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शांति के ध्वज के साथ संत पापा फ्राँसिस शांति के ध्वज के साथ संत पापा फ्राँसिस  (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

विश्व शांति दिवस हेतु पोप फ्राँसिस का संदेश : हम सब ईश्वर के ऋणी हैं

1 जनवरी को मनाए जानेवाले 58वें विश्व शांति दिवस के लिए अपने संदेश में, संत पापा फ्राँसिस ने आगामी आशा की जयंती के केंद्रीय विषय पर चिंतन किया है तथा ऋण माफी के लिए अपनी जोरदार अपील दोहराई है, और हमें याद दिलाया है कि हम सभी ईश्वर एवं एक-दूसरे के "ऋणी" हैं।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 12 दिसम्बर 2024 (रेई) : पोप फ्राँसिस के विश्व शांति दिवस के सभी संदेशों में आशा को निरंतर स्थान मिला है। यह 58वें विश्व शांति दिवस के लिए उनके संदेश में और भी अधिक सत्य है, जिसे 1 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा, क्योंकि कलीसिया आज दुनिया के सामने चुनौतियों के अभूतपूर्व संयोजन के बीच आशा की जयंती की शुरुआत कर रहा है।

“हमारे अपराधों को क्षमा कर”

इस वर्ष का संदेश "हमारे अपराधों को क्षमा कर: हमें अपनी शांति प्रदान कर" विषयवस्तु पर समर्पित है, जो जयंती परंपरा के गहरे अर्थ को रेखांकित करता है जो हमें याद दिलाता है कि हम सभी ईश्वर के "ऋणी" हैं, जो अपनी असीम दया और प्रेम में हमारे पापों को क्षमा करते और हमसे उन लोगों को माफ करने का आह्वान करते हैं जो हमारे विरुद्ध अपराध करते हैं।

यह स्मरण करते हुए कि यहूदी परम्परा में, जयंती वर्ष पापों और ऋणों की सार्वभौमिक क्षमा का एक विशेष वर्ष था, जो शोषितों को मुक्ति प्रदान करता था, संत पापा ने कहा कि हमारे समय में भी, अनुग्रह का यह विशेष वर्ष "एक ऐसी घटना है जो हमें अपने विश्व में ईश्वर के मुक्तिदायी न्याय की स्थापना करने के लिए प्रेरित करती है", जो अन्याय और "व्यवस्थागत" चुनौतियों से ग्रस्त है, जिन्हें संत जॉन पॉल द्वितीय ने "पाप की संरचना" कहा था।

व्यवस्थित अन्याय और आपस में जुड़ी हुई चुनौतियाँ

पोप ने प्रवासियों के साथ किए गए अमानवीय व्यवहार, पर्यावरण क्षति, "गलत सूचना द्वारा जानबूझकर पैदा किया गया भ्रम, किसी भी तरह की बातचीत में शामिल होने से इनकार करना और युद्ध उद्योग पर खर्च किए गए अपार संसाधनों" को ध्यान देते हुए लिखा, "हममें से प्रत्येक को किसी न किसी तरह से उस विनाश के लिए जिम्मेदार महसूस करना चाहिए, जिसका शिकार पृथ्वी, हमारा आमघर हो रहा है; उन कार्यों से शुरू कर, जो अप्रत्यक्ष रूप से ही सही, उन संघर्षों को बढ़ावा देते हैं, जो वर्तमान में हमारे मानव परिवार को पीड़ित कर रहे हैं।"

पोप ने आग्रह किया कि “आपस में जुड़ी हुई ये चुनौतियाँ “परोपकार के छिटपुट कार्यों” की नहीं बल्कि “अन्याय के बंधनों को तोड़ने और ईश्वर के न्याय की घोषणा करने” के लिए “सांस्कृतिक और संरचनात्मक परिवर्तनों” की मांग कर रही हैं।

पृथ्वी के संसाधन पूरी मानव जाति के लिए ईश्वर के उपहार हैं

कैसरिया के संत बेसिल का हवाला देते हुए, पोप हमें याद दिलाते हैं कि हम जो कुछ भी अपना होने का दावा करते हैं, वह वास्तव में ईश्वर की ओर से एक उपहार है और इसलिए पृथ्वी के संसाधन पूरी मानवजाति के लाभ के लिए हैं, "न कि केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए।"

वे कहते हैं कि ईश्वर के साथ अपने रिश्ते को भूल जाने से, मानवीय संबंध शोषण और उत्पीड़न के तर्क से दूषित हो जाते हैं, "जहाँ ताकत को अधिकार मिल जाता है।"

यह येसु के समय के अभिजात वर्ग को दर्शाता है, जो गरीबों के दुःख पर फलते-फूलते थे और आज के वैश्वीकृत विश्व में भी इसकी प्रतिध्वनि मिलती है, जो अन्याय को कायम रखता है, जैसा कि वैश्विक दक्षिण में गरीब देशों को निर्भरता और असमानता के दुष्चक्र में फंसानेवाले ऋण संकट द्वारा प्रदर्शित होता है।

विदेशी ऋण, अमीर देशों द्वारा नियंत्रण का एक साधन है

वास्तव में, पोप ने कहा, "विदेशी ऋण नियंत्रण का एक साधन बन गया है, जिसके तहत अमीर देशों की कुछ सरकारें और निजी वित्तीय संस्थान बेईमानी से और अंधाधुंध तरीके से गरीब देशों के मानव और प्राकृतिक संसाधनों का शोषण करते हैं, बस अपने स्वयं के बाजारों की मांगों को पूरा करने के लिए।"

