संत पापा ने सोवियत संघ के बाद मंगोलिया में बौद्ध धर्म के नवीनीकरण की प्रशंसा की
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शनिवार 18 जनवरी 2025 : संत पापा फ्राँसिस ने मंगोलिया के बौद्धों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और 1990 के दशक से मंगोलिया में हुए “गहन धार्मिक नवीनीकरण” की प्रशंसा की।
मंगोलियाई बौद्धों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ सोमवार को एक बैठक में संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि देश ने “पारंपरिक आध्यात्मिक प्रथाओं को नवीनीकृत करके और उन्हें राष्ट्र के विकास में एकीकृत करके” अपनी “समृद्ध धार्मिक विरासत” को “पुनः प्राप्त” किया है।
1921 से 1980 के दशक के अंत तक मंगोलिया सोवियत संघ के साथ घनिष्ठ संबंधों वाला एकदलीय राज्य था, जहां धर्म का हिंसक दमन किया जाता था। बौद्ध धर्म दमन का मुख्य लक्ष्य था, जो देश का अब तक का सबसे बड़ा धर्म है, जो मुसलमानों, शामनवादियों और ख्रीस्तियों की छोटे समुदायों का भी घर है।
वाटिकन - मंगोलिया संबंध
संत पापा ने कहा कि यह बैठक - मंगोलियाई बौद्ध प्रतिनिधिमंडल और संत पापा के बीच वाटिकन में होने वाली पहली बैठक - "विशेष महत्व" की थी, और वाटिकन एवं "मंगोलिया के महान लोगों" के बीच "मैत्रीपूर्ण और स्थायी संबंधों" को दर्शाती है।
बौद्ध प्रतिनिधिमंडल के साथ उलानबटार के प्रेरितिक राजदूत कार्डिनल जोर्जियो मारेंगो भी थे।
सितंबर 2023 में, संत पापा फ्राँसिस ने मंगोलिया की यात्रा की। और वे मंगोलिया की प्रेरितिक यात्रा करने वाले पहले परमाध्यक्ष थे।
जयंती वर्ष
संत पापा फ्राँसिस ने यह भी कहा कि बौद्धों की यह यात्रा कलीसिया के 2025 के पवित्र वर्ष के दौरान हुई है, जो "तीर्थयात्रा, मेल-मिलाप और आशा" का समय है।
संत पापा ने कहा, "प्राकृतिक आपदाओं और मानवीय संघर्षों से चिह्नित समय में, यह पवित्र वर्ष हमें एक अधिक शांतिपूर्ण दुनिया बनाने के साझा लक्ष्य की ओर बुलाता है।"
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि धार्मिक नेता, जो अपनी-अपनी शिक्षाओं में विश्वास करते हैं, सामूहिक रूप से “हिंसा का त्याग करने और शांति की संस्कृति को अपनाने” की जिम्मेदारी लेते हैं। इस संबंध में, संत पापा ने बौद्धों की “धार्मिक स्वतंत्रता और संवाद के प्रति प्रतिबद्धता” की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह की “भाईचारे वाली एकजुटता” मंगोलियाई समाज को समृद्ध बनाती है, ठीक उसी तरह जैसे इसकी बढ़ती भौतिक सम्पदा समृद्ध बनाती है।
रोम की यात्रा
संत पापा ने अपने संबोधन का समापन यह कहकर किया कि उन्हें उम्मीद है कि रोम में बौद्धों का प्रवास “आनंददायक और समृद्धकारी” होगा।
उन्होंने अपने मेहमानों को “संवाद, भाईचारा, धार्मिक स्वतंत्रता, न्याय और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने” और “सभी की शांति और भलाई के लिए” मंगोलिया में काथलिक कलीसिया के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित किया।
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