MAP

मिशनरीस ऑफ चैरिटी की एक धर्मबहन से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस मिशनरीस ऑफ चैरिटी की एक धर्मबहन से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस  (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

मिशन दिवस के लिए पोप का संदेश : प्रार्थना 'आशा की चिंगारी' को जलाये रखती है

अपने 2025 विश्व मिशन दिवस संदेश में, पोप फ्राँसिस मिशनरियों को याद दिलाते हैं कि प्रार्थना में प्रभु की ओर मुड़ना "आशा की चिंगारी को जीवित रखने की कुंजी है, ताकि यह एक महान आग बन सके, जो हमारे चारों ओर सभी को प्रबुद्ध और गर्म कर सके..."

वाटिकन न्यूज

पोप फ्राँसिस कहते हैं कि प्रार्थना न केवल मिशनरी कार्यों की कुँजी है बल्कि अपने अंदर ईश्वर द्वारा जलाये गये आशा की चिंगारी को जीवित रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है।  

संत पापा ने 2025 के लिए अपने विश्व मिशन दिवस संदेश में यह सांत्वनादायक अनुस्मारक दिया, जिसे वाटिकन प्रेस कार्यालय द्वारा गुरुवार को कई भाषाओं में प्रकाशित किया गया।

पोप ने अपने संदेश की शुरुआत यह याद दिलाते हुए की है कि इस वर्ष के विश्व मिशन दिवस का मूल "आशा" है, और बताया कि इसी कारण से उन्होंने इसका आदर्श वाक्य चुना: "सभी लोगों के बीच आशा के मिशनरी", उन्होंने कहा कि यह हरेक विश्वासी और पूरी कलीसिया को "मसीह के पदचिन्हों पर चलते हुए, आशा के संदेशवाहक और निर्माता बनने के हमारे मौलिक आह्वान" की याद दिलाता है।

इस संदर्भ में, पोप ने अपनी इच्छा व्यक्त की कि यह दिन अनुग्रह का समय हो।

उनके पदचिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित

संत पापा ने ख्रीस्तीय मिशनरी के तीन पहचान बतलाये। पहला है प्रभु के पदचिन्हों पर चलना। उन्होंने कहा, "हम भी प्रभु येसु के पदचिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित महसूस करें, ताकि उनके साथ और उनके द्वारा, सभी के लिए आशा के चिन्ह और संदेशवाहक बन सकें, हर उस स्थान और परिस्थिति में जहाँ ईश्वर ने हमें रहने के लिए दिया है।"

दूसरी पहचान है, ख्रीस्तीय सभी लोगों के बीच आशा के वाहक एवं निर्माता हैं।

संत पापा ने कहा, "प्रभु का अनुसरण करते हुए," "ख्रीस्तीयों को लोगों की ठोस परिस्थिति में सुसमाचार को आगे बढ़ाने के लिए बुलाया जाता है, जिनसे वे मिलते हैं, और इस प्रकार वे आशा के वाहक और निर्माता बनते हैं।" उन्होंने कहा, "प्रभु के आह्वान का अनुसरण करते हुए,", "आप ख्रीस्त में ईश्वर के प्रेम को प्रकट करने के लिए दूसरे देशों में गए हैं। इसके लिए मैं आप सभी को हृदय से धन्यवाद देता हूँ। आपका जीवन पुनर्जीवित ख्रीस्त के आदेश का स्पष्ट प्रत्युत्तर है, जिन्होंने अपने शिष्यों को सभी लोगों को सुसमाचार सुनाने के लिए भेजा था।"

एक नई मानवता के अग्रदूत

इस तरह, पोप ने उन्हें बताया कि वे बपतिस्मा प्राप्त लोगों के "सार्वभौमिक आह्वान" के संकेत हैं, जो आत्मा की शक्ति और दैनिक प्रयास से, "सभी लोगों के बीच मिशनरी और प्रभु येसु द्वारा हमें दी गई महान आशा के साक्षी" बनते हैं।

संत पापा ने आगे कहा कि उनकी महान आशा से प्रेरित होकर ख्रीस्तीय समुदाय दुनिया में एक नई मानवता के अग्रदूत बन सकता है, खासकर, सबसे अधिक 'विकसित' क्षेत्रों में, मानवीय संकट के गंभीर लक्षण दिखाई दे रहे हैं," जो "व्यापक स्तर पर घबराहट, अकेलेपन और बुजुर्गों की आवश्यकताओं के प्रति उदासीनता, तथा जरूरतमंद पड़ोसियों की सहायता करने के लिए प्रयास करने में अनिच्छा" के रूप में देखा जा सकता है।

