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सशस्त्र बलों की जयन्ती में ख्रीस्तयाग समारोह सशस्त्र बलों की जयन्ती में ख्रीस्तयाग समारोह  (ANSA)

सशस्त्र बलों की जयन्ती : ईश्वर के प्रेम का साहसी साक्षी बनें

रविवार को सशस्त्र बलों की जयंती पर अपने प्रवचन के दौरान, पोप फ्राँसिस ने उनके प्रयासों को ख्रीस्त को सौंपते हुए याद दिलाया कि निरंतर प्रार्थना में उनकी ओर मुड़ना उनके महत्वपूर्ण कर्तव्यों के लिए शक्ति का स्रोत है। उन्होंने उनका साथ देनेवाले पुरोहितों की प्रशंसा करते हुए कहा, "वे मसीह की उपस्थिति के रूप में आपके बीच हैं।"

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, रविवार, 9 फरवरी 2025 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में 9 फरवरी को, सशस्त्र बलों और सुरक्षाकर्मियों के लिए जयन्ती के अवसर पर समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित किया जिसमें करीब 25 हजार तीर्थयात्रियों ने भाग लिया।

पोप ने इस अवसर "अपराध और हिंसा के विभिन्न रूपों के खिलाफ लड़ाई" में, "सृष्टि की सुरक्षा" में और "शांति को बढ़ावा देने" में उनके मूल्य को रेखांकित किया: उन्होंने कहा, "युद्ध की भावना" न पालें, बल्कि "वैधता के पक्ष में" रहें, क्योंकि "सब कुछ के बावजूद अच्छाई की जीत हो सकती है।"

येसु का मनोभाव

पोप फ्राँसिस ने अपने उपदेश में कहा, “गेनेसरत झील पर येसु के रवैया का वर्णन सुसमाचार लेखक ने तीन क्रियाओं के माध्यम से किया है: देखे, सवार हुए और बैठ गये। येसु देखे, येसु सवार हुए, येसु बैठे। येसु को भीड़ के सामने दिखावा करने, नौकरी करने, अपने मिशन को पूरा करने में समय सारिणी का पालन करने की चिंता नहीं है।

इसके विपरीत, वे हमेशा दूसरों से मिलना, उनसे संबंध बनाना, तथा उनके संघर्षों और असफलताओं के प्रति सहानुभूति रखना अपनी प्राथमिकता बनाते हैं, जो अक्सर दिलों पर बोझ डालता है और आशा को खत्म कर देता है। इसीलिए उस दिन येसु ने उसे देखा, नाव पर चढ़े और बैठ गये।

सबसे पहले, येसु ने देखा। उनकी नजरें इतनी सजग हैं कि वे बड़ी भीड़ के बीच भी किनारे पर आती दो नावों को देख लेते हैं और उन मछुआरों के चेहरों पर निराशा समझ जाते हैं, जो एक रात की निष्फल मेहनत के बाद अब अपने खाली जाल धो रहे हैं।

येसु उन लोगों के भावों को दया भाव से देखते हैं, तथा उनकी निराशा और हताशा को महसूस करते हैं, क्योंकि उन्होंने सारी रात काम किया था और कुछ भी नहीं पक पाये थे, उनके हृदय उन जालों के समान खाली थे जिन्हें वे खींच रहे थे।

येसु हम पर दया की दृष्टि से देखते हैं। हमें ईश्वर की करुणा नहीं भूलना चाहिए। ईश्वर के तीन दृष्टिकोण हैं:  निकटता, करुणा और कोमलता। हम यह न भूलें: ईश्वर निकट है, ईश्वर कोमल है, ईश्वर सदैव दयालु है।

येसु मछुआरों के जाल डालने के लिए कहते हैं
येसु मछुआरों के जाल डालने के लिए कहते हैं

जब सब कुछ खो गया लगता है तब ईश्वर प्रदत्त आशा कायम रहती है

उनकी निराशा देखकर येसु नाव पर चढ़ गए। उन्होंने सिमोन से कहा कि वह किनारे से थोड़ी दूर चले और वे नाव पर चढ़ गये। इस तरह, वे सिमोन के जीवन में प्रवेश करते हैं और उसकी निराशा और निरर्थकता की भावना को महसूस करते हैं। यह महत्वपूर्ण है: येसु सिर्फ खड़े होकर चीजों को गलत होते हुए नहीं देखते, जैसा कि हम अक्सर करते हैं, और फिर कड़वी शिकायत करते हैं। बल्कि, वे पहल करते हुए, सिमोन के पास जाते हैं, उस कठिन क्षण में उसके साथ समय बिताते और उसके जीवन की नाव पर सवार होने का निर्णय लेते हैं, जो उस रात असफलता से भरी हुई प्रतीत हो रही थी।  

