देवदूत प्रार्थना में पोप : जयन्ती ख्रीस्त के साथ हमारी मुलाकात को नवीनीकृत करने का अवसर
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, रविवार, 26 जनवरी 2025 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 26 जनवरी को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, “प्रिय भाइयो एवं बहनो, शुभ रविवार।”
इस रविवार को, सुसमाचार लेखक संत लूकस येसु को नाजरेथ के सभागृह में प्रस्तुत करते हैं, वह शहर जहाँ वे बड़े हुए। वे नबी इसायस के ग्रंथ से पाठ पढ़ते हैं जिसमें प्रभु के सुसमाचार प्रचार और मुक्ति मिशन की घोषणा की गई है। तब वे उन से कहते हैं, "धर्मग्रन्थ का यह कथन आज तुम लोगों के सामने पूरा हो गया है।" (लूक. 4:21)
संत पापा ने कहा, “येसु के सह-नागरिकों के आश्चर्य और निराशा की कल्पना कीजिए, जो उसे बढ़ई जोसेफ के पुत्र के रूप में जानते थे और उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि वे स्वयं को मसीहा के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं।
फिर भी यह बिल्कुल वैसा ही था: येसु घोषणा करते हैं कि उनकी उपस्थिति से, ‘प्रभु के अनुग्रह का वर्ष’ आ गया है। यह सभी के लिए और विशेषकर, गरीबों, कैदियों, अंधे, उत्पीड़ितों के लिए खुशखबरी है।(पद 18)
एक चुनौती
उस दिन, नाजरेत में, येसु ने अपने वार्ताकारों के सामने अपनी पहचान और मिशन के बारे में एक विकल्प प्रस्तुत किया। सभागृह में कोई भी यह सोचे बिना नहीं रह सका: क्या वह केवल बढ़ई का बेटा है जो स्वयं के लिए एक ऐसी भूमिका का दावा करता है जो उसकी नहीं है, या क्या वह वास्तव में मसीहा है, जिसे लोगों को पाप और बुराइयों से बचाने के लिए ईश्वर द्वारा भेजा गया है?
सुसमाचार लेखक बतलाते हैं कि नाजरेथ के लोग येसु में प्रभु के अभिषिक्त को नहीं पहचान पाये। उन्हें लगा कि वे उन्हें अच्छी तरह जानते हैं जो उनके मन और हृदय को खोलने में सहायता करने के बजाय, उन्हें ऐसा करने से रोका, जैसे पर्दा प्रकाश को छिपा देता है।
संत पापा ने कहा कि यह घटना, कुछ हद तक आज हमारे लिए भी घटित होती है। हम भी येसु की उपस्थिति और शब्दों से चुनौती पाते हैं; हम भी उनमें ईश्वर के पुत्र, हमारे उद्धारकर्ता को पहचानने के लिए बुलाये जाते हैं। लेकिन हमारे साथ भी ऐसा हो सकता है, जैसा कि उनके देशवासियों के साथ हुआ, कि “हम सोच सकते हैं कि हम उन्हें पहले से ही जानते हैं, हम उनके बारे में सबकुछ जानते हैं, हम उनके साथ बड़े हुए हैं, स्कूल में, पल्ली में, धर्मशिक्षा में, एक काथलिक संस्कृति वाले देश में... और इसलिए हमारे लिए भी वे एक ऐसे व्यक्ति हैं जो करीब हैं, 'बहुत' करीब।”
चिंतन
संत पापा ने कहा, “आइए, हम खुद से पूछें: क्या हम उस अद्वितीय अधिकार को महसूस करते हैं जिसके साथ नाजरेथ के येसु बोलते हैं? क्या हम पहचानते हैं कि वे उद्धार की घोषणा के वाहक हैं जिसे हमें और कोई नहीं दे सकता? और क्या मुझे इस मुक्ति की आवश्यकता महसूस होती है? क्या मुझे लगता है कि मैं भी किसी तरह से गरीब, कैद, अंधा, उत्पीड़ित हूँ? ” संत पापा ने कहा कि ऐसा महसूस करने के द्वारा ही यह मेरे लिए भी 'अनुग्रह का वर्ष' होगा!
माता मरियम से प्रार्थना
तब माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, “आइये हम पूरे विश्वास के साथ कुँवारी मरियम की ओर उन्मुख हों, जो ईश्वर की माता और हमारी माता हैं, ताकि वे हमें ईश्वर के पुत्र के चेहरे को पहचानने में मदद करें, जिससे कि हम उनकी मानवता और छोटे एवं गरीबों के प्रति उनके प्रेम से विचलित न हों।
आइए, हम माता मरियम से प्रार्थना करें कि वे हमें इस जयंती वर्ष में येसु को खोजने में मदद करें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here