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संत पापा लियो - पेन्तेकोस्त के मिस्सा बलिदान में संत पापा लियो - पेन्तेकोस्त के मिस्सा बलिदान में 

संत पापा लियोः पवित्र आत्मा बंधनों को तोड़ परिवर्तन लाते हैं

संत पापा लियो ने पवित्र आत्मा के उतरने का त्योहारः पेन्तेकोस्त महापर्व का मिस्सा बलिदान अर्पित करते हुए अपने प्रवचन में कहा कि पवित्र आत्मा हमारे आंतरिक बंधनों को तोड़ते और हममें परिवर्तन लाते हैं।

वाटिकन सिटी

संत पापा लियो ने पेन्तेकोस्त महापर्व का यूख्ररीस्तीय बलिदान संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में अर्पित किया।

संत पापा ने संत अगुस्टीन को उद्धृत करते हुए अपने प्रवचन की शुरूआत की और कहा, “हमारे लिए दिन का उदय हुआ है जब... पुनरूत्थान के उपरांत स्वर्गारोहण में महिमान्वित हुए येसु ख्रीस्त ने पवित्र आत्मा को भेजा।” आज भी वे चीजें जो पिछली व्यारी की कोठरी में घटित हुई नये रुप में हमारे बीच में घटित होती हैं। हवा का एक भारी झोंका हमारे बीच आता है, एक घड़घड़ाहट, एक आग हमें प्रकाशित करती है, पवित्र आत्मा का उपहार हमारे ऊपर उतरता है।

पवित्र आत्मा के कार्य

जैसे की हमने प्रथम पाठ में सुना, पवित्र आत्मा प्रेरितों के जीवन में कुछ अतिविशेष चीज को पूरा करते हैं। येसु की मृत्यु उपरांत वे अपने को दरवाजे के अंदर भय और उदासी में बंद कर लेते हैं। अब उन्हें एक नये रूप में चीजों को देखने, समझते की शक्ति मिलती है, एक गहरी समझ जहाँ वे अतीत की घटनाओं को और पुनरूजीवित येसु की उपस्थिति को अपने बीच अंतरंग रुप में अनुभव करते हैं। पवित्र आत्मा उनके बीच से भय को दूर करता है, उनके आंतिरक बंधनों को तोड़ता, घावों की चंगाई करता, उन्हें साहस से अभियंजित करता और ईश्वर के महान कार्यों को बाहर जाते हुए घोषित करने की शक्ति प्रदान करता है।

संत पापा ने कहा कि पहले पाठ अनुसार उस समय येरुसालेम में असंख्य पृष्ठभूमि के लोग रहते थे यद्यपि हरएक उन्हें अपनी-अपनी मातृभाषा में बातें करते सुन रहा था। एक शब्द में, पेन्तेकोस्त के दिन, अंतिम व्यारी के द्वार खुले जाते हैं क्योंकि पवित्र आत्मा सीमाओं को खोलते हैं। जैसे संत पापा बेनेदिक्त 16वें कहते हैं, “पवित्र आत्मा हमें समझ प्रदान करते हैं। आत्मा उस “विभाजन” पर विजय प्राप्त करते हैं जो बाबेल में शुरू हुआ था, अर्थात् मन और हृदय की उलझन को एक दूसरे के दूर करना जो हमारे बीच विरोध उत्पन्न करती है। पवित्र आत्मा सीमाओं को खोलते हैं... कलीसिया को सदैव नवीन बनने की जरुरत है जैसा कि वह सदैव अपने में है। वह लोगों के लिए सीमाओं को खोले और लोगों के बीच से वर्ग और जाति की दीवारों को तोड़े। उसमें हम किसी को परित्यक्त और अस्वीकृत नहीं पा सकते हैं। कलीसिया में सिर्फ येसु ख्रीस्त में मुक्ति प्राप्त नर और नारियाँ, उसके भाई-बहन होते हैं।

