संत पापाः चालीसा काल को चंगाई काल स्वरूप जीयें
वाटिकन सिटी
संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि आज के सुसमाचार में, फरीसी येसु के पीछे पापियों को आता हुआ देख, खुश होने के बदले निंदा करते और भुनभुनाते हैं। अतः येसु उन्हें एक पिता और उसके दो पुत्रों के बारे में बतलाते हैं। एक अपने पिता के घर को छोड़ कर दूर चला जाता है, लेकिन अपनी सारी धन संपत्ति के समाप्त होने पर वह पुनः अपने पिता के घर में पश्चतापी हृदय से लौट आता है, और उसका स्वागत खुशी में किया जाता है। वहीं दूसरा आज्ञाकारी बेटा, इन सारी बातों को देख-सुन कर क्रुद्ध हो जाता और घर में प्रवेश करना, समारोह में शामिल होना नहीं चाहता है।
संत पापा ने कहा कि इस तरह येसु हमारे लिए अपने पिता ईश्वर के हृदय को व्यक्त करते हैं- वे हम सभों के प्रति दयालु हैं, वे हमारे घावों की चंगाई करते हैं जिससे हम एक दूसरे को भाई-बहनों की तरह प्रेम कर सकें।
संत पापा की कृतज्ञता
संत पापा ने अपने देवदूत संत में लिखा, प्रिय मित्रों, हम इस चालीसा काल के समय को चंगाई के रूप में जीयें, यह हमारे लिए और भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि हम अपने को जंयती वर्ष में पाते हैं। मैं भी इसे अपने में, अपने शरीर और आत्मा में अनुभव कर रहा हूँ। यही कारण है कि मैं उन सभों के प्रति अपनी कृतज्ञता के भाव अर्पित करता हूँ, जो बचाने वालों के रुप में, अपने शब्दों और ज्ञान के द्वारा, अपनी कोमलता और प्रार्थना के माध्यम पड़ोसियों के लिए चंगाई के साधन बनते हैं। कमजोरी और बीमारी को हम सभी अपने में अनुभव करते हैं, यद्यपि, उससे भी बढ़कर ख्रीस्त में मिली मुक्ति के अनुरूप सभी एक दूसरे के लिए भाई-बहन समान हैं।
प्रार्थना की अपील
अपने छोटे संदेश के उपरांत संत पापा ने विश्व के युद्ध प्रभावित देशों की ओर सभों का ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि पिता ईश्वर की करूणा में भरोसा करते हुए हम शांति के लिए प्रार्थना करना जारी रखें, शहीद यूक्रेन के लिए, फिलिस्तीन, इस्रराएल, लेबानन, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और म्यांमार के लिए जो हाल ही में आये भूंकप के कारण प्रभावित है।
सूडान के प्रति चिंता
संत पापा फ्रांसिस ने दक्षिणी सूडान की स्थिति को लेकर अपनी चिंता जताई। मैं सभी नेताओं से विनयपूर्ण आग्रह करता हूँ कि वे देश में तानव दूर करने की हर संभव कोशिश करें। हम अपने बीच से उदासीनता को दूर करें और साहस तथा उत्तरदायित्व में, एक साथ जमा होते हुए वार्ता को बढ़ावा दें। केवल ऐसा करने के द्वारा ही हम प्रिय दक्षिण सूडानवासियों की पीड़ा को कम करने तथा शांति और स्थिरता के भविष्य का निर्माण करने में संभव होंगे।
उन्होंने सूडान की स्थिति के बारे में कहा कि देश में युद्ध की निरंतरता के कारण निर्दोषों को शिकार होना पड़ रहा है। संत पापा ने युद्ध में संलग्न दलों से निवेदन किया कि वे सबसे पहले अपने नागरिकों, भाइयों और बहनों के जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करें। उन्होंने आशा व्यक्त की कि जल्द ही नई वार्ता शुरू होगी, जिससे संकट का स्थायी समाधान सुनिश्चित हो सकेगा। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वे इस भयावह मानवीय आपदा से निपटने के लिए अपने प्रयासों को बढ़ाए।
इसके साथ ही संत पापा कुछ सकारात्मक घटनाओं के लिए ईश्वर के प्रति कृतज्ञता के भाव व्यक्त किये, उदाहरण के लिए ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान के बीच सीमांकन पर समझौते का समर्थन, जो अपने में एक उत्कृष्ट कूटनीतिक उपलब्धि है। मैं दोनों देशों को इस मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ।
अपने संदेश के अंत में संत पापा फ्रांसिस ने सभों माता मरियम के हाथों सुपुर्द करते हुए कहा कि वे मानव परिवार को शांतिमय मेल-मिलाप में बने रहने हेतु मदद करें।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here