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संत पापा लियो अपने प्रथम आमदर्शन समारोह में संत पापा लियो अपने प्रथम आमदर्शन समारोह में  (ANSA)

संत पापा लियोः येसु उदारता में वचनों को बोते हैं

संत पापा लियो14वें ने अपने प्रथम बुधवारीय आमदर्शन की पहली धर्मशिक्षा माला में बोनेवाले के दृष्टांत पर चिंतन करते हुए उसे सभी दृष्टांतों का आधार बतलाता।

वाटकिन सिटी

संत पापा लियो 14वें अपने प्रथम आमदर्शन समारोह में एकत्रित सभी का अभिवादन करते हुए कहा कि प्रथम आमदर्शन समारोह में आप सभी का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है। मैं संत पापा फ्रांसिस द्वारा जयंती के अवसर पर शुरू किये गये “येसु हमारी आशा” की विषयवस्तु को जारी रखना चाहूँगा।

आज हम येसु के दृष्टांतों पर चिंतन करेंगे जो हमें आशा में बने रहने हेतु मदद करते हैं क्योंकि वे हमें यह बतलाते हैं कि ईश्वर इतिहास में किस तरह कार्य करते हैं। आज मैं विशेष रूप से बोनेवाले के दृष्टांत पर चिंतन करना चाहूँगा जो सभी दृष्टांतों के लिए एक तरह से भूमिका स्वरुप है। निश्चित रुप में येसु के इस दृष्टांत में हम उनके संदेश देने के तरीके को पाते हैं जो हमें भी वर्तमान परिवेश में सुसमाचार घोषणा की एक बड़ी शिक्षा देती है।

दृष्टांत जीवन की कहानी

संत पापा लियो ने कहा कि हर दृष्टांत हमें प्रतिदिन के जीवन से जुड़ी कहानी को बतलाता है, इसके अलावे दृष्टांत हमें जीवन के गहरे अर्थ की ओर इंगित करता है। यह हममें सवालों को उत्पन्न करता है, यह हमें केवल दृश्यमान चीजों तक सीमित होने को नहीं कहता है। कहानी के पहले या किसी चिन्ह जो हमारे सामने प्रकट किया जाता है क्या मैं अपने में यह पूछ सकता हूँ क्या मैं उस कहानी का अंग हूँॽ वह चिन्ह मेरे जीवन में क्या कहता हैॽ वास्तव में, शब्द पाराबल यूनानी भाषा की क्रिया पाराबाल्लेंन से आता है जिसका अर्थ “के सामने फेंकना” है। दृष्टांत मेरे सामने एक शब्द को फेंकता है जो मुझे प्रभावित करता और मुझे अपने से सावल पूछने को प्रेरित करता है।

सुसमाचार के शब्द बीज

संत पापा ने कहा कि बोनेवाले का दृष्टांत विशिष्ट रुप से ईश्वर के शक्तिशाली शब्द और उनके द्वारा उत्पन्न किये जाने वाले प्रभाव के बारे में कहता है। वास्तव में, सुसमाचार का हर शब्द हमारे लिए बीज की भांति है जो हमारे जीवन की भूमि में  बोया जाता है। येसु बहुत बार बीज को विभिन्न अर्थों में निशानी स्वरुप उपयोग करते हैं। संत मत्ती के अध्याय 13 में, बोने वाले का दृष्टांत हमारे लिए कई छोटे दृष्टांतों की एक श्रृंख्ला प्रस्तुत करता है जिसमें से कुछ खास रूप में भूमि में होने वाली बातों को प्रकट करता है- बीज और जंगली पौधे, राई का बीज, भूमि पर छिपाया गया धन। अतः यह भूमि क्या हैॽ यह हमारा हृदय है, वहीं यह विश्व, समुदाय और कलीसिया को भी निरूपित करता है। ईश्वर का वचन, वास्तव में, फलहित होता और हर सच्चाई को प्रकट करता है।

शुरू में हम येसु को अपना घर छोड़ते और एक भीड़ को अपने चारों ओर जमा करते हुए देखते हैं। उनका वचन मोहित और लोगों को आकर्षित करता है। लोगों की अपनी-अपनी स्पष्ट रूप से अनेक परिस्थितियाँ हैं। येसु का वचन सभी के लिए है, लेकिन यह प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग तरीके से काम करता है। यह संदर्भ हमें दृष्टांत के अर्थ को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है। 

एक असामान्य बोनेवाला बोने को जाता है, लेकिन वह इस बात की परवाह नहीं करता कि बीज कहाँ गिरेंगे। वह बीज वहाँ भी बोता है जहाँ फल लगने की संभावना नहीं होती: रास्ते पर, चट्टानों पर, काँटों के बीच। ऐसा करना श्रोता को आश्चर्यचकित करता है और उसे यह पूछने को प्रेरित करता है: ऐसा कैसे होता है?

