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अगस्त माह में प्रार्थना की प्रेरिताई आपसी सहअस्तित्व के लिए

अगस्त के मासिक प्रार्थना मनोरथ हेतु पोप के नये विडियो में पोप लियो 14वें ने आपसी सहअस्तित्व के लिए प्रार्थना करने का आह्वान किया है।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 29 जुलाई 2025 (रेई) : अगस्त के मासिक प्रार्थना मनोरथ हेतु पोप के नये विडियो में पोप लियो 14वें ने आपसी सहअस्तित्व के लिए प्रार्थना करने का आह्वान किया है।

पोप की विश्वव्यापी प्रार्थना की प्रेरिताई में इस माह आपसी सहअस्तित्व के लिए प्रार्थना करने का आह्वान किया गया है। हमेशा की तरह, पोप ने अगस्त माह की प्रार्थना के लिए एक ऐसा विषय चुना है जो मानवता और कलीसिया के मिशन के लिए एक सामयिक चुनौती प्रस्तुत करता है, वह है हमारे समाजों के भीतर संघर्ष। इसलिए, वे विश्वासियों से प्रार्थना करने का आग्रह करते हैं, खासकर, ऐसे समाजों के लिए “जहाँ सह-अस्तित्व अधिक कठिन प्रतीत होता है, जातीय, राजनीतिक, धार्मिक या वैचारिक कारणों से टकराव के प्रलोभन न हों।"  

जेसुइट संचार फाउंडेशन (जेसकॉम) के सहयोग से इस महीने तैयार किए गए वीडियो में, पोप लियो 14वें अपने विश्वव्यापी प्रार्थना नेटवर्क के माध्यम से अगस्त महीने के मतलब के लिए विशेष प्रार्थना करते हैं। उनके शब्दों के साथ आनेवाली छवियाँ दुनिया में मौजूद विभाजनों का एक संयोजन प्रस्तुत करती हैं: युद्ध, टकराव और हिंसा जो विनाश के कारण हैं, लोगों को अपनी ही भूमि से भागने पर मजबूर करते हैं, और अकेलेपन को बढ़ावा देते हैं।

हालाँकि, युवाओं के लिए आशा का संदेश है कि पोप के वीडियो को जारी करने के साथ ही युवाओं की जयंती मनायी जा रही है। वास्तव में, बेहतर भविष्य की आशा इस बात पर निर्भर करती है कि युवा भाईचारे वाले समुदायों का निर्माण कैसे करें, एक-दूसरे का और उनकी विविधताओं का स्वागत कैसे करें, और अपने दिल खोलकर दूसरों की सेवा में खुद को कैसे लगाएँ।

सम्मानपूर्ण एवं करुणामय सहअस्तित्व

पोप की प्रार्थना बताती है कि असल में क्या हो रहा है: "हम भय और विभाजन के दौर में जी रहे हैं। कभी-कभी हम ऐसे व्यवहार करते हैं मानो हम अकेले हों, और एक-दूसरे से अलग दीवारें खड़ी कर लेते हैं।" खबरों पर नजर डालने से हमें यह भी पता चल जाता है कि अंतरराष्ट्रीय संघर्षों के अलावा, राजनीतिक, धार्मिक, जातीय और अन्य प्रकार के मतभेदों के बढ़ने के कारण समुदायों के भीतर भी कई संघर्ष पैदा हो रहे हैं।

इस घटना के मूल में एक बुनियादी सच्चाई की अनदेखी है: कि हम सभी भाई-बहन हैं, एक ही पिता की संतान हैं। इसलिए पोप आगे कहते हैं, "हे प्रभु, हमें अपनी आत्मा भेजिए ताकि हमारे अंदर एक-दूसरे को समझने, सुनने और सम्मान एवं करुणा के साथ रहने की भावना फिर से जागृत हो।"

विचारधाराओं में अंतर को दूर करने के लिए, दूसरों को "हृदय की आँखों से" देखना ही हमें हर व्यक्ति की अलंघनीय गरिमा को पहचानने और "संवाद के रास्ते तलाशने, संघर्ष का जवाब भाईचारे के भावों से देने" का साहस देता है। दूसरों के प्रति उनके मतभेदों से डरे बिना खुलापन हमें यह समझने में मदद करता है कि वे खतरा नहीं हैं, बल्कि "समृद्धि है जो हमें मानव बनाती है।"

आइए, हम प्रार्थना करें कि जिन समाजों में सह-अस्तित्व अधिक कठिन प्रतीत होता है, जातीय, राजनीतिक, धार्मिक या वैचारिक कारणों से टकराव के प्रलोभन में न फंसें।

"येसु, हमारे इतिहास के प्रभु,

विश्वासी साथी और जीवित उपस्थिति

आप जो हमसे मिलने आने से कभी नहीं थकते,

हम यहाँ आपकी शांति की आवश्यकता में हैं।

हम भय और विभाजन के दौर में जी रहे हैं।

कभी-कभी हम ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे हम अकेले हों,

दीवारें खड़ी करते जो हमें एक-दूसरे से अलग करता,

यह भूल जाते हैं कि हम भाई-बहन हैं।

हे प्रभु, हमें अपनी आत्मा भेजिए,

हमारे अंदर पुनः आलोकित करने के लिए

एक-दूसरे को समझने, सुनने,

सम्मान और सहानुभूति से एक साथ रहने की चाह।

हमें संवाद के रास्ते तलाशने का साहस दीजिए,

संघर्ष का जवाब भाईचारे के भावों से देने के लिए,

मतभेदों के डर के बिना दूसरों के लिए अपना दिल खोलने के लिए।

हमें पुल बनानेवाले बनाइये,

सीमाओं और विचारधाराओं को पार करने में सक्षम बनाइये,

दूसरों को हृदय की आँखों से देख पाने योग्य बनाइये,

प्रत्येक व्यक्ति में एक अलंघनीय गरिमा को पहचान सकें।

एक ऐसा स्थान बनाने में मदद कीजिए जहाँ आशा पनप सके,

जहाँ विविधता एक भय नहीं

लेकिन एक समृद्धि है जो हमें अधिक मानवीय बनाता है।

आमेन।ĝ

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29 जुलाई 2025, 16:22