उसके बाद, नाव पर सवार होकर, येसु बैठ गए। सुसमाचारों में, यह एक गुरु की विशेषता है, जो दूसरों को सिखाते हैं। वास्तव में, सुसमाचार में कहा गया है कि येसु बैठ गए और उन्होंने शिक्षा दी। उन मछुआरों की आँखों और दिलों में व्यर्थ परिश्रम की एक रात की निराशा को देखते हुए, येसु सुसमाचार की घोषणा करने, निराशा की अंधेरी रात में रोशनी लाने, जीवन के संघर्षों के बीच भी ईश्वर की सुंदरता के बारे में बताने और यह पुष्टि देने के लिए नाव पर चढ़ गए कि जब सब कुछ खो गया लगता है तब भी आशा बनी रहती है।  

जयन्ती में भाग लेते सैन्यकर्मी
जयन्ती में भाग लेते सैन्यकर्मी   (AFP or licensors)

चमत्कार होता है

तब चमत्कार घटित होता है: जब प्रभु हमारे जीवन की नाव में सवार होकर हमें ईश्वर के प्रेम का शुभ समाचार देते हैं जो निरंतर हमारे साथ रहता है और हमें सहारा देता है, तब जीवन नए सिरे से शुरू होता है, आशा का पुनर्जन्म होता है, उत्साह पुनर्जीवित होता है, और हम एक बार फिर समुद्र में अपने जाल डाल सकते हैं।

भाइयो एवं बहनो, आज जब हम सशस्त्र बलों, पुलिस और सुरक्षा कर्मियों की जयंती मना रहे हैं, तो आशा का यह संदेश हमारे साथ है। मैं आप सभी को आपकी सेवा के लिए धन्यवाद देता हूँ, और मैं उपस्थित सभी अधिकारियों, सैन्य संघों और शैक्षणिक संस्थाओं और सैनिकों की सेवा में समर्पित धर्माध्यक्षों और पुरोहितों का अभिवादन करता हूँ।

आप सभी को एक महान मिशन सौंपा गया है जो सामाजिक और राजनीतिक जीवन के कई पहलुओं को शामिल करता है: हमारे राष्ट्रों की रक्षा करना, सुरक्षा बनाए रखना, वैधता और न्याय बनाए रखना। आप जेलों में मौजूद हैं और अपराध तथा हिंसा के विभिन्न रूपों जो समाज के जीवन को बाधित करने की धमकी देते, उनके खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे हैं। मैं उन सभी लोगों के बारे में भी सोचता हूँ जो प्राकृतिक आपदाओं के बाद राहत कार्य, पर्यावरण की सुरक्षा, समुद्र में बचाव कार्य, कमजोर लोगों की सुरक्षा और शांति को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं।   प्रभु आपसे भी वही करने को कहते हैं जो वे किये: देखना, सवार होना और बैठना।

देखना, क्योंकि आप अपनी आँखें हमेशा खुली रखने, आम भलाई के खतरों, अपने साथी नागरिकों के जीवन को ख़तरे में डालने वाले ख़तरों और पर्यावरण, सामाजिक एवं राजनीतिक जोखिमों के प्रति सतर्क रहने के लिए कहा गया है, जिनसे हम अवगत हैं।

संत पेत्रुस महागिरजाघर का प्राँगण
संत पेत्रुस महागिरजाघर का प्राँगण   (ANSA)

आपकी पहचान साहस है

सवार होना, क्योंकि आपकी वर्दी, अनुशासन जिसने आपको आकार दिया है, साहस जो आपकी पहचान है, शपथ जो आपने ली है - ये सब चीजें आपको न केवल बुराई को देखने के महत्व की याद दिलाती हैं, बल्कि तूफान से घिरी नाव पर सवार होने और यह सुनिश्चित करने के लिए काम करने की भी याद दिलाती हैं कि वह फंस न जाए। क्योंकि यह भी भलाई, स्वतंत्रता और न्याय की सेवा में आपके मिशन का हिस्सा है।

और अंत में, बैठना, क्योंकि हमारे शहरों और मोहल्लों में कानून और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए आपकी उपस्थिति, एवं असहाय लोगों की मदद करना, हम सभी के लिए एक सबक हो सकता है।

वे हमें सिखाते हैं कि अच्छाई हर चीज को जीत सकती है। वे हमें बतलाते हैं कि न्याय, निष्पक्षता और नागरिक जिम्मेदारी आज भी उतनी ही ज़रूरी है जितनी पहले थी। वे हमें सिखाते हैं कि हम बुराई की विरोधी ताकतों के बावजूद एक ज़्यादा मानवीय, न्यायपूर्ण और भाईचारे वाली दुनिया बना सकते हैं।

पुरोहित
पुरोहित   (ANSA)

