संत पापा लियोः येसु हमारी पुकार सुनते हैं
वाटिकन सिटी
प्रिय भाइयो एवं बहनो, संत पापा ने कहा कि इस धर्मशिक्षा माला में आप सभों का ध्यान मैं येसु ख्रीस्त के जीवन की एक अन्य महत्वपूर्ण विषयवस्तु की ओर आकर्षित कराना चाहूँगा खासकर उनकी चंगाइयों पर। अतः मैं आप सभी को इस बात के लिए निमंत्रण देता हूँ कि आप येसु ख्रीस्त के हृदय के सामने अपने जीवन की उस सबसे दर्द भरी और संवेदनशील क्षणों को लायें, जीवन के उन क्षणों को जहाँ आप अपने को फंसा और बाधित पाते हैं। आइए हम भरोसेमय रूप में ईश्वर से निवेदन करें कि वे हमारी रूदन को सुनें और हमें चंगाई प्रदान करें।
बरतिमेयुस- अंधा भिखारी
इस चिंतन में वह व्यक्तित्व जो हमें आगे ले चलता है, हमें इस बात को समझने में मदद करे कि हम अपने जीवन में कभी आशा का परित्याग न करें, उन परिस्थितियों में भी जहाँ हम अपने को खोया पाते हैं। वह व्यक्ति हमारे लिए बरतिमेयुस, एक अंधा और भिखारी है, जिसकी मुलाकात येसु से येरीखो में होती है। स्थान हमारे लिए महत्वपूर्ण है- येसु अपनी यात्रा येरूसालेम की ओर करते हैं, वे इसकी शुरूआत करते हैं, कहा जाये, येरीखो की अपराध भऱी दुनिया में, एक शहर जो समुद्र तल से नीचे बसा है। वास्तव में, येसु अपनी मृत्यु के द्वारा, आदम के गिरे हुए उस धरालत में उतरते हैं जिससे वे उन्हें उठा सकें जो हममें से हर किसी का प्रतिनिधित्व करता है।
बरितिमेयुसः सम्मान या प्रशंसा का पुत्र
संत पापा ने कहा कि बरतिमेयुस का अर्थ है “थेमेयुस का पुत्र”, हम उस व्यक्ति को एक संबंध से वर्णित पाते हैं जो फिर भी अपने में नटकीय रुप में अकेले है। यद्यपि इस नाम का अर्थ “सम्मान या प्रशंसा का पुत्र” भी कहा जा सकता है, लेकिन वह अपने को ठीक उस परिस्थिति के विपरीत पाता है। और क्योंकि नाम को हम यहूदी संस्कृति में बहुत अधिक महत्वपूर्ण पाते हैं, इसका अर्थ यह है कि बरतिमेयुस अपने जीवन को उसकी मांग के अनुरुप जीने में असफल है।
तब हमें पाते हैं कि लोगों की भीड़ के विपरीत जो येसु के पीछे चल रहते होते हैं, जबकि बरतिमेयुस अपने में जड़ित है। सुसमाचार लेखक हमें बतलाते हैं कि वह राह के किनारे बैठता है, और उसे किसी व्यक्ति की जरुरत है जो उसे पैरो में खड़ा होने और उसे चलने को मदद करता हो।
सच्ची चाह हेतु सच्चा मनोभाव
संत पापा लियो ने कहा कि जब हम अपने को एक ऐसी स्थिति में पाते जहाँ हमें कोई आशा दिखाई नहीं देती तो हम क्या कर सकते हैं। बरतिमेयुस हम इस बात की शिक्षा देते हैं कि हम अपने अंदर व्याप्त उन साधनों का उपयोग करें जो हमारे जीवन का एक अंग है। वह एक भिक्षु है, वह जानता है कि किस तरह मांगा जाता है, वास्तव में- वह चिल्ला सकता है। यदि आप सचमुच किसी चीज की चाह करते हैं, तो उसे प्राप्त करने हेतु आप किसी भी हद तक जाते हैं, चाहे दूसरे आप को गाली ही क्यों न दें, आप को आपमानित करते हुए उसे छोड़े की बात ही क्यों न कहें- यदि आप सचमुच में उसकी चाह रखते हैं तो आप उसके लिए चिल्लाना जारी रखते हैं।
बरतिमेयुस की पुकार, जिसे हम संत मारकुस के सुसमाचार में पाते हैं, “येसु, दाऊस के पुत्र, मुझ पर दया कर।” पूर्वी रीति में एक प्रसिद्ध प्रार्थना बन गई है, जिसे हम भी कह सकते हैं, “प्रभु येसु ख्रीस्त, ईश्वर के पुत्र, मुझ पापी पर दया कर।”
हमारी पुकार सुनी जाती है
