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संत पापा लियो पूर्वी कलीसिया के सदस्यों संग संत पापा लियो पूर्वी कलीसिया के सदस्यों संग  (ANSA)

संत पापा लियोः कलीसिया को आपकी जरुरत है

संत पापा लियो14वें ने 14 मई को पूर्वी कलीसियाओं को आशा की जयंती के अवसर पर संदेश में अद्वितीय आध्यात्मिकता और और ज्ञान संबंधी परंपराओं को संजोकर कर रखने का आहृवान किया।

वाटिकन सिटी

संत पापा लियो ने संत पापा पौल षष्ठम के सभागार में उपस्थिति सभी कार्डिनलों, प्राधिधर्माध्यक्षों पुरोहितों, लोक धर्मियों का अभिवादन करते हुए कहा कि प्रभु जी उठे हैं, वे सचमुच में जी उठे हैं। पूर्वी ख्रीस्तीयों के बहुत-सी भूमि में पास्का की यह घोषणा निरंतर ध्वनित होती है जो हमारे विश्वास और आशा का हृदय स्थल है। आप को आशा की जयंती के अवसर पर यहाँ देखना मुझे प्रभावित करता है। आप सभों का रोम में स्वागत है। आप सभों का आना और मेरे परमाध्यक्षीय काल के प्रथम आमदर्शन समारोह को पूर्वी कलीसिया के विश्वासियों के लिए समर्पित करना मुझे आनंदित करता है।

हम ईश्वर की नजरों में मूल्यवान हैं

संत पापा लियो ने कहा, आप ईश्वर नि नजरों में मूल्यवान है। आप को देखते हुए मुझे आप की उत्पत्ति, महिमा इतिहास और बहुत से समुदायों को हुई निरंतर प्रताड़ना की याद आती है। उन्होंने पूर्वी कलीसियों के लिए संत पापा फ्राँसिस के विचारों को सुदृढ़ता प्रदान करते हुए कहा कि हमें इसकी अद्वितीय आध्यात्मिकता और और ज्ञान संबंधी परंपराओं को संजोकर कर रखने की जरुरत है और इसके साथ ही ख्रीस्तीय जीवन, सिनोडलिटी और धर्मविधि को। हम पूर्ववर्ती आचार्यों, धर्मसभों और मठवासी जीवन की याद करते हैं जो कलीसिया के लिए अमूल्य निधि हैं।

संत पापा लियो ने अपने पूर्ववर्ती संत पापा लियो 13वें के बारे में, जो प्रथम पापा थे जिन्होंने कलीसिया के लिए एक विशिष्ट सम्मानित दस्तावेज जारी करते हुए कहा, “मानव मुक्ति के कार्य पूर्व में शुरू हुए।” कलीसिया के जन्म के संदर्भ में आप निश्चित ही अपने में एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण भूमिका वहन करते हैं। आप के द्वारा अनुष्ठान किये जाने वाली बहुत सारी धर्मविधियाँ जिसे आप रोम में समारोही अनुष्ठान के दौरान करते हैं अपने में निरंतर येसु ख्रीस्त की भाषा का उपयोग है। वास्तव में, संत पापा लियो 13वें  ने हृदय से अपील की थी कि "पूर्वी रीति की पूजन पद्धति और कार्य शैली... कलीसिया के लिए महान सम्मान और लाभ का कारण बन सकती है।" उनकी इच्छा सदैव सामयिक रही है। वर्तमान समय में, पूर्वी कलीसिया के बहुत से भाई-बहनों जिनमें से कुछ आप भी हैं युद्ध और सतावट, अनिश्चितता और गरीबी के कारण अपनी मातृभूमि से पलायन करते हुए, पश्चिम में पहुंचकर न केवल अपनी सरजमीं को बल्कि धार्मिक पहचान को खोने की जोखिम में पड़ गये हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि आप पूर्वी कलीसियाओं की अनमोल संस्कृति खोने की स्थिति में आ जाते हैं। 

