पोप: गरीबी के निर्जनप्रदेश में स्वयंसेवक आशा और नई मानवता के प्रतीक
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, रविवार, 9 मार्च 2025 (रेई) : उन्होंने चालीसा काल के पहले रविवार के धर्मविधिक पाठों पर आधारित चिंतन को प्रस्तुत करते हुए कहा, “आत्मा येसु को निर्जन प्रदेश ले चला” (लूका 4:1)। हर साल, हमारी चालीसा की यात्रा, वहीं से प्रभु का अनुसरण करके और उस अनुभव को महसूस करके शुरू होती है, जिसे उन्होंने हमारी भलाई के लिए बदल दिया। जब येसु ने निर्जन प्रदेश में प्रवेश किया, तो एक निर्णायक परिवर्तन हुआ : मौन का स्थान सुनने का स्थान बन गया।
येसु की यात्रा
संत पापा ने कहा, “निर्जन प्रदेश में, हमारी सुनने की क्षमता की जाँच होती है, क्योंकि दो पूरी तरह से अलग आवाजों के बीच चुनाव करना होता है। इस संबंध में, सुसमाचार हमें बताता है कि येसु की यात्रा सुनने और आज्ञाकारिता के कार्य से शुरू हुई: पवित्र आत्मा, ईश्वर की शक्ति, उन्हें उस स्थान पर ले जाती है जहाँ न तो जमीन से कुछ फसल उगता और न ही आसमान से कुछ बरसता है। निर्जन प्रदेश में हम भौतिक और आध्यात्मिक गरीबी का अनुभव करते हैं, हमें रोटी और ईश्वर के वचन की आवश्यकता होती है।
येसु एक सच्चे मानव के रूप में उस भूख को महसूस करते हैं (पद. 2) चालीस दिनों तक वे एक ऐसे शब्द के द्वारा परीक्षा में पड़े जो पवित्र आत्मा से नहीं, बल्कि दुष्ट शैतान से आया था। चालीस दिनों के उपवास की शुरूआत करते हुए, आइए हम इस सच्चाई पर चिंतन करें कि हम भी परीक्षा में पड़ते हैं, फिर भी अकेले नहीं हैं। निर्जन प्रदेश में हमारा मार्गदर्शन करने के लिए येसु हमारे साथ हैं। ईश्वर के पुत्र ने मनुष्य को केवल बुराई से लड़ने का उदाहरण नहीं दिये हैं। वे हमें इससे भी बड़ी चीज देते हैं: इसके हमलों का विरोध करने और अपनी यात्रा पर दृढ़ रहने की शक्ति।
तो आइए, हम येसु के प्रलोभन और अपने स्वयं के प्रलोभन के तीन पहलुओं पर चिंतन करें: इसकी शुरुआत, यह कैसे घटित होती है और इसका क्या परिणाम होता है। इस तरह, हम अपने मन-परिवर्तन की यात्रा के लिए प्रेरणा पाएँगे।
प्रलोभन की शुरूआत
येसु का प्रलोभन जानबूझकर था। प्रभु अपनी इच्छा शक्ति दिखाने के लिए निर्जन प्रदेश नहीं जाते, बल्कि पिता की आत्मा के प्रति पुत्रवत खुलेपन के कारण जाते हैं, जिनके मार्गदर्शन को वे तत्परता एवं स्वतंत्रता से स्वीकार करते हैं।
दूसरी ओर, हमारा प्रलोभन जानबूझकर नहीं है। बुराई हमारी स्वतंत्रता से पहले है, जो हमारे अंदर से एक आंतरिक छाया और एक निरंतर खतरे की तरह हमला करती है। जब भी हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हमें परीक्षा में न डाल (मत्ती 6:13), तो हमें याद रखना चाहिए कि उन्होंने पहले ही येसु, अपने देहधारी शब्द के माध्यम से उस प्रार्थना का उत्तर दे दिया है, जो हमेशा हमारे साथ रहते हैं।
प्रभु हमारे करीब हैं और हमारी परवाह करते हैं, खासकर, परीक्षा और अनिश्चितता के समय में, जब प्रलोभन देने वाला अपनी आवाज बुलंद करता है। वह झूठ का पिता है (यो. 8:44), वह विकृत और दुराग्रही है, क्योंकि वह ईश्वर के वचन को बिना समझे जानता है। जैसा कि उसने अदन की वाटिका में आदम के दिनों से किया था (उत्पत्ति 3:1-5), वैसा ही वह अब निर्जन प्रदेश में नए आदम येसु के साथ भी करता है।
येसु की परीक्षा
यहाँ हम देखते हैं कि येसु की परीक्षा किस तरह ली जाती है, अर्थात्, ईश्वर, अपने पिता के साथ संबंध के माध्यम से। शैतान अलग करता है और बांटता है, जबकि येसु ईश्वर और मनुष्य को जोड़ते हैं, मध्यस्थ बनते हैं। अपनी विकृति में, शैतान उस बंधन को नष्ट करना चाहता है और येसु को अपनी स्थिति का फायदा उठाने के लिए बहकाता है।
