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आमदर्शन समारोह आमदर्शन समारोह  (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

पोप फ्राँसिस : येसु से मुलाकात में निकोदेमुस आशा पाते हैं

अस्पताल में स्वास्थ्यलाभ प्राप्त करते हुए, पोप फ्राँसिस ने साप्ताहिक आमदर्शन समारोह के लिए अपनी धर्मशिक्षा माला जारी की, जिसमें उन्होंने येसु की निकोदेमुस से हुई मुलाकात पर चिंतन किया है। निकोदेमुस ने पिलातुस से येसु का शव मांगने का साहस किया था।19 मार्च 2013 को ही संत पापा फ्राँसिस ने काथलिक कलीसिया में पोप का पदभार ग्रहण किया था।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, बुधवार, 19 मार्च 2025 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने 19 मार्च को अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह की धर्मशिक्षा माला में निकोदेमुस का रात के समय येसु से मुलाकात पर चिंतन किया।

रोम के जेमेली अस्पताल में, संत पापा फ्राँसिस के स्वास्थ्य में सुधार जारी है। वे पहले की अपेक्षा बेहतर स्थिति में हैं। अपने स्वास्थ्य सुधार की इस स्थिति में भी उन्होंने हमेशा की तरह अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह को जारी रखते हुए अपनी धर्मशिक्षा माला में निकोदेमुस का येसु के संग मिलन पर चिंतन किया।

संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला में कहा कि हम इस धर्मशिक्षा माला के द्वारा सुसमाचार में चर्चित उन मुलाकातों पर चिंतन शुरू करेंगे जो हमें येसु से मिलनेवाली आशा को समझने में मदद करती है। वास्तव में, मिलन में हम अपने आपको आलोकित स्थिति में पाते हैं जो हमारे जीवन में आशा उत्पन्न करती है। उदाहरण के लिए, हमारे संग ऐसा हो सकता है कि दूसरे हमें अपने जीवन की कठिनाईयों को दूसरी निगाहों से देखने में मदद करते हैं या किसी दूसरे के द्वारा कहे जानेवाले साधारण शब्द हमें अपने दुःखों से परे जाने में मददगार हो सकते हैं। बहुत बार हमारा मिलन शांतिमय भी हो सकता है, जहाँ हम कुछ नहीं कहते हैं लेकिन हमारे जीवन की वो परिस्थितियाँ भी हमें जीवन में आगे बढ़ने में मदद करती हैं।

संत पापा ने कहा कि मिलन की पहली कड़ी में हम निकोदेमुस का येसु के संग मिलन पर चिंतन करते हैं जिसकी चर्चा संत योहन अपने सुसमाचार के तीसरे अध्याय में करते हैं। मैं इस दृश्य के द्वारा शुरू करता हूँ क्योंकि निकोदेमुस की कहानी हमें इस बात की ओर इंगित कराती है कि हम अपने जीवन के अंधेरे से बाहर निकलने में सक्षम हो सकते हैं और साहस में येसु का अनुसरण कर सकते हैं।

संत पापा कहते हैं कि निकोदेमुस रात के अंधेरे में येसु से मिलने जाते हैं जो मिलन हेतु असामान्य है। संत योहन के शब्दों में संकेतिक चीजों को पाते हैं यहाँ रात शायद  निकोदेमुस के हृदय में व्याप्त अंधेरे की ओर हमारा ध्यान इंगित कराता है। एक व्यक्ति जो अपने को संदेह के अंधेरे से घिरा पाता है, ऐसी परिस्थिति में यह नहीं समझ पाता कि उसके जीवन में क्या हो रहता है और वह अपने जीवन के मार्ग में आगे बढ़ने के अयोग्य होता है।

संत पापा फ्राँसिस कहते हैं कि यदि हम अंधेरे में होते तो निश्चय ही ज्योति की खोज करते हैं। इस भांति संत योहन अपने सुसमाचार के शुरू में इस बात की चर्चा करते हुए लिखते हैं कि दुनिया में ज्योति का आगमन हुआ जो सभी लोगों को प्रकाशित करती है। निकोदेमुस येसु की खोज करते हैं क्योंकि उन्हें यह अभास होता है कि वे उनके हृदय में व्याप्त अंधेरे को दूर कर सकते हैं।

