चेंतेसिमुल अन्नुस फाऊंडेशन से पोप लियो 14वें : ‘गरीबों की आवाज बनें’
वाटिकन सिटी, शनिवार, 17 मई 2025 (रेई) : चेंतेसिमुस अन्नुस परमधर्मपीठीय फाउंडेशन 15-17 मई तक रोम में अपनी 2025 की आमसभा और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग ले रहा है, जहाँ उन्होंने अंतिम दिन पोप लियो 14वें के साथ एक व्यक्तिगत मुलाकात की।
सम्मेलन की विषयवस्तु थी "ध्रुवीकरण पर काबू पाना और वैश्विक शासन का पुनर्निर्माण: नैतिक नींव" और पोप ने अपने संदेश को कलीसिया के सामाजिक सिद्धांत के मुख्य विषय के संबंध पर केंद्रित किया।
संवाद के सेतु बनाएँ
पोप लियो ने फाउंडेशन के सदस्यों को उस मिशन में एक-दूसरे की मदद करने की चुनौती दी, जिसके बारे में उन्होंने उस रात बात की थी, जिस रात वे चुने गए थे: "वार्ता के द्वारा, मुलाकात के जरिए पुल बनाएँ - सभी लोगों को एक व्यक्ति होने के लिए एकजुट करें, हमेशा शांति में रहें।"
उन्होंने उन्हें याद दिलाया कि यह कोई अचानक या आकस्मिक होनेवाली बात नहीं है। बल्कि, इसके लिए अनुग्रह और स्वतंत्रता दोनों के संयोजन की आवश्यकता होती है।
"बहुसंकट" का समय
अपने संबोधन में, पोप ने अपने पूर्वाधिकारी पोप लियो 13वें को याद किया, जिन्होंने इतिहास में अपने समय के संघर्षों के बीच "सामाजिक संवाद को बढ़ावा देकर शांति में योगदान देने की कोशिश की थी।”
पोप लियो 13वें को अक्सर उनके विश्वपत्र, रेरूम नोवारूम के साथ सामाजिक सिद्धांत का जनक कहा जाता है। संत पापा ने कहा कि आधुनिक समय भी इससे अलग नहीं है। उन्होंने याद किया कि कैसे पोप फ्राँसिस ने इसे युद्ध, जलवायु संकट, बढ़ती असमानता, जबरन पलायन, गरीबी और कम होते अधिकारों से भरा "बहुसंकट" बताया था।
इन सामाजिक, पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियों के बीच, कलीसिया का सामाजिक सिद्धांत "व्याख्यात्मक कुंजियाँ प्रदान करता है जो विज्ञान और विवेक को संवाद में लाता है।"
पोप लियो 14वें ने फाऊंडेशन के सदस्यों को याद दिलाया कि समस्याओं से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि लोग उनका जवाब किस तरह देते हैं—“नैतिक सिद्धांतों, मूल्यांकन के लिए सही मानदंडों का प्रयोग करके और ईश्वर की कृपा के प्रति खुले रहकर।”
आज की दुनिया में सामाजिक सिद्धांत
अपने संदेश में, पोप लियो 14वें ने आज की चल रही डिजिटल क्रांति में “आलोचनात्मक सोच में शिक्षा देने के मिशन को फिर से खोजने, स्पष्ट करने और विकसित करने” की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने संवाद को कम होने देने और तर्कहीन आवाजों को फेक न्यूज फैलाने और कट्टर दावे करने के खिलाफ़ चेतावनी दी।
उन्होंने कहा कि ऐसा करने के लिए, "अध्ययन और विचारशील चिंतन आवश्यक है - साथ ही गरीबों से मिलना और उनकी बात सुनना भी जरूरी है।"
पोप ने तर्क दिया कि गरीब लोग कलीसिया और मानवता दोनों के लिए खजाने हैं क्योंकि वे ऐसे दृष्टिकोण प्रदान करते हैं, जिन्हें “अक्सर खारिज कर दिया जाता है, फिर भी ईश्वर की नजर से दुनिया को देखने के लिए वे महत्वपूर्ण हैं।”
पोप लियो 14वें ने जोर देकर कहा, "गरीबों को आवाज दें।" उन्होंने फाउंडेशन को "इस भयंकर सामाजिक उथल-पुथल के समय में, सभी को ध्यान से सुनने और खुले संवाद के माध्यम से, ईश्वर के लोगों के साथ मिलकर कलीसिया के सामाजिक सिद्धांत को विकसित करने में सक्रिय रूप से और रचनात्मक रूप से भाग लेने" के लिए आमंत्रित किया।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here