पोप लियो : परिवार मानवता के भविष्य का पालना हैं
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, रविवार, 2 जून 2025 (रेई) : परिवारों, बच्चों, दादा-दादी और बुजुर्गों की जयंती के अवसर पर, रविवार को पोप लियो 14वें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में समारोही ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान किया और सभी विश्वासियों को मसीह पर अपना प्रेम केंद्रित करने का प्रोत्साहन दिया, जिससे विश्व में शांति आ सके।
संत पापा ने उपदेश में कहा, हमने अभी जो सुसमाचार सुना है, उसमें येसु को अंतिम भोज के समय हमारी ओर से प्रार्थना करते हुए दिखाया गया है। (यो. 17:20) ईश्वर के शब्द, जो मनुष्य बने, जब वे पृथ्वी पर अपने जीवन के अंत के करीब पहुँचे, तब उन्होंने हम, अपने भाइयों और बहनों की चिंता, और पवित्र आत्मा की शक्ति में पिता के लिए एक आशीर्वाद, निवेदन और प्रशंसा की प्रार्थना बन गये। जब हम स्वयं आश्चर्य और विश्वास से भरकर, येसु की प्रार्थना में सहभागी होते हैं, तो हम, उनके प्रेम के, एक महान योजना का हिस्सा बनते हैं जो पूरी मानव जाति के लिए है।
परिवार एक वरदान है
ख्रीस्त प्रार्थना करते हैं कि हम सब “एक हो जाएँ” (पद 21)। यह सबसे बड़ी भलाई है जिसकी हम कामना करते हैं, क्योंकि यह सार्वभौमिक एकता उसके प्राणियों के बीच प्रेम की शाश्वत संगति लाती है जो स्वयं ईश्वर है: पिता जो जीवन देता है, पुत्र जो इसे ग्रहण करता है और आत्मा जो इसे साझा करती है। प्रभु नहीं चाहते कि हम इस एकता में नामहीन और चेहराहीन भीड़ बनें। वे चाहते हैं कि हम एक हो जाए: " हे पिता, जैसे तू, मुझ में है और मैं तुझ में, वैसे ही वे भी हम में हो जाएँ" (पद 21)।
इस प्रकार जिस एकता के लिए येसु प्रार्थना करते हैं, वह उसी प्रेम पर आधारित एक संगति है जिससे ईश्वर प्रेम करते हैं, जो संसार में जीवन और उद्धार लाता है। इस प्रकार, यह सबसे पहले एक उपहार है जिसे येसु लेकर आये। अपने मानवीय हृदय से, ईश्वर का पुत्र इन शब्दों में पिता से प्रार्थना करता है: "मैं तुझमें हूँ और तू मुझ में, कि वे पूरी तरह से एक हो जाएँ, ताकि संसार जाने कि तू ने मुझे भेजा है और जैसा तू ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही तू ने उनसे प्रेम रखा" (पद 23)।
संत पापा ने कहा, “आइए हम इन शब्दों को विस्मय के साथ सुनें। येसु हमें बता रहे हैं कि ईश्वर हमसे वैसे ही प्रेम करते हैं जैसे वे स्वयं से करते हैं। पिता हमसे अपने इकलौते पुत्र से कम प्रेम नहीं करते। दूसरे शब्दों में, वे हमसे असीम प्रेम करते हैं। ईश्वर कम प्रेम नहीं करते, क्योंकि वे, आरंभ से ही प्रेम करते हैं! मसीह स्वयं इस बात की गवाही देते हैं जब वे पिता से कहते हैं: "आपने मुझे जगत की उत्पत्ति से पहले ही प्रेम किया" (पद 24)। और ऐसा ही है: अपनी दया में, ईश्वर ने हमेशा सभी लोगों को अपने पास बुलाने की इच्छा की है। यह उनका जीवन है, जो मसीह में हमें दिया गया है, जो हमें एक बनाता है, हमें एक दूसरे के साथ जोड़ता है।
आज परिवारों, बच्चों, दादा-दादी और बुजुर्गों की जयंती मनाते हुए इस सुसमाचार पाठ को सुनना हमें खुशी से भर देता है।
हम सभी को एक दूसरे की आवश्यकता
प्रिय मित्रों, हमें जीवन तब मिला जब हमने इसकी इच्छा भी नहीं की थी। जैसा कि पोप फ्राँसिस कहते हैं: "हम सभी बेटे और बेटियाँ हैं, लेकिन हममें से किसी ने भी जन्म लेना नहीं चुना" (देवदूत, 1 जनवरी 2025)। इतना ही नहीं। जब हम पैदा हुए, हमें जीने के लिए दूसरों की जरूरत हुई; अगर हम खुद पर छोड़ दिए जाते, तो हम जीवित नहीं रह पाते। किसी और ने हमें शरीर और आत्म से हमारी देखभाल करके बचाया। हम सभी आज एक रिश्ते की बदौलत जीवित हैं, मानवीय दयालुता और आपसी देखभाल का एक स्वतंत्र और मुक्त करनेवाला रिश्ता।
शांति के चिन्ह