संत पापा लियो ने कहा कि बरतिमेयुस अपने में दृष्टिहीन है, लेकिन इसके विपरीत हम उसे दूसरों से बेहतर नजरों से देखता पाते हैं, और वह येसु को पहचानता है कि वे कौन हैं। उसकी पुकार के सामने, येसु रूकते हैं और उसे अपने पास लाने को कहते हैं क्योंकि कोई भी ऐसी पुकार नहीं जिसे ईश्वर नहीं सुनते हों, यहाँ तक की ऐसी परिस्थितियों में भी जब हम अचेतन में भी उन्हें पुकारते हैं। यह हमारे लिए विचित्रित लगता है, उस अंधे व्यक्ति के सामने, येसु तुरंत नहीं जाते हैं, हम थोड़ा विचार करें, ऐसा करने के द्वारा वे बरतिमेयुस के जीवन को पुनः क्रियाशील करना चाहते हैं- वह उसे उछल कर अपने में खड़ा होने की चाह रखते हैं, वे उसके चलने की योग्यता पर विश्वास करते हैं। वह व्यक्ति अपने पैरों पर पुनः खड़ा हो सकता है, वह मृत्यु के मुँह से उठ सकता है। लेकिन ऐसा करने के लिए उसे अपने में एक अर्थपूर्ण कार्य करने की जरुरत है- उसे अपनी चादर को अपने से फेंकने की आवश्यकता है।
चादर का अर्थ
एक भीखारी के लिए चादर अपने में सब कुछ है- वह उसकी सुरक्षा है, यह उसका घर है, यह उसके लिए वह सुरक्षा है जो उसकी रक्षा करता है। यहाँ तक कि संहिता भी भिखारी के चादर की रक्षा करता है और इस बात पर जोर देता है कि यदि यह एक प्रतिज्ञा स्वरुप ली गई है तो उसे शाम तक लौटाने की जरुरत है। और फिर भी, कई बार, यह हमारी सुरक्षा के मार्ग में आती है- जिसे हम खुद का बचाव करने के लिए पहनते और जो हमें आगे बढ़ने से रोकती है। येसु के पास जाने और चंगाई प्राप्त करने हेतु बरतिमेयुस को चाहिए कि वह पूरी संवेदनशीलता में उनके पास आये। यह हमारे लिए चंगाई प्राप्त करने की यात्रा का मूलभूत कदम है।
हम “पुनः देखें”
संत पापा ने कहा कि येसु के द्वारा पूछे जाने वाला सवाल भी हमारे लिए विचित्र लगता है, “तुम क्या चाहते हो, मैं तुम्हारे लिए क्या करूॽ” लेकिन वास्तव में, ऐसा होता है कि हम अपनी बीमारियों से ठीक होना नहीं चाहते हैं, क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि हम अपने में जिम्मेदारियाँ लेना नहीं चाहते हैं बल्कि स्थिर रहना पसंद करते हैं। बरतिमेयुस उत्सुकता में जबाव देते हैं, अनाबेलपेन जिसका अर्थ है- “पुनः देखना” लेकिन इसे हम “ऊपर देखने” के रुप में भी अनुवाद कर सकते हैं। वास्तव में, बरतिमेयुस केवल पुनः देखने की चाह नहीं रखता बल्कि वह अपने सम्मान को पुनः पाना चहता है। ऊपर देखने के लिए हमें अपने सिर को उठाने की जरुरत है। कई बार लोग अपने जीवन में अटक जाते हैं क्योंकि जीवन उन्हें अपमानित कर देता है और वे स्वयं अपने जीवन के मूल्य को पुनः हासिल करना चाहते हैं।
यह विश्वास है जो बरतिमेयुस को और हममें से हर किसी को बचाता है। येसु हमें चंगाई प्रदान करते हैं जिससे हम स्वतंत्र हो सकें। वे बरतिमेयुस को अपने पीछे आने का निमंत्रण नहीं देते बल्कि जाने, अपने जीवन के मार्ग में आगे बढ़ने को कहते हैं। सुसमाचार लेखक यद्यिप इस कहानी का अंत यह कहते हैं कि बरतिमेयुस येसु के पीछे हो लेता है, वह स्वतंत्र रूप में उनका अनुयायी बन जाता है जो अपने में एक मार्ग हैं।
प्रिय भाइयो एवं बहनो, संत पापा लियो ने कहा कि हम भरोसे के साथ अपनी बीमारियों को येसु के सामने लाये और उन्हें जिन्हें हम प्रेम करते हैं, आइए हम उनके दुःख को येसु के पास लाये जो अपने में खोया, मार्गहीन अनुभव करते हैं। हम उनके लिए भी पुकारे और येसु निश्चित रुप से सुनेंगे और हमारे लिए रूकेंगे।
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