हमारी सीमाओं का खुलना

संत पापा ने अपने चिंतन में कहा कि पवित्र आत्मा हमारी सीमाओं को, सर्वप्रमथम हमारे हृदय को खोलते हैं। वे उपहार हैं जो हमारे हृदय को प्रेम के लिए खोलते हैं। उनकी उपस्थिति हमारे लिए हृदय की कठोरता को दूर करती है, हमारे मन की संकीर्णता, स्वार्थ को तोड़ती, हमारे भय को जो हमें गुलाम बनाती और अपने में सीमित होने के भाव को दूर करती है। पवित्र आत्मा हमें चुनौती प्रदान करने आते हैं, हमें इस संभावना का सामना करने के लिए प्रेरित करते हैं कि हमारा जीवन सिकुड़ रहा है, व्यक्तिवाद के भंवर में फंस रहा है। दुःख की बात है कि सामाजिक संचार माध्यम की इस दुनिया में, हम अपने में अकेले रहने की जोखिम में पड़ जाते हैं। सदैव जुड़े रहते हुए भी हम नेटवर्क में एक साथ कार्य करने में अयोग्य होते हैं। हम सदैव भीड़ में डूबे रहते यद्यपि भ्रमित और अकेले रहते हैं।

ईश्वर का आत्मा हमें एक नये रुप में अपने जीवन को जीने और अनुभव करने में मदद करता है। वे हमें अपने सारे मुखौटों के पीछे आंतरिक भावनाओं से संयुक्त रहने में मदद करता है। वे आनंद के उपहार को अनुभव करते हुए ईश्वर से मिलन हेतु हमें शिक्षा देते हैं। वे हमें सुनिश्चितता प्रदान करते हैं जैसे कि हमने सुना कि सिर्फ प्रेम में बने रहने के द्वारा हम विश्वासी बने रहने की शक्ति प्राप्त करते हैं जो हमें परिवर्तित करता है। पवित्र आत्मा हमारी आंतिरक सीमाओं को खोलते हैं जिससे हमारा जीवन स्वागत और नवीनता का स्थल बन सके।

दूसरों के संग हमारे संबंध की सीमाएं

पवित्र आत्मा दूसरों के संग हमारे संबंध की सीमाओं को खोलता है। येसु इसे अपने और पिता के बीच में प्रेम का उपहार कहते हैं जो हमारे बीच में निवास करने आते हैं। इसके द्वारा हम अपने बीच में व्याप्त कठोरता, विभिन्नता के कारण भय और अपने मनोभावों, निपुणता हासिल करने की भावना से ऊपर उठते और अपन हृदयों को दूसरों के लिए खोलने के योग्य बनाते हैं। आत्मा उन गहरे, छिपे हुए खतरों को भी बदल देती है जो हमारे रिश्तों को बिगाड़ते हैं, जैसे संदेह, पूर्वाग्रह या दूसरों के संग हेरफेर करने की इच्छा। संत पापा ने उन मामलों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की जहाँ रिश्तों में वर्चस्व की अस्वस्थ इच्छा, एक ऐसा रवैया जो अक्सर हमें हिंसा की ओर अग्रसर करता है, उन्होंने, हाल ही में महिलाओं की हत्या के कई मामलों के प्रति चिंता जाहिर की।