वह कहता है: "यदि तू ईश्वर का पुत्र है, तो इस पत्थर को आज्ञा दे कि यह रोटी बन जाए" (लूका 4:3), और फिर: "यदि तू ईश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को मंदिर के शिखर से नीचे गिरा दे" (पद 9)। इन प्रलोभनों के जवाब में, ईश्वर के पुत्र येसु, आत्मा के संचालन में, पिता के साथ अपने पुत्रवत संबंध को जीने का तरीका चुनते हैं। वे ईश्वर के साथ अपने अनूठे और अनन्य संबंध को बनाये रखते हैं, जिनके वे एकलौटे बेटे हैं, एक ऐसा संबंध जो किसी को छोड़े बिना सभी को गले लगाता है। पिता के साथ येसु के संबंध को पूरी तरह समझा नहीं जा सकता (फिलि 2:6), न ही घमंड किया जा सकता है, ताकि सफलता हासिल की जाए और अनुयायियों को आकर्षित किया जाए, बल्कि यह एक उपहार है जिसे वे हमारे उद्धार के लिए दुनिया के साथ साझा करते हैं।
हमारी परीक्षा
हम भी ईश्वर के साथ हमारे संबंध में परीक्षा में पड़ते हैं, लेकिन बिलकुल अलग तरीके से। शैतान हमारे कान में फुसफुसाता है कि ईश्वर वास्तव में हमारे पिता नहीं हैं, उन्होंने हमें सचमुच त्याग दिया है। शैतान हमें यह समझाने की कोशिश करता है कि भूखों के लिए रोटी नहीं है, पत्थरों से तो बिल्कुल भी नहीं, जब हम गिर रहे होते हैं तो स्वर्गदूत हमारी मदद के लिए नहीं आते, और सबसे बड़ी बात कि दुनिया दुष्ट शक्तियों के हाथों में है जो अपनी अहंकारी योजनाओं और युद्ध की क्रूरता से राष्ट्रों को कुचल देती हैं।
लेकिन, जब शैतान हमें यह विश्वास दिलाना चाहता है कि प्रभु हमसे दूर हैं, और हमें निराशा के गर्त में ढकेलता है, तब ईश्वर हमारे और करीब आ जाते हैं, दुनिया के उद्धार के लिए अपना जीवन दे देते हैं।
तीसरा पहलू
तीसरा पहलू इन प्रलोभनों का परिणाम है। येसु, ईश्वर के अभिषिक्त, बुराई को परास्त करते हैं; वे शैतान को भगा देते हैं, जो “एक और अवसर” की प्रतीक्षा में उन्हें लुभाने के लिए वापस आएगा, (वचन 13)। इसलिए सुसमाचार हमें बताता है, और हम ध्यान देंगे तो पायेंगे कि गोलगोथा पर, येसु को फिर से लुभाया जाता है: “यदि तू ईश्वर का पुत्र है, तो क्रूस से उतर आ” (मत्ती 27:40; लूका 23:35)। निर्जन प्रदेश में, प्रलोभनकर्ता पराजित हो गया था, लेकिन ख्रीस्त की जीत अभी तक निश्चित नहीं हुई थी, वह उसकी मृत्यु और पुनरुत्थान के पास्का रहस्य में निश्चित होगी।
जब हम अपने विश्वास के इस मुख्य रहस्य का उत्सव मनाने की तैयारी कर रहे हैं, तो हम महसूस करें कि हमारी परीक्षा का परिणाम अलग होता है। प्रलोभन का सामना करते हुए, हम कभी-कभी गिर जाते हैं; हम सभी पापी हैं। फिर भी, हमारी हार होनी तय नहीं है, क्योंकि हमारे हर पतन के बाद, ईश्वर हमें अपने असीम प्रेम और क्षमाशीलता से ऊपर उठाते हैं। हमारी परीक्षा विफलता में समाप्त नहीं होती, क्योंकि, ख्रीस्त में, हम बुराई से मुक्त हो जाते हैं।
जब हम उनके साथ निर्जन प्रदेश में यात्रा करते हैं, तो हम एक ऐसे मार्ग पर चलते हैं जिस पर पहले कभी कोई यात्रा नहीं की गई थी: येसु स्वयं हमारे सामने मुक्ति और उद्धार का यह नया मार्ग खोलते हैं। विश्वास में प्रभु का अनुसरण करके, हम भटकनेवाले से, तीर्थयात्री बन जाते हैं।
स्वयंसेवकों से पोप
संत पापा स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए कहते हैं, “प्रिय बहनो और भाइयो, मैं आपको इसी तरह से अपनी चालीसा यात्रा शुरू करने के लिए आमंत्रित करता हूँ। और चूँकि, इस यात्रा में हमें “भली इच्छा” बनाये रखने की आवश्यकता है जिसे पवित्र आत्मा हममें हमेशा जीवित रखते हैं, इसलिए मुझे उन सभी “स्वयंसेवकों” का अभिवादन करते हुए खुशी हो रही है जो आज अपनी जयंती तीर्थयात्रा के लिए रोम में हैं।”
प्रिय मित्रों, मैं आपका हृदय से धन्यवाद करता हूँ, क्योंकि आप येसु के उदाहरण पर चलते हुए अपने पड़ोसियों की सेवा बिना किसी संकोच के करते हैं। सड़कों पर और घरों में, बीमारों, पीड़ितों और कैदियों के साथ, युवा और बुज़ुर्गों के साथ, आपकी उदारता और प्रतिबद्धता हमारे पूरे समाज को आशा प्रदान करती है। आप गरीबी और अकेलेपन के निर्जन प्रदेश में, उन सभी छोटे-छोटे चिन्हों के उस बगीचे में एक नई मानवता को खिलने में मदद कर रहे हैं जो ईश्वर का सपना है, हमेशा और हर जगह, हम सभी के लिए।”
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