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संत पेत्रुस महागिरजाघर में दिवंगत पोप फ्राँसिस का ख्रीस्तयाग संत पेत्रुस महागिरजाघर में दिवंगत पोप फ्राँसिस का ख्रीस्तयाग 

कार्डिनल ममबेरती : पोप फ्राँसिस, अपनी पूरी ताकत से अपने मिशन के प्रति वफादार रहे

पास्का के तीसरे रविवार 4 मई को, कार्डिनल प्रोटो डीकन दोमिनिक ममबेरती ने कार्डिनल मंडल के साथ, दिवंगत पोप फ्राँसिस की आत्मा की अनन्त शांति हेतु संत पेत्रुस महागिरजाघर में नौवें और अंतिम नोवेनदियाले या नवदिवसीय ख्रीस्तयाग की अध्यक्षता की। उन्होंने याद दिलाया कि संत पेत्रुस का मिशन कलीसिया और पूरी मानवता की सेवा के माध्यम से व्यक्त किया गया प्रेम है।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, सोमवार, 5 मई 2025 (रेई) : दिवंगत पोप फ्राँसिस के लिए अंतिम नोवेनदियाले पवित्र मिस्सा और पास्का के तीसरे रविवार का सुसमाचार पाठ जिसको संत योहन रचित सुसमाचार से लिया गया है, हमें तिबेरियुस सागर के किनारे कुछ प्रेरितों और शिष्यों के साथ पुनर्जीवित येसु की मुलाकात को प्रस्तुत करता है, जो प्रभु द्वारा पेत्रुस को सौंपे गए मिशन और येसु के आदेश के साथ समाप्त होता है, "मेरे पीछे चले आओ!"

मनुष्यों के मछुआरे

यह घटना संत लूकस द्वारा वर्णित मछली पकड़ने की पहली चमत्कारी घटना की याद दिलाती है, जब येसु ने सिमोन, याकूब और योहन को बुलाया, और सिमोन से कहा कि तुम मनुष्यों के मछुआरे बनोगे। उस समय से लेकर अब तक पेत्रुस ने उनका अनुसरण किया, कभी-कभी गलतफहमी में और यहाँ तक ​​कि विश्वासघात में भी, लेकिन इस बार की मुलाकात में, जो पिता के पास वापस लौटने से पहले येसु की अंतिम मुलाकात थी, पेत्रुस उनसे अपने झुंड की देखभाल करने की जिम्मेदारी प्राप्त करते हैं।

कार्डिनल ममबेरती ने कहा, “प्रेम” इस सुसमाचार पाठ में मुख्य शब्द है। येसु को सबसे पहले पहचानने वाले, येसु के प्रेमी शिष्य योहन कहते हैं "यह प्रभु हैं!", और पेत्रुस तुरन्त प्रभु के पास पहुंचने के लिए समुद्र में कूद जाता है। भोजन के बाद, जिसने प्रेरितों के हृदय में अंतिम भोज की स्मृति जगा दी होगी, येसु और पेत्रुस के बीच बातचीत शुरू होती है, जिसमें प्रभु तीन प्रश्न करते हैं और पेत्रुस उन तीनों सवालों का उत्तर देते हैं।

प्रेम की शक्ति

येसु दो बार ‘प्रेम’ शब्द का प्रयोग करते हैं, जो एक प्रभावशाली शब्द है, जबकि पेत्रुस, विश्वासघात को ध्यान में रखते हुए, एक कमजोर जवाब "पसंद करने" के द्वारा जवाब देता है, लेकिन तीसरी बार भी येसु प्रेरित की कमजोरी के बावजूद ‘प्रेम करना’ अभिव्यक्ति का उपयोग करते हैं। पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने इस संवाद पर टिप्पणी करते हुए यह बात कही है "सिमोन समझता है कि उसका कमजोर प्रेम येसु के लिए पर्याप्त है, वह उतना ही प्रेम कर सकता है। (...) यह वास्तव में ईश्वरीय अनुकूलन है जो शिष्य को आशा देता है, जिसने विश्वासघात की पीड़ा को महसूस किया। (...) उस दिन से, पेत्रुस ने अपनी दुर्बलता को अच्छी तरह समझते हुए येसु का "अनुसरण" किया; और इस चेतना ने उसे हतोत्साहित नहीं किया। वास्तव में वह जानता था कि वह अपने बगल में पुनर्जीवित प्रभु की उपस्थिति पर भरोसा कर सकता है (...) और इस प्रकार वे हमें भी रास्ता दिखाते हैं।"

अपने परमाध्यक्षीय कार्यकाल की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित ख्रीस्तयाग में अपने प्रवचन में संत जॉन पॉल द्वितीय ने कहा था, " प्रिय भाइयो और बहनो, आज, मुझे आपके साथ एक ऐसा अनुभव साझा करते हुए खुशी हो रही है जो एक चौथाई सदी से चला आ रहा है। येसु और संत पेत्रुस के बीच यही संवाद मेरे दिल में हर दिन होता है। मेरी आत्मा में, मैं पुनर्जीवित ख्रीस्त की करुणामयी निगाह पर अपनी नजर टिकाता हूँ। वे, मेरी मानवीय कमजोरी को जानते हुए भी, मुझे पेत्रुस की तरह भरोसे के साथ जवाब देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं: 'प्रभु, आप सब कुछ जानते हैं; आप जानते हैं कि मैं आपसे प्यार करता हूँ' (योहन 21:17)। और फिर वे मुझे उन जिम्मेदारियों को संभालने के लिए आमंत्रित करते हैं जिसे खुद उन्होंने मुझे सौंपा है।”