संत पापा लियोः बोनेवाले की उदारता

येसु उदारता में बोते हैं

संत पापा ने कहा कि हम चीजों का हिसाब-किताब करने के आदी हैं- और कभी-कभी यह जरूरी है- लेकिन यह प्रेम में लागू नहीं होता है। बीज बोने वाले द्वारा बीजों को बर्बाद करना, एक चिन्ह है जो ईश्वर के प्रेम को हमारे लिए प्रस्तुत करता है। यह सही है कि बीज का भाग्य भूमि पर भी निर्भर करता है जहाँ उसका स्वागत किया जाता है, वह परिस्थिति जहाँ वह अपने को पाता है, लेकिन सर्वप्रथम इस दृष्टांत में हम इस बात को पाते हैं कि बोने वाला शब्द रूपी बीज को हर तरह की भूमि में बोता है अर्थात हमारी सारी परिस्थितियों में- जहाँ हम बहुत बार छिछले और खोये रहते हैं, कई बार हम अपने को उत्साह से भरा पाते हैं, तो कई बार हम जीवन की चिंताओं में दबे रहते हैं, तो वहीं कई बार स्वेच्छापूर्वक उनका स्वागत करते हैं। ईश्वर अपने में विश्वास और आशा करते हैं कि कभी न कभी तो बीज अंकुरित होंगे। उनका प्रेम हमारे लिए ऐसा ही है- वे हमें उत्तम भूमि होने का इंतजार नहीं करते हैं, लेकिन वे उदारता में हमें अपना बीज प्रदान करते हैं। शायद वे हमें देखते और भरोसा करते हैं, इस चाह में कि एक दिन हममें अच्छी भूमि तैयार होगी। यह आशा को हम ईश्वर की उदारता और करूणा में जड़ित पाते हैं।

बीज का फल उत्पन्न करने की चर्चा करते हुए संत पापा ने कहा कि येसु हमारे जीवन के बारे में कहते हैं। “येसु शब्द हैं, वे बीज हैं। और बीज को फलहित होने के लिए मरना जरूरी है।” अतः यह दृष्टांत हमें बतलाता है कि ईश्वर हमारे लिए अपने को व्यर्थ होने देते हैं, वे हमारे जीवन में परिवर्तन लाने हेतु स्वेच्छा से मरने के लिए तैयार हैं।

सूर्यास्त में बोनेवाला

चित्रकार वान गाग की सुन्दर चित्रकारिता, सूर्यास्त में बोनेवाले की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए संत पापा लियो ने कहा कि सूर्य की चमकती रोशनी में बोने वाले का दृश्य मुझे उसकी मेहनत के बारे में कहता है। यह मुझे प्रभावित करता है बोने वाले के आड़ में वान गाग पकी फसलों को प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने कहा, “यह मेरे लिए आशा का प्रतीक है, एक तरह से बीज ने फल उत्पन्न किये हैं। हम इसकी निश्चितता से अवगत नहीं हैं लेकिन यह होता है।” इस दृश्य के केन्द्र में यद्यपि बोनेवाला नहीं है, वह बगल में खड़ा है जब कि पूरी चित्रकारिता में सूर्य की प्रधानता व्याप्त है, शायद इस बात की याद दिलाने हेतु कि ईश्वर इतिहास का संचालन करते हैं, हलांकि वे हमसे दूर या अनुपस्थित दिखते हैं। यह सूर्य ही है जो धरती के ढेले को गर्म करता है और बीज को पकाता है।

प्रिय भाइयो एवं बहनों संत पापा ने कहा कि जीवन की किस परिस्थिति में ईश्वर के वचन को हम अपने लिए पाते हैं। हम ईश्वर से कृपा की याचना करें जिससे हम उनके वचन रुपी बीज का सदैव स्वागत कर सकें। और यदि हम अपने में अनुभव करते कि हम एक फलदायक भूमि नहीं है, तो हम अपने में निराश न हों, बल्कि हम उन्हें अपने में कार्य करने हेतु निवेदन करें जिससे हम बेहतर भूमि बन सकें। 

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21 मई 2025, 14:40