संत पापा लियोः पवित्र आत्मा हममें परिवर्तन लाते हैं

पवित्र आत्मा हममें प्रौढ़ता के फल लाते हैं जिसके फलस्वरुप हमें अपने में अच्छा और स्वास्थ्यजनक संबंध- प्रेम, खुशी, शांति, धैर्य, कोमलता, उदारता, विश्वास, विनम्रता और संयम विकास करते हैं। इस भांति आत्मा हमारे संबंधों के दायरे को विस्तृत करता और हमें भातृत्व की खुशी हेतु खोलता है। यह कलीसिया के लिए भी एक महत्वपूर्ण मानदंड है। क्योंकि हम, वास्तव में, पुनर्जीवित प्रभु की कलीसिया और पेन्तेकोस्त के शिष्य हैं यदि हमारे बीच कोई सीमा या विभाजन नहीं है; यदि हम कलीसिया में एक-दूसरे से संवाद करने और एक-दूसरे को स्वीकारने और अपनी विविधताओं को स्वीकारने हेतु सक्षम होते हैं; यदि कलीसिया में हम सभी के लिए स्वागत और आतिथ्य हेतु जगह बन जाते हैं।

लोगों के मध्य सीमाएं

संत पापा ने कहा कि पवित्र आत्मा लोगों के बीच की सीमा को खोलते हैं। पेन्तेकोस्त में, हम शिष्यों को उनकी भाषाएँ बोलते सुनते हैं जिनसे वे मिलते हैं और इस भांति बाबेल में उत्पन्न हुई भ्रम की स्थिति पवित्र आत्मा के द्वारा अंततः खत्म होती है। जब ईश्वर की सांसें हमारे हृदयों को जोड़ती और दूसरों को अपने भाई-बहनों के रूप में देखने में मदद करती है तो हम अपने बीच से भिन्नता और विभाजन को दूर पाते हैं, बल्कि यह हमें एक साझा विरासत के भागीदार बनाता है जिसका हम लाभ उठाते, जो हमें भाईचारे में एक साथ यात्रा करने को मदद करती है।

पवित्र आत्मा हमारे बीच से विभिन्नताओं की दीवारों और घृणा को खत्म करते हैं क्योंकि वह हमें सारी बातों की शिक्षा देते और हमें येसु के वचनों की याद दिलाते हैं। वे हमें पढ़ते, याद दिलाते और हमारे हृदयों में प्रेम के नियमों को अंकित करते हैं जिसे ईश्वर ने हमें दिया है जो सारी चीजों से ऊपर है। जहाँ प्रेम है वहाँ पूर्वाग्रह का कोई स्थान नहीं, क्योंकि सुरक्षित स्थल हमें पड़ोसियों से अलग करते हैं, क्योंकि हम बहिष्कारवादी मानसिकता को अब राजनीतिक राष्ट्रवाद में भी उभरते हुए देख रहे हैं।

दुनिया की स्थिति

संत पापा फ्रांसिस के शब्दों को उद्धृत करते हुए संत पापा लियो ने कहा कि दुनिया में आज, बहुत अधिक असहमति है, बहुत अधिक विभाजन है। हम एक-दूसरे से संयुक्त हैं यद्यपि एक-दूसरे से अपने को अलग पाते हैं, हम उदासीनता और अकेलेपन से भरे हैं। हमारी दुनिया में व्याप्त युद्ध इसके दुखद संकेत हैं। संत पापा ने प्रेम और शांति की आत्मा का आह्वान किया, ताकि सीमाएं, दीवारें तोड़ी जा सकें, घृणा हमसे दूर हो सके और हम स्वर्ग में रहने वाले एक पिता की संतान स्वरूप जीवनयापन कर सकें।

पेन्तेकोस्त कलीसिया और विश्व को नवीन बनती है। पवित्र आत्मा की तीक्ष्ण वायु हमारे ऊपर और अन्दर आये, हमारे हृदयों की सीमाओं को खोले, ईश्वर से मिलन की कृपा प्रदान करे, प्रेम की हमारी क्षितिज को विस्तृत करे और शांतिमय विश्व के निर्माण में हमारे प्रयास को बनाये रखने में मदद करे।

अति पवित्र मरियम, पेन्तोकोस्त की नारी, पवित्र आत्मा के द्वारा भेंट की गई कुंवारी, कृपा से परिपूर्ण माता, हमारे संग चलें और हमारे लिए निवेदन करें।

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09 जून 2025, 10:27