुसमाचार का व्यक्ति जो येरूसालेम से येरिखो की ओर जा रहा था, जहाँ मानवता की मृत्यु गहराई में उतरी है, जो हमारे समय में भी, हमें बुराई के अधंकार, दुःख, गरीबी और मृत्यु की पहेली का सामना करने की मांग करती है। फिर भी ईश्वर की करूणा हम पर बनी रहती है, वे हमारे संग उसी राह में चलना और हमारे बीच आना चाहते हैं। येसु, भले समारी, हमारे घावों की चंगाई और उनपर प्रेम और करूणा का मलहम लगाने आते हैं।

येसु हमारा पड़ोसी बनना चाहते हैं

संत पापा फ्रांसिस ने, येसु को ईश्वर की करूणा का संर्दभ प्रस्तुत करते हुए सदैव उनकी करूणा और दया की याद दिलाई। संत अगुस्टीन हमें याद दिलाते हुए कहते हैं, “येसु भले समारी की तरह जो हमारी सहायता करने आते हैं, “हमारे पड़ोसी के रुप में जाने जाना चाहते हैं।” वास्तव में, येसु ख्रीस्त हमें इस बात को अनुभव करने में मदद करते हैं कि ये वे हैं जो अधमरे व्यक्ति की सेवा करते हैं जो डाकूओं के हाथों में पड़कर मारा-पीटा और रास्ते में छोड़ दिया गया।

संत पापा लियोः हम भले समारी से सीखें

इस भांति हम इस दृष्टांत को समझ सकते हैं कि यह हममें से हरएक के लिए कितनी चुनौतीपूर्ण है। यदि ख्रीस्त हमें ईश्वर के करूणामय चेहरे को प्रकट करते हैं तो हमें उन पर विश्वास करना है- इस भांति उनके शिष्य होने का अर्थ है अपने में परिवर्तन लाने देना और उनके मनोभावों को धारण करना। इसका अर्थ है एक वह हृदय होना जो द्रवित होता है, वे आंखें जो दूर नहीं देखती हैं, वे हाथ जो दूसरों की मदद और घावों को आराम पहुंचाती हैं, वे कंधे जो दूसरों की बोझ को उठाने में मदद करती हैं।

मिस्सा बलिदान का चढ़ावा
मिस्सा बलिदान का चढ़ावा   (@Vatican Media)

हृदय को देखना

संत पापा ने कहा कि आज के पहले पाठ में हमने मूसा के शब्दों को सुना, वे ईश्वर की आज्ञाओं का पालन करने को कहते हैं और उनकी ओर हमारी निगाहें उठाना हमारे लिए अपने कार्यों में बढ़ोत्तरी लाना नहीं है, बल्कि अपने हृदयों को देखना और इस बात की खोज करना है कि ईश्वर के प्रेम का नियम उसमें अंकित है। यदि हम हृदय की गरहाई में अनुभव करते कि भले समारी, ईश्वर हमें प्रेम करते और हमारी चिंता करते हैं, तो हम भी उसी प्रेम को करूणा में प्रसारित करने के योग्य होंगे। एक बार जब हम ख्रीस्त के प्रेम से चंगे किये जाते तो हम भी उस प्रेम और करूणा के साक्षी विश्व के लिए होंगे।

संत पापा ने कहा कि आज हमारे लिए “प्रेम की क्रांति” की आवश्यकता है। आज उस मार्ग में जो येरूसालेम से येरिखो की ओर जाता है उस राह में वे लोग चलते हैं जो पाप में उतरते हैं, दुख और गरीबी के शिकार हैं। वहाँ बहुत से लोग गिरे हैं, जो अपने जीवन की चीजों को खो देते और गर्त में पड़े हैं। उस मार्ग में बहुत से लोग हैं जो अपने जीवन की मुसीबतों से दबे या जीवन में दुखित हैं। उस मार्ग में चलने वाले गिरे हुए हैं। उस मार्ग में चलने वाले लूट, चोरी और स्तंभित, अत्याचारी राजनीतिक प्रणालियों, एक अर्थव्यवस्था के शिकार हैं जो उन्हें गरीबी में, और युद्धों के लिए विवश करता है जो उनके सपनों और उनके जीवन को खत्म करता है।

समारी का लक्ष्य, परिवर्तन की मांग

हम क्या करें? क्या हम देखते और पार होते हैं, या दूसरों के लिए अपने हृदयों को खोलते हैं उस समारी की भांति? क्या कभी-कभी हम अपने कामों से सिर्फ संतु्ष्ट हैं या अपने समुदाय में रहने वालों को अपने पड़ोसी स्वरूप देखते हैं, जो हमारे दल के अंग हैं, हमारी तरह सोचते हैं, हमारे देशा या धर्म से तल्लुकात रखते हैं। येसु समारी को हमारे लिए प्रस्तुत करते हुए हमारे सोचने के तरीके को बदलते हैं, जो घायल व्यक्ति के लिए एक पड़ोसी की भांति कार्य करते हैं। वे हमें वैसे ही करने को कहते हैं।

समारी के बारे में संत पापा बेनेदिक्त 16वें ने लिखा, “यह न पूछो उसकी जरूरी एकता कहाँ तक जाती है। न ही वह अनंत जीवन प्राप्ति हेतु कार्य के बारे में पूछता है। कुछ और ही होता हैः उसका दिल टूट गया है...यदि सावल यह होता है, क्या समारी भी मेरा पड़ोसी है? उस समय के अनुरूप, इसका सीधा उत्तर हमारे लिए होगा, नहीं। लेकिन येसु सारी बातों को उसके ऊपर लाते हैं- समारी, परदेशी अपने को पड़ोसी बनाता और मुझे इस बारे में सीखलाता है कि मुझे अपने में एक पड़ोसी बनना है और मैं अपने में एक उत्तर को पाता हूँ। मैं उस व्यक्ति के समान बन गया हूँ जो प्रेम करता है, एक व्यक्ति जिसका हृदय किसी की जरुरतों के कारण हिल गया है।”

विश्वासियों का अभिवादन करते हुए संत पापा लियो
विश्वासियों का अभिवादन करते हुए संत पापा लियो   (@Vatican Media)

देखे बिना चलना, हमारे जीवन की तीव्र गति को रोकना, दूसरों के जीवन को स्वीकारना, हमारी जरूरतों और परेशानियों के साथ, हमारे दिल को छूने के लिए वे कुछ भी हो सकते हैं। यही वह है जो हमें एक-दूसरे के लिए पड़ोसी बनाता है, जो सच्ची बिरादरी उत्पन्न करता है और दीवारों और बाधाओं को तोड़ता है। प्रेम प्रबल होता है, यह बुराई और मृत्यु से अधिक शक्तिशाली साबित होता है।

 मित्र, आइए हम मसीह, अच्छे समारी को देखें। आइए हम आज फिर से उसकी आवाज को सुनें। क्योंकि वह हम प्रत्येक से कहता है, "जाओ और वैसा ही करो।"

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

13 जुलाई 2025, 17:19