‘आप मेरी आशा है’: 9वें विश्व गरीब दिवस के लिए पोप लियो 14वें का संदेश
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 13 जून 2025 (रेई) : स्तोत्र ग्रंथ और गरीबी से जूझ रहे लोगों के अनुभवों से प्रेरणा लेते हुए पोप लियो 14वें ने ख्रीस्तीयों से आग्रह किया कि वे गरीबों को दान पाने के पात्र के रूप में नहीं बल्कि आशा के नायक के रूप में पहचानें।
गरीबों के संरक्षक पादुआ के संत अंतोनी के पर्व दिवस पर जारी संदेश में पोप ने विश्वासियों से आग्रह किया है कि वे हमारी दुनिया में व्याप्त अस्थिरता के जवाब के रूप में ख्रीस्तीय आशा को फिर से खोजें।
पोप ने संत पौलुस के इस आश्वासन को याद करते हुए कहा कि "हमारी आशा जीवित ईश्वर पर टिकी है।"
कठिनाइयों के बीच आशा का साक्ष्य
पोप लियो ने बताया कि गरीब लोग कैसे, भौतिक सुरक्षा से वंचित होने के बावजूद, अक्सर एक ऐसी आशा को मूर्त रूप देते हैं जो गहरी और स्थायी होती है। "वे सत्ता और संपत्ति की सुरक्षा पर भरोसा नहीं कर सकते... उनकी आशा को अनिवार्य रूप से कहीं और तलाशना चाहिए," वे लिखते हैं। पोप बताते हैं कि यह ठीक इसी कमजोरी में है कि "हम भी क्षणभंगुर आशाओं से स्थायी आशा की ओर बढ़ते हैं।" "गरीबी का सबसे गंभीर रूप," वे आगे कहते हैं, "ईश्वर को न जानना।" पोप फ्राँसिस के इवेंजेली गौदियुम का हवाला देते हुए, वे इस तथ्य पर प्रकाश डालते हैं कि गरीबों को आध्यात्मिक देखभाल से वंचित नहीं किया जाना चाहिए, जिनके पास "विश्वास के लिए एक विशेष खुलापन है।" संत पापा आशा को एक लंगर के रूप में याद करते हैं कि कैसे शुरुआती ख्रीस्तीयों ने आशा को एक लंगर के रूप में देखा: "ख्रीस्तीय आशा एक लंगर की तरह है जो हमारे दिलों को प्रभु येसु की प्रतिज्ञा में स्थापित करती है।" युद्ध, विस्थापन और पर्यावरणीय गिरावट से त्रस्त दुनिया में, वे जोर देते हैं कि यह आशा मानवीय गरिमा को मजबूती से थामे रखनेवाला लंगर बनी हुई है।
पोप ने याद दिलाया कि उदारता केवल प्रतिज्ञा नहीं है लेकिन एक वर्तमान सच्चाई है जिसे सहर्ष एवं जिम्मेदारी के साथ स्वीकार किया जाना चाहिए।
मनुष्य के शहर से ईश्वर के शहर तक
विश्वास और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच एक सीधी रेखा खींचते हुए, पोप कलीसिया की लंबे समय से चली आ रही शिक्षा को याद करते हैं कि गरीबी को उसकी संरचनात्मक जड़ों से ही हल किया जाना चाहिए।
उन्होंने लिखा, "गरीबी के संरचनात्मक कारण हैं जिन्हें हल किया जाना और समाप्त किया जाना चाहिए," उन्होंने ऐसी नीतियों का आह्वान किया जो श्रम, शिक्षा, आवास और स्वास्थ्य सेवा के प्रति सार्वभौमिक अधिकारों के रूप में कलीसिया की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
और उदासीनता की संस्कृति की निंदा करते हुए, वे कई "आशा के शांत संकेतों" की ओर इशारा करते हैं - देखभाल गृह, सूप रसोई और कम आयवाले स्कूल - जिन्हें, वे कहते हैं, अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।
पोप ने दोहराया, "गरीब कलिसया के लिए बाधा नहीं हैं, वे हमारे प्रिय भाई-बहन हैं... वे हमें सुसमाचार की सच्चाई से जोड़ते हैं।"
जिम्मेदारी की जयंती
अपने निमंत्रण को और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाते हुए, उन्होंने ख्रीस्तीयों को याद दिलाया कि इस वर्ष का विश्व गरीब दिवस चल रहे जयंती समारोह से निकटता से जुड़ा हुआ है: "एक बार जब पवित्र द्वार बंद हो जाता है, तो हमें ईश्वर द्वारा दिए गए उपहारों को संजोना चाहिए और दूसरों के साथ साझा करना चाहिए।"
इस प्रकार, वे विश्वासियों से आग्रह करते हैं कि वे गरीबों को केवल देखभाल के प्राप्तकर्ता के रूप में न देखें, बल्कि "रचनात्मक व्यक्ति के रूप में देखें जो हमें आज सुसमाचार को जीने के नए तरीके खोजने की चुनौती देते हैं।"
पोप लियो संत अगुस्टीन की प्रज्ञा का हवाला देते हुए, सिर्फ उदारता के बजाय न्याय का आग्रह करते हैं: "आप भूखे व्यक्ति को रोटी देते हैं; लेकिन यह बेहतर होगा कि कोई भी भूखा न रहे।"
अपने संदेश का समापन करते हुए, पोप ने सभी को पीड़ितों को सांत्वना देनेवाली माता मरियम को सिपूर्द दिया, और कलीसिया एवं दुनिया को ते देउम के शब्दों के साथ "आशा के गीत" गाने के लिए आमंत्रित किया: "हे प्रभु, आप में हमारी आशा है, और हम कभी भी व्यर्थ आशा नहीं करेंगे।"
गरीबों के लिए विश्व दिवस
पोप फ्राँसिस ने वर्ष 2017 में विश्व गरीब दिवस की स्थापना की थी, ताकि कलीसिया को गरीबी के विभिन्न रूपों से निपटने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। यह अवसर ख्रीस्तीयों और सद्भावना रखनेवाले सभी पुरुषों और महिलाओं के लिए चिंतन करने एवं कार्य करने का है, लोगों को गरीबी का सामना करनेवालों से जुड़ने और गरीबी के चक्र को समाप्त करने की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस दिवस को सामान्य काल के 33वें रविवार को मनाया जाता है।
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