पूर्वी रीतियों को सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण

सौ साल पहले लियो 13वें ने हमारा ध्यान इस ओर इंगित कराया कि पूर्वी रीतियों को साधारण पहचान देने की अपेक्षा उसे सुरक्षित रखना हमारे लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने यहां तक ​​आदेश दिया कि “कोई भी लातीनी रीति प्रेरित, चाहे वह सामाजिक या याजकीय सदस्य हो, जो सलाह या समर्थन से किसी पूर्वी-रीति काथलिक को लातीनी रीति में शामिल करता हो” तो उसे “बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए और उसके पद से हटा दिया जाना चाहिए।” हम पूर्वी ख्रीस्तीयता को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की अपील का स्वागत करते हैं, विशेष रूप से प्रवासी समुदाय के लिए। संत पापा लियो ने कहा कि इस अर्थ में, मैं पूर्वी कलीसियाओं के लिए गठित परिषद को धन्यवाद देते हुए अनुरोध करता हूँ कि वे मुझे सिद्धांतों, मानदंडों और दिशा-निर्देशों को परिभाषित करने में सहायता करें, जिसके माध्यम से लातीनी पुरोहित प्रवासी पूर्वी काथलिकों को ठोस रूप से सहायता प्रदान किया जा सकें जो उनकी जीवंत परंपराओं को संरक्षित रखने और विशिष्टता के संग समुदायों को अपनी समृद्धि में बने रहने को मदद करेगा।

आप, कलीसिया की जरुरत हैं

उन्होंने कहा कि कलीसिया को आप की जरुरत है। पूर्वी ख्रीस्तीय हमें बहुत कुछ दे सकते हैं। हमें धर्मविधियों के उन रहस्यों के अर्थ को खोजने की जरुरत है जो आप की धर्मविधियों में सजीव हैं, धर्मविधियाँ जो मानव को पूर्णरूपेण ईश्वरीय सुन्दर का महिमागान करने और इस बात हेतु आश्चर्चचकित होने को मदद करती है जहाँ ईश्वरीय दिव्यता हमारी मनावीय कमजोरी का आलिंगन करती है। यह विशेष रुप में पश्चिम ख्रीस्तीय में ईश्वरीय प्रधानता के अर्थ की खोज करना है, रहस्यवाद का महत्व और पूर्वी आध्यात्मिकता के विशिष्ट मूल्य की खोज- जहाँ हम निरंतर विनय, उपवास, परहेज और अपने तथा मानवता के पापों खातिर आंसू बहाने को पाते हैं। इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि आप अपनी परंपराओं को, व्यावहारिकता या सुविधा के लिए, बिना उनमें कोई कमी लाए, संरक्षित रखें, अन्यथा उपभोक्तावाद और उपयोगितावाद की मानसिकता के कारण वे भ्रष्ट हो जाएंगी।

परापंरिक आध्यात्मिकता औषद्धि है

संत पापा लियो ने कहा कि आप की परापंरिक आध्यात्मिकता, प्राचीन अपितु सदैव नवीन और औषधीय हैं। हम उनमें मानवीय दीन दशा के संग ईश्वर की करूणा के मेल को पाते हैं, जिससे हमारी पापमयी स्थिति हमें निराश न करे बल्कि उस कृपा को स्वीकारने हेतु खोले जहाँ हम सृष्टि प्राणी स्वरूप चंगाई प्राप्त करते और दिव्यता को हासिल कर स्वर्ग की ओर उठाये जाते हैं। इसके लिए हमें चाहिए कि हम निरंतर ईश्वर का महिमागान गाते हुए कृतज्ञता प्रकट करें। हम संत एफ्रेम और सिरियन संतों की मध्यस्था द्वारा एक साथ प्रार्थना करते हुए येसु से कह सकते हैं, तेरी माहिमा हो, जिसने अपने क्रूस को मृत्यु के ऊपर एक सेतु की भांति रखा...तेरी महिमा हो जिसने मानव नश्वर शरीर को अपने में वहन किया और इसे सभी नश्वरों के लिए जीवन का स्रोत बना दिया। हम अपने जीवन की मुसीबतों में पास्का को देखने की कृपा मांगें और निराश न हों। हम एक दूसरे महान पूर्व के आचार्य की याद करें जिन्होंने लिखा,“पुनरूत्थान की शक्ति पर विश्वास न करना सबसे बड़ा पाप है।”