मानवीय दयालुता कभी-कभी धोखा खा जाती है। उदाहरण के लिए, जब स्वतंत्रता का आह्वान जीवन देने के लिए नहीं, बल्कि इसे छीनने के लिए किया जाता है, मदद करने के लिए नहीं, बल्कि चोट पहुँचाने के लिए। फिर भी बुराई का सामना करने और जीवन लेने के बावजूद, येसु हमारे लिए पिता से प्रार्थना करना जारी रखते हैं। उनकी प्रार्थना हमारे घावों के लिए मरहम का काम करती है; यह हमें क्षमा और मेल-मिलाप के बारे बताती है। वह प्रार्थना माता-पिता, दादा-दादी, बेटे और बेटियों के रूप में एक-दूसरे के प्रति हमारे प्रेम के अनुभव को पूरी तरह से सार्थक बनाती है। यही हम दुनिया को घोषित करना चाहते हैं: हम यहाँ “एक” होने के लिए हैं जैसा कि प्रभु चाहते हैं कि हम “एक” हों, अपने परिवारों में और उन जगहों पर जहाँ हम रहते हैं, काम करते हैं और अध्ययन करते हैं। अलग-अलग, फिर भी एक; कई, फिर भी एक; हमेशा, हर स्थिति में और जीवन के हर चरण में।
प्रिय मित्रो, यदि हम इस तरह से एक दूसरे से प्रेम करते हैं, मसीह से संयुक्त हैं, जो "अल्फा और ओमेगा" हैं, "शुरु और अंत" (प्रकाशना 22:13), तो हम समाज और दुनिया में सभी के लिए शांति के चिन्ह होंगे। हमें यह नहीं भूलना चाहिए: परिवार मानवता के भविष्य का पालना हैं।
हाल के दशकों में, हमें एक ऐसा चिन्ह मिला है जो हमें खुशी से भर देता है लेकिन साथ ही हमें सोचने पर भी मजबूर करता है। कई पति-पत्नी को अलग-अलग नहीं बल्कि विवाहित जोड़ों के रूप में संत घोषित किया गया है। मैं लुइस और ज़ेली मार्टिन की याद करता हूँ, जो बालक येसु की संत तेरेसा के माता-पिता थे; और धन्य लुइगी और मरिया बेल्ट्रामे क्वात्रोची, जिन्होंने पिछली सदी में रोम में एक परिवार का पालन-पोषण किया। और हमें पोलैंड के उल्मा परिवार को नहीं भूलना चाहिए: जिसमें माता-पिता और बच्चे, प्रेम और शहादत में एकजुट रहे।
यह एक ऐसा संकेत है जो हमें सोचने पर मजबूर करता है। विवाहित जीवन के आदर्श गवाहों के रूप में उनकी ओर इशारा करते हुए, कलीसिया हमें बताती है कि आज की दुनिया को ईश्वर के प्रेम को जानने और स्वीकार करने तथा अपनी एकीकृत और मेलमिलाप करनेवाली शक्ति के कारण, रिश्तों और समाजों को तोड़ने वाली ताकतों को हराने के लिए विवाह अनुबंध की आवश्यकता है।
माता-पिता, बच्चों और दादा-दादी को पोप की सलाह
इस कारण से, कृतज्ञता और आशा से भरे हृदय के साथ, मैं सभी विवाहित जोड़ों को याद दिलाना चाहूँगा कि विवाह एक आदर्श नहीं है, बल्कि एक पुरुष और एक महिला के बीच सच्चे प्रेम का माप है: एक ऐसा प्रेम जो संपूर्ण, विश्वासयोग्य और फलदायी हो ( संत पॉल VI, ह्यूमाने विते, 9)। यह प्रेम आपको एक शरीर बनाता है और ईश्वर की छवि में आपको जीवन का उपहार देने में सक्षम बनाता है।
मैं आपको प्रोत्साहित करता हूँ कि आप अपने बच्चों के लिए ईमानदारी के उदाहरण बनें, जैसा आप चाहते हैं वैसा ही व्यवहार करें, उन्हें आज्ञाकारिता के माध्यम से स्वतंत्रता में शिक्षित करें, हमेशा उनमें अच्छाई देखें और उसे पोषित करने के तरीके खोजें।
और आप, प्यारे बच्चों, अपने माता-पिता के प्रति कृतज्ञता दिखाएँ। जीवन के उपहार और इसके साथ आनेवाली सभी चीज़ों के लिए हर दिन "धन्यवाद" कहना आपके पिता और आपकी माँ का सम्मान करने का पहला तरीका है (निर्मगम 20:12)। अंत में, प्यारे दादा-दादी और बुज़ुर्गो, मैं सलाह देता हूँ कि आप अपने प्रियजनों की प्रज्ञा और करुणा के साथ तथा उम्र से आनेवाली विनम्रता और धैर्य के साथ देखभाल करें।
परिवार ईश्वर से मिलने का स्थान
परिवार में, विश्वास, जीवन के साथ-साथ पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता है। इसे परिवार की मेज़ पर भोजन की तरह और हमारे दिलों में प्यार की तरह साझा किया जाता है। इस तरह, परिवार येसु से मिलने का विशेष स्थान बन जाते हैं, जो हमसे प्यार करते हैं और हमेशा हमारी भलाई चाहते हैं।
संत पापा ने अंत में कहा, “मैं एक आखिरी बात जोड़ना चाहता हूँ। ईश्वर के पुत्र की प्रार्थना, जो हमें हमारी यात्रा में आशा देती है, हमें यह भी याद दिलाती है कि एक दिन हम सभी एक उद्धारकर्ता में एक हो जायेंगे, ईश्वर के शाश्वत प्रेम से आलिंगन किये जायेंगे। न केवल हम, बल्कि हमारे पिता, माता, दादी, दादा, भाई, बहन और बच्चे जो हमसे पहले ही उनके शाश्वत पास्का के प्रकाश में चले गए हैं, और जिनकी उपस्थिति को हम यहाँ, हमारे साथ, उत्सव के इस क्षण में महसूस करते हैं।
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