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संत पापा योहन पौलुस द्ववितीय की 20वीं सालगिरह के मिस्सा में कार्डिनल  पारोलीन संत पापा योहन पौलुस द्ववितीय की 20वीं सालगिरह के मिस्सा में कार्डिनल पारोलीन  (ANSA)

संत पापा योहन पौल द्वितीय घायल मानवता की मदद करें

कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन संत पापा संत जॉन पॉल द्वितीय की मृत्यु की 20वीं वर्षगांठ के अवसर मिस्सा बलिदान की अध्यक्षता की और उनके कार्य को याद किया जो कलीसिया और दुनिया की नींव को मजबूती प्रदान करती है।

वाटिकन सिटी

वाटिकन राज्य के सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलीन ने 02 अप्रैल को संत पापा योहन पौलुस द्वितीय की 20वीं वर्षगाँठ के अवसर पर याजकों, समर्पित लोगों, जनमान्य लोगों और लोकधर्मियों के संग धन्यवादी यूख्रारिस्तीय बलिदान अर्पित किया।

दो दशक पूर्व संत पापा संत योहन पौलुस द्वितीय की अंतिम क्षणों पर चिंतन करते हुए कार्डिनल पिएत्रो पारोलीन ने उनके चिन्हों- क्रूस रास्ता के समय क्रूस को प्रभावकारी ढ़ग से गले लगाना, संत पेत्रुस के प्राँगण में परमाधर्मपीठीय प्रेरितिक कार्यालय की खिड़की से पास्का रविवार को मौन आशीर्वाद और उनकी अंतिम विदाई हेतु विश्वासियों की असंख्य भीड़ की याद की।

विश्वास की मजबूती

कार्डिनल पारोलीन ने संत योहन के सुसमाचार पर आधारित, संत पापा योहन पौलुस के गहरे विश्वास पर चिंतन किया जो उनके पूरे जीवन में मार्गदर्शन का आधार रहाः “जो कोई मेरा वचन सुनता है और उस पर विश्वास करता है, जिसने मुझे भेज है, उसे अनंत जीवन प्राप्त है” (यो. 5:24)। कार्डिनल ने कहा कि इस दृढ़ विश्वास ने दिवंगत संत पापा को उनकी प्रेरिताई में अडिग बनाए रखा, जिसके फलस्वरुप उन्हें असाधारण साहस और निष्ठा के साथ चुनौतियों का सामना किया।

संत पापा योहन पौलुस द्वितीय का ईश्वर की निगाहों में जीवन जीने पर प्रकाश डालते हुए कार्डिनल ने कहा कि उन्होंने ईश्वर को “प्रथम द्रष्टा” के रूप में वर्णित किया, जिसके सामने सभी चीज़ें खुली हुई हैं। कार्डिनल ने कहा, “ईश्वर के सामने उनके जीवन का खुलापन, सत्य के प्रति उनकी भयविहीन गवाही, मानवीय गरिमा की रक्षा हेतु उनका समर्पण और सुसमाचार की घोषणा हेतु उनका अथक प्रयास” उनके जीवन का सार था।

ईश्वरीय दिव्य कृपा

उनके प्रवचनों का एक मुख्य विषय जीवन में दिव्य कृपा को मान्यता देना था। 1981 में हत्या के प्रयास उपरांत दिवंगत संत पापा के शब्दों को याद करते हुए कार्डिनल पारोलिन ने कहा कि कैसे उन्होंने अपने जीवित बचे रहने को ईश्वर का एक उपहार घोषित करते हुए उसे कलीसिया की सेवा हेतु समर्पित किया।

संत पापा योहन पौलुस द्वितीय ने अपनी आध्यात्मिक वसीयत में लिखा, “ईश्वरीय कृपा ने मुझे चमत्कारिक ढ़ंग से मौत से बचाया है। वे जो जीवन और मृत्यु के एकमात्र स्वामी हैं,  उन्होंने स्वयं मेरे जीवन की अवधि बढ़ाई, निश्चित रुप में उन्होंने इसे मुझे एक नया रूप में दिया है।”

आप न डरें

वाटिकन राज्य सचिव ने 2000 की महान जयंती में संत पापा योहन पौलुस द्वितीय की ऐतिहासिक भूमिका पर भी विचार किया। “संत पापा जोन पौलुस द्वितीय के लिए, मसीह इतिहास का केंद्र था  और उन्होंने विश्व को इस बात के लिए निमंत्रण दिया कि हम उद्धारकर्ता के प्रकाश में इसके अर्थ को पुनः खोजें।”

कलीसिया को “गहराई में जाने” के निमंत्रण के बारे में कार्डिनल पारोलीन ने कहा कि यह आज भी कलीसिया की प्रेरिताई को घोषित करती है जिसे हम संत पापा फ्रांसिस की दृष्टि में कलीसिया को एक “प्रेरितिक कलीसिया” स्वरुप पाते हैं। संत पापा योहन पौलुस द्वितीय ने नोवो मिलेनियो इनुएंते में लिखा है: “डरो मत, मसीह के लिए द्वार खुला रखो।”

युद्ध सदैव एक हार

संत पापा योहन पौलुस द्वितीय ने शांति और मानव सम्मान के लिए निरंतर अपने प्रयास जारी रखें,“उन अवसरों में भी जब उनके शब्द पर ध्यान नहीं दिया गया।” कार्डिनल पारोलिन ने कहा, “शांति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता अटूट रही, जो कलीसिया के प्रेरितिक साक्ष्य को एक मूर्त रूप देती है।” उन्होंने उनकी उस अपील को याद करते हुए कहा, “युद्ध मानवता के लिए सदैव एक हार है।”

अपने प्रवचन के अंत में कार्डिनल पारोलीन ने, 20 वर्ष पूर्व अंतिम विदाई के समय में संत पापा बेनेदिक्त 16वें द्वारा घोषित वचनों को उदृधृत करते हुए प्रार्थना की, “हमें आशीर्वाद दे, संत पापा योहन पौलुस द्वितीय। आशा के इस तीर्थयात्री कलीसिया को आशीर्वाद दे, इस घायल मानवता को जो अपनी गरिमा और बुलाहट की खोज में लगी है, ताकि यह ईश्वर की दया और प्रेम को पुनः प्राप्त कर सके।” 

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03 अप्रैल 2025, 15:29