फ्रांसिस्कन और ट्रिनिटेरियन धर्मसमाजियों से सन्त पापा लियो
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 20 जून 2025 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में शुक्रवार को फ्रायर्स माइनर कॉन्वेंचुअल तथा मोस्ट होली ट्रिनिटी एवं कैप्टिव्स धर्मसमाजों के सदस्यों को सम्बोधित कर सन्त पापा लियो 14 वें ने इन धर्मसमाजों की सेवा प्रेरिताई के महत्व पर प्रकाश डाला।
योगदान
फ्राँसिसकन एवं ट्रिनिटेरियन धर्मसमाजों के सदस्यों का अभिवादन कर सन्त पापा ने रोम स्थित सन्त जॉन लातेरान में प्रतिस्थापित उस चित्र का स्मरण दिलाया जिसमें सन्त पापा इनोसेन्ट तृतीय के साथ उक्त दोनों धर्मसमाजों के संस्थापकों यानि सन्त फ्राँसिस और सान हुवान दे माता का साक्षात्कार करते दर्शाया गया है। उन्होंने कहा कि इस तस्वीर में सन्त फ्राँसिस घुटनों के बल एक बृहत ग्रन्थ को हाथों में पकड़े दर्शाये गये हैं, मानों अनुरोध कर रहे हों कि धर्मसमाजी जीवन के सुधार में उनके महान योगदान का सन्त पापा सम्मान करें। इसी चित्र में सान हुवान दे माता खड़े हैं और अपने हाथ में वह नियम पकड़े हुए हैं जिसे उन्होंने सन्त पापा के साथ मिलकर तैयार किया था।
सन्त फ्राँसिस की विनम्रता
सन्त पापा ने कहा कि चित्र में दर्शाया गया सन्त फ्राँसिस का व्यवहार कलीसिया के प्रति उनकी विनम्रता को प्रदर्शित करता है, जो अपनी परियोजना को अपनी नहीं बल्कि ईश्वरीय उपहार के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जबकि संत हुवान दे माता अध्ययन और विवेक के बाद स्वीकृत पाठ को ईश्वर द्वारा प्रेरित आवश्यक कार्य के रूप में दिखाते हैं। सन्त पापा ने कहा कि दोनों ही दृष्टिकोण, एक एक दूसरे के सम्पूरक हैं और उस सेवा के लिए एक दिशानिर्देश हैं जो पवित्र धर्मपीठ ने आरम्भ से अब तक सभी करिश्मों के पक्ष में किया है।
सेवा का मार्ग
सन्त पापा ने कहा कि ईश्वर ने इन दोनों संतों को न केवल सेवा का आध्यात्मिक मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित किया, बल्कि इनमें ऐसी इच्छा को भी जागृत किया ताकि पवित्रआत्मा द्वारा सन्त पेत्रुस के उत्तराधिकारी को प्राप्त उपहार को कलीसिया के लिए उपलब्ध कराया जा सके।
उन्होंने कहा कि संत फ्रांसिस ने बिलाशर्त, बिना किसी अन्य उद्देश्य के, बिना किसी अस्पष्टता या बनावटीपन के येसु का अनुसरण करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसी प्रकार हुवान दे माता ने ईशसत्य को उन शब्दों के साथ व्यक्त किया जो बाद में मौलिक साबित हुए और जिन्हें संत फ्रांसिस ने अपना बना लिया।
इसका एक अच्छा उदाहरण, सन्त पापा ने कहा, “अपनी खुद की किसी भी चीज़ के बिना” जीना, “जेब में या दिल में कुछ भी छिपाए बिना”, जैसा कि सन्त पापा फ्रांसिस ने पवित्र आत्मा को समर्पित धर्मसमाज के सदस्यों को 5 दिसम्बर 2024 को सम्बोधित शब्दों में रेखांकित किया था।
समर्पण और सेवा
सन्त पापा ने कहा कि दोनों ही धर्मसमाजों ने अपने समर्पण को सेवा में बदलने की आवश्यकता को व्यक्त किया, ताकि जो स्वतः को श्रेष्ठ मानता है वह सभी का सेवक बन सके। सन्त पापा ने कहा कि यह तथ्य दिलचस्प है कि सन्त मत्ती रचित सुसमाचार के 20 वें अध्याय के 27 वें पदः "जो तुममें प्रधान होना चाहता है वह सबका सेवक बने" ने किस प्रकार इन धर्मसमाजों की शब्दावली को प्रभावित किया तथा इन्हें सेवा की ओर प्रेरित किया।
सन्त पापा लियो ने उक्त दोनों धर्मसमाजों में व्याप्त सेवा प्रेरिताई की भूरि-भूरि प्रशंसा की तथा इनके सभी कार्यों पर प्रभु ईश्वर की आशीष की मंगलयाचना की।
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