संत पापा ने गौर किया कि तकनीकी रूप से अत्यधिक विकसित देशों में सामीप्य लुप्त होते जा रहा है। उन्होंने कहा, “हम सभी परस्पर जुड़े हुए हैं लेकिन संबंध नहीं है। कार्यकुशलता के प्रति जुनून और भौतिक चीजों एवं महत्वाकांक्षाओं के प्रति लगाव, हमें आत्म-केंद्रित और परोपकार के अयोग्य बना रहा है।"  

संत पापा ने आश्वस्त किया कि समुदाय के जीवन में अनुभव किया गया सुसमाचार हमें "एक संपूर्ण, स्वस्थ, मुक्त मानवता" में पुनर्स्थापित कर सकता है।

इस कारण से, पोप ने सभी विश्वासियों से गरीबों, कमजोरों, बुजुर्गों और बहिष्कृत लोगों पर विशेष ध्यान देने और ऐसा करने के लिए "ईश्वर की निकटता, करुणा और कोमलता की 'शैली' के साथ" अपनी अपील दोहराया।

पास्का आध्यात्मिकता में नवीनीकरण

अंत में, पोप ने "आशा के मिशन को नवीनीकृत करने" के तीसरे पहलू की ओर रुख किया।

पोप ने कहा, "आज आशा के मिशन की तात्कालिकता का सामना करते हुए, मसीह के शिष्यों को सबसे पहले यह पता लगाना चाहिए कि आशा के "कारीगर" कैसे बनें और अक्सर विचलित और दुःखी मानवता को पुनर्स्थापित करें।

उन्होंने दोहराया कि आशा के मिशनरी "प्रार्थना करनेवाले पुरुष और महिलाएँ" हैं, "क्योंकि 'जो व्यक्ति आशा करता है वह प्रार्थना करनेवाला व्यक्ति है।'"

उन्होंने जोर देकर कहा, "हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रार्थना प्राथमिक मिशनरी गतिविधि है और साथ ही 'आशा की पहली ताकत' भी है।"

इसे ध्यान में रखते हुए, पोप ने मिशनरियों से आग्रह किया कि वे "आशा के मिशन को नवीनीकृत करें, प्रार्थना से शुरू करें, विशेष रूप से ईश्वर के वचन और भजन संहिता पर आधारित प्रार्थना, प्रार्थना की उस महान स्वर समता द्वारा जिसके रचयिता पवित्र आत्मा है।"

प्रार्थना के माध्यम से आशा की चिंगारी को जीवित रखना

पोप फ्रांसिस ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, "प्रार्थना करके, हम अपने भीतर ईश्वर द्वारा जलाई गई आशा की चिंगारी को जीवित रखते हैं, ताकि यह एक महान अग्नि बन सके, जो हमारे आस-पास के सभी लोगों को प्रबुद्ध और गर्म कर सके, साथ ही उन ठोस कार्यों और हावभाव के माध्यम से भी जिसे प्रार्थना स्वयं प्रेरित करती है।"

उन्होंने जोर देकर कहा कि सुसमाचार प्रचार हमेशा एक सामुदायिक प्रक्रिया है, जैसे ख्रीस्तीय आशा।" यह प्रक्रिया सुसमाचार के प्रारंभिक प्रचार और बपतिस्मा के साथ समाप्त नहीं होती, बल्कि सुसमाचार के मार्ग पर प्रत्येक बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति के साथ ख्रीस्तीय समुदायों के निर्माण के साथ जारी रहती है।"

प्रार्थना और कार्य

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मिशनरी कार्य के लिए प्रार्थना करना और समुदाय के रूप में कार्य करना आवश्यक है।

इसलिए, पोप ने आमंत्रित किया, "मैं आप सभी से, बच्चों, युवाओं, वयस्कों और बुजुर्गों से, अपने जीवन और प्रार्थना के साक्ष्य, अपने बलिदान और अपनी उदारता के द्वारा कलीसिया के आम सुसमाचार प्रचार मिशन में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह करता हूँ।"

अंत में, पोप फ्राँसिस ने सभी विश्वासियों से हमारी आशा, मसीह की माता मरियम की ओर मुड़ने का आग्रह करते हुए कहा कि हम इस जयंती के साथ-साथ आनेवाले सभी वर्षों को भी उन्हीं को सौंपते हैं।

“मैं आप सभी से, बच्चों, युवाओं, वयस्कों और बुजुर्गों से आग्रह करता हूँ कि आप अपने जीवन और प्रार्थना की गवाही, अपने बलिदान और अपनी उदारता के द्वारा कलीसिया के आम सुसमाचार प्रचार मिशन में सक्रिय रूप से भाग लें।”

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

06 फ़रवरी 2025, 16:37