शांति आहृवान

हिंसा की गहराई के मध्य आप से अच्छा और कौन आशा के गीत गा सकता हैॽ युद्ध को अति निकटता से अनुभव करते हुए संत पापा फ्रांसिस ने आप को शहीद कलीसिया की संज्ञा दी। पवित्र भूमि से यूक्रेन, लेबानान से सीरिया, मध्यपूर्वी प्रांत से टिग्रे और काकेशस तक हिंसा की स्थिति है, हमें ऐसी परिस्थिति से बाहर निकलने और शांति स्थापना की मांग करती है जिसका आहृवान कितनी बार संत पापा फ्रांसिस ने नहीं अपितु स्वयं येसु ख्रीस्त ने किया। वे हमें कहते हैं, “तुम्हें शांति मिले, मैं तुम्हारे लिए शांति छोड़ जाता हूँ अपनी शांति तुम्हें प्रदान करता हूँ। यह वह शांति नहीं जो दुनिया तुम्हें देती है।” ख्रीस्त की शांति कब्र की शांति नहीं है जो युद्ध के उपरांत राज करती हो, यह शोषण का फल नहीं है, बल्कि यह हम सबों के लिए एक उपहार है, जो नये जीवन का संचार करती है। हम मेल-मिलाप, क्षमा, और साहस के संग नयी शुरूआत हेतु शांति के लिए प्रार्थना करें।

संत पापा लियोः पूर्वी कलीसियाओं को जयंती का संदेश

शांति हेतु प्रतिबद्धता

मेरी ओर से, संत पापा ने कहा कि मैं हर संभव शांति स्थापना का प्रयास करूँगा। वाटिकन शत्रुओं के संग सदैव वार्ता हेतु प्रयासरत रहने को प्रतिबद्ध है जिससे लोगों को पुनः आशा और शांति में मानवीय सम्मान मिल सके। विश्व के लोगों को शांति की जरुरत है और मैं सारे हृदय से उन नेताओं से अनुरोध करता हूँ- हम मिलें, आपसी वार्ता करें, समझौता करें। युद्ध कभी भी अपरिहार्य नहीं होता है। हथियार शांत हो सकते हैं और होने की जरुरत है, क्योंकि उनके द्वारा समस्याओं का समाधान नहीं होता बल्कि उनकी वृद्धि होती है। शांति के निर्माता इतिहास का निर्माण करते हैं वे नहीं जो दुःख के बीच बोते हैं। हमारे पड़ोसी हमारे पहले शुत्र नहीं है लेकिन वे मानव हैं, वे अपराधी नहीं जिनसे हमें घृणा करनी है, वे दूसरे नर-नारियों हैं जिनसे हमें वार्ता करनी है। हम हिंसा की मानसिकता का परित्याग करें जो विश्व को विभाजित करती है।

संत पापा ने कहा कि कलीसिया यह घोषित करते हुए कभी नहीं थकेगी की हथियारें शांत हों। उन्होंने सभों की याद की जो शांति में प्रार्थना, त्याग करते हुए शांति के बीज बुनते हैं। संत पापा ने पूर्वी और पश्चिमी ख्रीस्तीयों विशेष रुप से मध्यपूर्वी प्रांत में रहने वालों के लिए ईश्वर का धन्यवाद किया जो अपनी मातृभूमि में बने रहने की चाह रखते हैं। हम इसे संभव बनाने के लिए कोशिश करें।

अपने संबोधन के अंत में संत पापा लियो 14वें ने पूर्वी प्रांत के भाई-बहनों, येसु की भूमि, न्याय और प्रभात की भूमि के लिए ईश्वर का धन्यवाद अदा किया। आप अपने विश्वास, भरोसा, प्रेम में बने रहें। आप की कलीसिया और आपके आगुवे भातृत्व के उदाहरण बनें। आज पहले से कहीं अधिक, पूर्वी ख्रीस्तीयता सभी सांसारिक आसक्तियों तथा एकता के विपरीत सभी मनोभावओं से मुक्ति की मांग करती है, ताकि आज्ञाकारिता तथा सुसमाचार के साक्ष्य में विश्वासनीय बने रहा जा सके।

संत पापा ने अपनी प्रेरिताई हेतु प्रार्थना का निवेदन करते हुए सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।  

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14 मई 2025, 15:49