धन्य फू येन ख्रीस्तीयों के लिए एक आदर्श, सन्त पापा
वाटिकन सिटी
वियतनाम, शनिवार, 26 जुलाई 2025 (रेई, वाटिकन रेडियो): वियतनाम के प्रथम शहीद धन्य एन्ड्रू फू येन के शहादत की 400 वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में सन्त पापा लियो 14 वें ने वियतनामी धर्मशिक्षकों की आम सभा को एक विडियो सन्देश प्रेषित किया।
येसु नाम को पुकारें
सन्त पापा लियो 14 वें कहाः "धर्मशिक्षकों के संरक्षक संत धन्य एन्ड्रू फू येन से हम मध्यस्थता की प्रार्थना करें ताकि उनकी तरह ही हम भी, कठिनाइयों के क्षण में, अडिग विश्वास के साथ येसु नाम को पुकार सकें।"
सन्त पापा का सन्देश वियतनाम के हो ची मिन्ह सिटी में धन्य एन्ड्रू फू येन के पर्व दिवस पर गुरुवार को एकत्र देश के लगभग 500 से अधिक धर्मशिक्षकों को प्रेषित किया गया तथा वाटिकन रेडियो के प्रार्थनालय से प्रत्यक्ष स्ट्रीमिंग के द्वारा वियतनामी और अंग्रेज़ी भाषाओं में वाटिकन मीडिया के यू ट्यूब चैनल से प्रसारित किया गया। धर्मशिक्षकों की सभा में सायगॉन के महाधर्माध्यक्ष तथा वियतनामी काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष जोसफ न्यूयेन नांग भी शामिल थे।
वियतनाम के महान पुत्र
धर्मशिक्षकों को प्रेषित सन्देश में सन्त पापा लियो ने धन्य एन्ड्रू फू येन को वियतनाम के महान पुत्र निरूपित कर कहा कि इस धर्मशिक्षक एवं शहीद का साक्ष्य हम सबके लिये प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने याद किया कि अपने बपतिस्मा के बाद, एन्ड्रू "वियतनाम में सुसमाचार लाने वाले जेसुइट मिशनरियों के लिए एक अमूल्य सहायक बन गए थे"।
सन्त पापा फ्राँसिस के प्रेरितिक उद्बोधन "क्रिस्तुस विवित" में लिखे शब्दों को उद्धृत कर सन्त पापा लियो ने कहा कि एंड्रयू को "उनके विश्वास के लिए कैदी बना लिया गया था और विश्वास का परित्याग करने से इनकार करने के कारण मार डाला गया था, मरते दम उन्होंने केवल एक शब्द कहा और वह थाः "येसु"।
'प्रेम के बदले प्रेम'
इसी प्रकार, सन्त पापा लियो ने अपने पूर्ववर्ती सन्त जॉन पौल द्वितीय द्वारा 05 मार्च सन् 2000 को एन्ड्रू फू येन की धन्य घोषणा के उपलक्ष्य में अर्पित ख्रीस्तयाग प्रवचन में कहे शब्दों को याद किया जिन्होंने कहा थाः "केवल 19 वर्ष की आयु में अपना जीवन देकर, एंड्रयू ने हमारे प्रभु को 'प्रेम के बदले प्रेम' लौटाने के मसीह के आह्वान का जवाब दिया"।
सन्त पापा ने अन्त में वियतनाम के समस्त धर्मशिक्षकों पर प्रभु ईश्वर की मंगलमय आशीष की शुभकामना की तथा उनकी उदारता के लिये धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहाः "ईश्वर से प्राप्त अपने वरदान को कभी कम मत आंकिए: अपनी धर्मशिक्षा और अपने उदाहरण से आप बच्चों और युवाओं को येसु के साथ मित्रता के लिए आकर्षित करते हैं।"
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