सुसमाचार के आनन्द की घोषणा

यह मिशन प्रेम है, जो कलीसिया और समस्त मानवता के लिए सेवा बन जाता है। पेत्रुस और प्रेरितों ने इसे तुरंत स्वीकार किया, जैसा कि हमने पहले पाठ में सुना, पेंतेकोस्त के दिन उन्हें जो आत्मा की शक्ति मिली, उसके द्वारा "हमें मनुष्यों की अपेक्षा ईश्वर की आज्ञा माननी चाहिए। हमारे पूर्वजों के ईश्वर ने येसु को जिलाया, जिसे तुमने क्रूस पर लटकाकर मार डाला। ईश्वर ने उसे नेता और उद्धारकर्ता के रूप में अपने दाहिने हाथ पर ऊँचा किया।"

हम सभी इस बात की सराहना करते हैं कि किस प्रकार पोप फ्राँसिस, प्रभु के प्रेम और उनकी कृपा से प्रेरित होकर, अपनी पूरी शक्ति से अपने मिशन के प्रति वफादार रहे। उन्होंने शक्तिशाली लोगों को चेतावनी दी कि उन्हें मनुष्यों की अपेक्षा ईश्वर की आज्ञा माननी चाहिए और समस्त मानवता के लिए सुसमाचार के आनन्द, दयालु पिता, उद्धारकर्ता मसीह की घोषणा की। उन्होंने यह घोषणा अपनी शिक्षाओं, अपनी प्रेरितिक यात्राओं, अपने हाव-भाव में और अपनी जीवनशैली से किया। मैं पास्का रविवार को इस महागिरजाघर के आशीर्वाद कक्ष में उनके बहुत करीब था, उनकी पीड़ा को देखा, लेकिन सबसे बढ़कर उनके साहस और अंत तक ईश्वर के लोगों की सेवा करने के उनके दृढ़ संकल्प को देखा।

आराधना एक आवश्यक आयाम

दूसरा पाठ जिसे प्रकाशना ग्रंथ से लिया गया है, हमने उस स्तुति को सुना जो समस्त ब्रह्मांड के सिंहासन पर बैठे ईश्वर और मेमने को संबोधित करता है: "स्तुति, सम्मान, महिमा और समर्थ्या, युगानुयुग।" और चारों जीवित प्राणियों ने कहा, “आमीन।” और वयोवृद्ध दण्डवत् करने लगे।”

दण्डवत या आराधना कलीसिया के मिशन और विश्वासियों के जीवन का एक आवश्यक आयाम है। पोप फ्राँसिस इसे अक्सर याद किया, खासकर, पिछले साल प्रभु प्रकाश महापर्व के अवसर पर प्रवचन में कहा, "ज्योतिषी ने अपने दिलों को आराधना में झुकाया। (...) वे बेथलेहम पहुंचे और जब उन्होंने बच्चे को देखा, तो वे 'उनके सामने झुक गए और उनकी आराधना की' (मत्ती 2:11)। (...) एक ऐसे राजा की जो हमारी सेवा करने आये, एक ऐसे ईश्वर की जो मनुष्य बन गये। इस रहस्य के सामने, हमें अपने दिलों और घुटनों को झुकाकर आराधना करने के लिए कहा जाता है: उस ईश्वर की पूजा करने के लिए जो छोटे रूप में आते हैं, जो हमारे घरों में निवास करते हैं, जो प्रेम के लिए मर जाते हैं। (...) भाइयो और बहनो, हमने आराधना करने की आदत खो दी है, हमने वह क्षमता खो दी है जो आराधना हमें प्रदान करती है। आइए, हम आराधना की प्रार्थना के स्वाद को फिर से खोजें। (...)। आज हमारे बीच आराधना गायब है।

पोप फ्राँसिस का प्रार्थनामय जीवन

पोप फ्राँसिस में आराधना से मिलनेवाली इस क्षमता को पहचानना कठिन नहीं था। उनका गहन प्रेरितिक जीवन, उनकी असंख्य मुलाकातें, प्रार्थना के उन लम्बे क्षणों पर आधारित थीं, जिसको उन्होंने संत इग्नासियुस से सीखा था। कई बार उन्होंने हमें याद दिलाया कि चिंतन “प्रेम का कार्य” है जो “हमें ईश्वर के पास उठाती है, हमें पृथ्वी से अलग नहीं करती, बल्कि हमें उसमें गहराई से निवास करने के लिए प्रेरित करती है।” पोप फ्राँसिस ने जो कुछ भी किया, माता मरियम की निगाह में किया। सालुस पोपुली रोमानी (रोमन लोगों का उद्धार) के सामने उनका 126 बार आना हमारी यादों और दिलों में हमेशा रहेंगे। और अब, जब वे प्रिय प्रतिमा के पास विश्राम कर रहे हैं, हम उन्हें कृतज्ञता और विश्वास के साथ प्रभु की माता और हमारी माता मरियम की मध्यस्थता को सिपूर्द करते हैं।

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05 मई 2025, 15:52