यद्यपि सुसमाचार हमारे लिए इस बात का जिक्र करता है कि निकोदेमुस येसु के द्वारा कही गई बातों को तुरंत नहीं समझ पाते हैं। और इस प्रकार हम उनके बीच की वार्ता में कई नसमझी और बहुत सारी विडंबनाओं को भी पाते हैं, जो सुसमाचार लेखक योहन की विशेषता को व्यक्त करती है। निकोदेमुस, येसु की बातों को नहीं समझते हैं क्योंकि वे उन्हें अपने ही तर्क-वितर्क और मापदंडों के अनुरूप देखते हैं। वे एक उच्च ख्याति प्राप्त व्यक्तित्व वाले व्यक्ति हैं, समाज में उनकी एक सार्वजनिक भूमिका है, वे  यहूदियों के नेताओं में से एक हैं। लेकिन अब शायद ये सारी बातें उनके लिए अर्थ नहीं रखती। निकोदेमुस को लगता है कि अब उनके जीवन में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। वे अपने अंदर बदलाव की जरूरत महसूस करते हैं, लेकिन वे यह नहीं जानते कि उसकी शुरुआत कहाँ से करें।

संत पापा ने कहा कि जीवन की कई परिस्थितियों में यह हम सभों के साथ भी होता है। यदि हम परिवर्तन को स्वीकार नहीं करते हैं, यदि हम अपने को, अपनी कठोरता में, अपनी ही बातों, व्यवहार और सोचने विचारने के तौर तरीकों में ही बंद कर लेते हैं, तो हम अपने को मार डालने की जोखिम में डाल देते हैं। हम अपने जीवन में परिवर्तन की क्षमता को पाते हैं जो हम नये तरीके से प्रेम करने के योग्य बनाती है। वास्तव में, येसु निकोदेमुस को एक नये जन्म की बात कहते हैं जो न केवल हमारे लिए संभव है बल्कि यह हमारे जीवन यात्रा के लिए जरूरी भी है। यदि सच कहा जाये, तो यहाँ हम एक अभिव्यक्ति “अनोथेन” को पाते हैं जो अपने में अस्पष्ट है जिसे हम “ऊपर से” या “नये शिरे से” पुनः के रुप में परिभाषित कर सकते हैं। धीरे-धीरे निकोदेमुस इन दो बातों की महत्वपूर्णतः को समझेंगे- यदि हम अपने को पवित्र आत्मा के हाथों में समर्पित करते जिससे वे हममें नयापन लायें तो हमारा नया जन्म होता है। हम उस जीवन को पुनः प्राप्त करते हैं, जो शायद हमारे अन्दर खत्म हो रहा था।

संत पापा कहते हैं कि मैंने निकोदेमुस के जीवन से शुरू करने का चुनाव किया क्योंकि वे एक व्यक्ति हैं जो अपने जीवन के द्वारा हमें यह दिखलाते हैं कि यह परिवर्तन हमारे लिए संभव है। निकोदेमुस को इसमें सफलता मिलती है- अंततः, वे उन लोगों में से होते हैं जो येसु का शव मांगने के लिए पिलातुस के पास जाते हैं (यो.19:39) इस तरह निकोदेमुस ज्योति में आते हैं, उनका पुनर्जन्म होता है, और अब उन्हें रात में रुकने की आवश्यकता नहीं होती।

संत पापा ने कहा कि परिवर्तन कई बार हमारे लिए भयभीत करनेवाला होता है। एक ओर वह हमें आकर्षित करता है, कभी-कभी हम उसकी चाह भी रखते हैं, लेकिन दूसरी ओर हम अपनी सुख-सुविधाओं में ही रहना पसंद करते हैं। यही कारण है कि आत्मा हमें भय का सामना करने को प्रोत्साहित करती है। येसु निकोदेमुस को- जो इस्राएल में एक शिक्षक थे - याद दिलाते हैं कि इस्राएली भी मरूभूमि में चलते समय डरे हुए थे। और वे अपनी चिंताओं में इतने उलझ जाते हैं कि एक निश्चित बिंदु पर उन भयों ने जहरीले सांपों का रूप ले लिया (गण.21:4-9)। इस भय से मुक्त होने के लिए, उन्हें उस पीतल के साँप को देखना पड़ा जिसे मूसा ने एक खंभे पर लटका कर रखा था; अर्थात् उन्हें ऊपर देखना था और उस वस्तु के सामने खड़ा होना था जो उन्हें डर की ओर इंगित करती थी। कोई चीज जो हमें डराती है उसका सामना करके ही हम उससे मुक्त हो सकते हैं।

हम सबों की तरह, निकोदेमुस भी क्रूस की ओर देख सकते हैं, जहाँ मृत्यु पर विजय पाई गई, जो हमारे सभी प्रकार के भय की जड़ है। आइए, हम भी अपनी नज़रें उनकी ओर उठाएँ जिन्हें उन्होंने छेदित किया था, आइए हम भी अपने को येसु से मिलने दें। उनमें हम अपने जीवन में परिवर्तनों का सामना करने और फिर से नये जन्म की आशा को पाते हैं।

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19 मार्च 2025, 14:21