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युद्धरत फिलीस्तीन में बच्चों की दशा, तस्वीरः 23.06.2025 युद्धरत फिलीस्तीन में बच्चों की दशा, तस्वीरः 23.06.2025  (AFP or licensors)

बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर वाटिकन अधिकारी

न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर खुली बहस में मोन्सिन्योर मार्को फॉर्मिका ने कहा कि परमधर्मपीठ सशस्त्र संघर्ष के पुनः उभरने तथा बल प्रयोग की बढ़ती स्वीकार्यता से अत्यधिक चिंतित है।

वाटिकन सिटी

न्यूयॉर्क, शुक्रवार, 27 जून 2025 (रेई, वाटिकन रेडियो): न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर खुली बहस में मोन्सिन्योर मार्को फॉर्मिका ने कहा कि परमधर्मपीठ सशस्त्र संघर्ष के पुनः उभरने तथा बल प्रयोग की बढ़ती स्वीकार्यता से अत्यधिक चिंतित है।

युद्ध की क्रूरता

मान्यवर फॉर्मिका ने कहा कि सशस्त्र संघर्ष की ये गंभीर घटनाएं समाज के सबसे कमजोर सदस्यों, विशेषकर बच्चों पर सबसे अधिक प्रभाव डाल रही हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध की क्रूरता के कारण बच्चों का जीवन प्रायः क्षतिग्रस्त हो जाता है तथा उनकी गरिमा और भविष्य को खतरे में डाल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यह समझना ज़रूरी है कि निर्दोष लोगों की सुरक्षा को सभी राजनीतिक, सैन्य या रणनीतिक विचारों से ऊपर रखा जाना चाहिए। इसके अलावा, बातचीत, कूटनीति और शांति के मार्ग पर फिर से प्रतिबद्ध होने की तत्काल आवश्यकता है।

मानवीय सहायता बाधित न हो

सशस्त्र संघर्ष से प्रभावित बच्चों के जीवन और सम्मान की रक्षा करने की तत्काल आवश्यकता के मद्देनजर, वाटिकन के  प्रतिनिधिमंडल ने निम्नलिखित विचारों को साझा किया। सबसे पहले, उन्होंने  कहा कि मानवीय सहायता तक पहुँच को कभी भी बाधित नहीं किया जाना चाहिए। उन सभी कार्यों की कड़ी निंदा की जानी चाहिये जो जरूरतमंद लोगों तक भोजन, पानी और दवा जैसी महत्वपूर्ण आपूर्ति को बाधित करते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की बाधाएँ अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन करती हैं और बच्चों के समग्र मानवीय विकास को भी गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं।

दूसरा, उन्होंने कहा कि इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि विशेष रूप से घनी आबादी वाले क्षेत्रों में  अंधाधुंध हथियारों के उपयोग, उत्पादन और भंडारण को समाप्त करना बच्चों को होने वाले नुकसान को सीमित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसपर राष्ट्रों का ध्यान देना चाहिये।

तीसरा, उन्होंने कहा कि  परमधर्मपीठ बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर एजेंडा के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने के लिए सभी उपलब्ध तंत्रों के प्रभावी उपयोग हेतु प्रोत्साहित करती है। उन्होंने कहा कि सशस्त्र संघर्ष से प्रभावित बच्चों की सुरक्षा संयुक्त राष्ट्र के लिए एक मुख्य प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए और शांति निर्माण आयोग की संरचना की चल रही समीक्षा में इसे प्रतिबिंबित किया जाना चाहिए।









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27 जून 2025, 11:28