जबकि "दूसरे लोग, जो पहले से ही अंतर्राष्ट्रीय ऋण के बोझ तले दबे हुए हैं, खुद को अधिक विकसित देशों द्वारा उठाए गए 'पारिस्थितिक ऋण' का बोझ उठाने के लिए मजबूर पाते हैं।"

इसलिए इस जयंती वर्ष के मनोभाव में, पोप फ्राँसिस अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इस दुनिया के उत्तर और दक्षिण के बीच मौजूद पारिस्थितिक ऋण को मान्यता देते हुए विदेशी ऋण को माफ करने की दिशा में काम करने की अपनी अपील को दोहराते हैं। उन्होंने जोर दिया, "यह एकजुटता के लिए एक अपील है, लेकिन सबसे बढ़कर न्याय के लिए।"

उन्होंने लिखा, "सांस्कृतिक और संरचनात्मक परिवर्तन तब आएगा जब हम यह पहचान लेंगे कि हम सभी एक पिता के बेटे और बेटियाँ हैं, कि हम सभी उनके ऋणी हैं, लेकिन यह भी कि हमें साझा और विविध जिम्मेदारी की भावना में एक-दूसरे की आवश्यकता है।"

जयंती वर्ष के दौरान आशा के मार्ग के रूप में, पोप फ्राँसिस तीन प्रस्ताव प्रस्तुत करते हैं, यह ध्यान में रखते हुए कि "हम कर्जदार हैं जिनके कर्ज माफ कर दिए गए हैं।"

ऋण माफी की अपील

सबसे पहले, उन्होंने वर्ष 2000 की महान जयंती के अवसर पर संत जॉन पॉल द्वितीय द्वारा की गई अपील को नवीनीकृत किया, जिसमें उन देशों के अंतर्राष्ट्रीय ऋणों में पर्याप्त कटौती या पूर्ण रूप से निरस्तीकरण पर विचार करने की बात कही गई है, "जो अपने ऋण चुकाने की स्थिति में नहीं हैं," और यह भी ध्यान में रखा गया है कि अधिक समृद्ध देश उन पर पारिस्थितिक ऋण का बोझ डाल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह काम "नए वित्तीय ढांचे" में किया जाना चाहिए, जिससे वैश्विक वित्तीय चार्टर का निर्माण हो सके जो "लोगों के बीच एकजुटता और सद्भाव पर आधारित हो।"

मृत्युदंड के उन्मूलन की अपील

इसके बाद पोप ने "गर्भाधान से लेकर प्राकृतिक मृत्यु तक मानव जीवन की गरिमा का सम्मान करने के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता" की मांग की और मृत्युदंड के उन्मूलन तथा जीवन की ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देने का आह्वान किया जो प्रत्येक व्यक्ति को महत्व देती हो।

हथियारों के लिए कम पैसा, विकास के लिए ज़्यादा

संत पापा पॉल छटवें और बेनेडिक्ट 16वें के पदचिन्हों पर चलते हुए, पोप फ्रांसिस ने हथियारों के लिए निर्धारित "कम से कम एक निश्चित प्रतिशत धन" को भूख मिटाने और गरीब देशों में सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए एक वैश्विक कोष में लगाने की अपनी अपील दोहराई, जिससे उन्हें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद मिल सके।

उन्होंने लिखा, "उम्मीद उदारता में बह जाती है; इसकी गिनती नहीं होती, कोई छिपी हुई मांग नहीं करती, लाभ से बेपरवाह होती है, लेकिन इसका लक्ष्य केवल एक ही चीज़ है: गिरे हुए लोगों को उठाना, टूटे हुए दिलों को भरना और हमें हर तरह के बंधन से मुक्त करना।"

हृदयों को निशस्त्र करना

इन प्रस्तावों का सर्वोपरि लक्ष्य विश्व में सच्ची और स्थायी शांति प्राप्त करना है, जो केवल युद्ध की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि हृदयों और समाजों का गहन परिवर्तन है।

पोप कहते हैं कि सच्ची शांति ईश्वर द्वारा उन हृदयों को प्रदान की जाती है जो स्वार्थ, शत्रुता और भविष्य की चिंता से "निशस्त्र" हैं, तथा उन्हें उदारता, क्षमा और बेहतर दुनिया की आशा से प्रतिस्थापित करते हैं: "हम उस सच्ची शांति की खोज करें जो ईश्वर द्वारा निशस्त्र हृदयों द्वारा प्रदान की जाती है।"

"हम ईश्वर द्वारा निशस्त्र हृदयों को दी गई सच्ची शांति की खोज करें।" उन्होंने कहा कि दयालुता और एकजुटता के सरल कार्य इस नई दुनिया का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं, जिससे भाईचारे और साझा मानवता की गहरी भावना को बढ़ावा मिलता है।

अपने संदेश का समापन करते हुए, पोप फ्राँसिस ने शांति के लिए इस प्रकार प्रार्थना की है:

हे प्रभु, हमारे अपराधों को क्षमा कर,

जैसे हम उन लोगों को क्षमा करते हैं जो हमारे विरुद्ध अपराध करते हैं।

क्षमा के इस चक्र में, हमें अपनी शांति प्रदान कर,

वह शांति जो केवल आप ही दे सकते हैं

जो लोग अपने हृदय को निहत्था कर देते हैं,

जो आशा में अपने भाइयों और बहनों के ऋणों को माफ करना चुनते हैं,

जो आपके सामने अपने ऋण को स्वीकार करने से नहीं डरते,

और जो गरीबों की पुकार पर अपने कान बंद नहीं करते।

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12 दिसंबर 2024, 16:41