सशस्त्र बलों को समर्पित पुरोहित

आपके कर्तव्यों को पूरा करने के लिए, जिसमें आपका पूरा जीवन समर्पित है, आपके साथ आपके पुरोहित होते हैं, जो आपके बीच में एक महत्वपूर्ण पुरोहिती उपस्थिति है। उनका काम - जैसा कि दुर्भाग्य से इतिहास में कई बार हुआ है - युद्ध के विकृत कृत्यों को आशीष देना नहीं है। नहीं। वे आपके बीच ख्रीस्त की उपस्थिति के रूप में हैं, जो आपके साथ चलना चाहते हैं, आपकी बात सुनना और सहानुभूति देना चाहते हैं, आपको हमेशा नए सिरे से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं और आपकी दैनिक सेवा में आपका समर्थन करना चाहते हैं। नैतिक और आध्यात्मिक समर्थन के स्रोत के रूप में, वे हर कदम पर आपका साथ देते हैं और सुसमाचार के प्रकाश में और आम भलाई की खोज में आपके मिशन को पूरा करने में आपकी मदद करते हैं।

संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में सशस्त्र बल
संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में सशस्त्र बल

कृतज्ञता, चौकसी और बड़ा व्यक्तिगत जोखिम

प्रिय भाइयो और बहनो, हम आपके द्वारा किए गए कार्यों के लिए आभारी हैं, जिसके लिए कभी-कभी आपने बहुत बड़ा व्यक्तिगत जोखिम उठाया। आपका धन्यवाद क्योंकि तूफान से घिरी हमारी नावों पर सवार होकर, आप हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं और हमें अपने रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

साथ ही, मैं आपको प्रोत्साहित करना चाहूँगा कि आप अपनी सेवा और अपनी सभी गतिविधियों के उद्देश्य को कभी न भूलें, जो कि जीवन को बढ़ावा देना, जीवन को बचाना और जीवन का निरंतर रक्षक बनना है। और मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि कृपया सतर्क रहें। युद्ध जैसी भावना पैदा करने के प्रलोभन के प्रति सावधान रहें।

शक्ति के भ्रम और हथियारों की गर्जना के बहकावे में न आएँ, इसके प्रति चौकस रहें। सावधान रहें, कहीं ऐसा न हो कि आप उस प्रचार से विषाक्त ने हो जाएँ, जो नफरत पैदा करता है, दुनिया को दो भागों में बांटता है - एक मित्र की रक्षा करने के लिए और दूसरा, शत्रु से लड़ने के लिए।

इसके बजाय, हमारे पिता ईश्वर के प्रेम के साहसी गवाह बनें, जो चाहते हैं कि हम सभी भाई-बहन बनें। तो फिर, आइए, हम सब मिलकर शांति, न्याय और भाईचारे के एक नए युग के शिल्पकार बनें।

ख्रीस्तयाग के अंत में संत पापा ने जयन्ती मनाने के लिए उपस्थित सभी तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया एवं उन्होंने अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

सशस्त्र बल
सशस्त्र बल

सशस्त्र बलों को उनके मिशन की शुभकामनाएँ एवं शांति के लिए प्रार्थना

 समारोह के समापन से पहले, मैं आप सभी का अभिनंदन करना चाहता हूँ जिन्होंने सशस्त्र बलों, पुलिस और सुरक्षा बलों की इस जयंती तीर्थयात्रा को जीवंत बनाया है। मैं प्रतिष्ठित नागरिक अधिकारियों को उनकी उपस्थिति के लिए तथा उनकी प्रेरितिक सेवा के लिए सैनिक सेवा में धर्माध्यक्षों और पुरहितों को धन्यवाद देता हूँ। मैं विश्व के समस्त सैन्यकर्मियों को शुभकामनाएँ देता हूँ, तथा इस संबंध में कलीसिया की शिक्षा को याद दिलाना चाहता हूँ।

द्वितीय वाटिकन महासभा कहती है: "जो लोग अपने देश की सेवा में, सेना के रैंकों में अपना पेशा निभाते हैं, उन्हें अपने लोगों की सुरक्षा और स्वतंत्रता के सेवक के रूप में भी खुद को समझना चाहिए।" (गौदियुम एत स्पेस, 79)। इस सशस्त्र सेवा का प्रयोग केवल वैध रक्षा के लिए किया जाना चाहिए, कभी भी अन्य राष्ट्रों पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए नहीं, संघर्षों के संबंध में हमेशा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का पालन करना चाहिए और सबसे बढ़कर, जीवन और सृष्टि के प्रति पवित्र सम्मान के साथ।

भाइयो और बहनो, आइये हम शांति के लिए प्रार्थना करें, पीड़ित यूक्रेन में, फिलिस्तीन में, इजराइल में, तथा पूरे मध्य पूर्व में, म्यांमार में, किवु में, सूडान में। हर जगह हथियार शांत हो जाएँ और लोगों की शांति की पुकार सुनाई दे!

हम अपनी प्रार्थना शांति की रानी, ​​कुँवारी मरियम की मध्यस्थता को सौंपते हैं।

तत्श्चात् संत पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।    

सशस्त्र बलों के लिए जयन्ती 9 फरवरी 2025

                       

 

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09 फ़रवरी 2025, 15:35