सन्त पापा फ्राँसिस बुडापेस्ट में
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
बुद्दापेस्ट सिटी, रविवार,12 सितम्बर 2021 (विविध, वाटिकन रेडियो): हंगरॶ में सन्त पापा फ्राँसिस की एक दिवसीय तीर्थयात्रा का लक्ष्य 52 वें अन्तरराष्ट्रीय यूखारिस्तीय सम्मेलन के समापन ख्रीस्तयाग की अध्यक्षता था, जिसके लिये विगत सप्ताहों से काथलिक धर्मानुयायी ख्रीस्तयागों, प्रार्थना सभाओं, धर्मशिक्षा शिविरों एवं विचारों के आदान-प्रदान सत्रों में भाग लेते रहे थे। आयोजकों के अनुसार, रविवार के ख्रीस्तयाग समारोह में, लगभग 75,000 श्रद्धालु उपस्थित हुए।
हंगरॶ
केन्द्रीय यूरोप स्थित देश, हंगरॶ, ऐतिहासिक रूप से एक ख्रीस्तीय देश है। हंगेरियन इतिहासलेखन राष्ट्र की आधारशिला की पहचान, सन् 1000 ई. में सम्राट स्टीफन प्रथम के बपतिस्मा तथा उनके राज्याभिषेक से करता है। राजा स्टीफन प्रथम ने काथलिक धर्म को राज्य धर्म घोषित किया था तथा उनके उत्तराधिकारियों को पारंपरिक रूप से प्रेरितिक राजाओं की संज्ञा प्रदान की जाती थी। सदियों के अन्तराल में, हंगरॶ की काथलिक कलीसिया मज़बूत रही तथा एस्टरगोम के महाधर्माध्यक्ष को हंगरॶ के राजकुमार-प्राइमेट के रूप में असाधारण अस्थायी विशेषाधिकार दिए गए थे। हालांकि, वर्तमानकालीन हंगरॶ का कोई राज्य धर्म नहीं है तथापि, देश धार्मिक स्वतंत्रता को मूलभूत अधिकार रूप में मान्यता प्रदान करता है। सन् 2011 की जनसांख्यकी के अनुसार, हंगरॶ की कुल आबादी लगभग एक करोड़ है। 54 प्रतिशत ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों में काथलिक 37.1 प्रतिशत हैं। हंगरॶ में यहूदी, बौद्ध एवं मुसलमान धर्मों के लोगों का भी अस्तित्व है किन्तु ये आबादी का लगभग दो प्रतिशत मात्र हैं। शेष जनता स्वतः को किसी धर्म का अनुयायी नहीं मानती या फिर स्वतः को नास्तिक बताती है।
1938 के यूखारिस्तीय सम्मेलन की स्मृति
सन् 1938 ई. में द्वितीय विश्व युद्ध के छिड़ने से कुछ समय पूर्व ही बुडापेस्ट में प्रथम अन्तरराष्ट्रीय यूखारिस्तीय सम्मेलन सम्पन्न हुआ था। वाटिकन रेडियो से बातचीत में येसु धर्मसमाजी पुरोहित फादर आरपद ने बताया कि वह एक महान और सफल घटना रही थी, जिसे शहर के वयोवृद्ध काथलिक अभी भी याद करते हैं। उन्होंने कहा, लगभग अस्सी वर्ष बाद, आज, एक बार फिर हम प्रसन्न हैं इस सम्मेलन के लिये और, विशेष रूप से, सन्त पापा फ्राँसिस की उपस्थिति के लिये।
विश्वास हमारा स्रोत
52 वें यूखारिस्तीय सम्मेलन का विषय, स्तोत्र ग्रन्थ के 87 वें भजन से लिया गया है, "मेरे सारे जलस्रोत तुझमें समाहित हैं"। इसी को ध्यान में रखते हुए, फादर आरपद ने कहा कि वे उम्मीद कर रहे हैं कि सन्त पापा फ्राँसिस का सन्देश यह होगा कि "हमारे पास जो जीवन स्रोत है वह है हमारा विश्वास।" उन्होंने कहा कि यह सन्देश, "हमें यह समझने में मदद कर सकता है कि जीवन का महत्व है क्या तथा जीवन में क्या आवश्यक है।"
राजकीय यात्रा नहीं
वाटिकन ने इस तथ्य को रेखांकित किया है कि हंगरॶ और स्लोवाकिया में सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा, राजकीय यात्रा न होकर केवल एक तीर्थयात्रा है, जिसके लिये इन राष्ट्रों के काथलिक धर्माध्यक्षों द्वारा वे आमंत्रित किये गये हैं। बुडापेस्ट में सन्त पापा फ्राँसिस शहर के ललित कला संग्रहालय में हंगरॶ के राष्ट्रपति यानोस आदेर तथा प्रधान मंत्री विक्टर ओरबान से औपचारिक मुलाकात कर रहे हैं तथापि, यह कोई राजकीय यात्रा नहीं है।
सन्त पापा फ्राँसिस सदैव हाशिये पर जीवन यापन करनेवालों, निर्धनों, आप्रवासियों एवं शरणार्थियों की पैरवी करते रहे हैं। इसके विपरीत हंगरॶ के प्रधान मंत्री विक्टर ओरबान की नीतियाँ आप्रवासियों एवं शरणार्थियों को हंगरॶ में शरण प्रदान करने से इनकार करती हैं। ऐसा भी समझा जा रहा था कि विक्टर ओरबान की शरणार्थी विरोधी नीतियों की वजह से ही सन्त पापा हंगरॶ में केवल कुछ ही देर रुक रहे थे। इस विषय में फादर आरपद ने कहा कि 12 सितम्बर को सन्त पापा फ्राँसिस की बुडापेस्ट भेंट से राजनीति का कोई सम्बन्ध नहीं है।
आप्रवासियों और शरणार्थियों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के साथ-साथ सन्त पापा फ्रांसिस हंगरॶ जैसी सरकारों द्वारा विकसित 'राष्ट्रीय लोकलुभावनवाद' की आलोचना करते रहे हैं। कई मौकों पर उन्होंने सरकारों से अधिक से अधिक आप्रवासियों के स्वागत और एकीकरण का आग्रह किया है।
बुडापेस्ट के हिरो स्क्वेयर में 52 वें अन्तरराष्ट्रीय यूखारिस्तीय सम्मेलन का समापन कर सन्त पापा फ्राँसिस रविवार अपरान्ह बुडापेस्ट अन्तरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से स्लोवाकिया की राजधानी ब्रातिस्लावा के लिये प्रस्थान कर रहे हैं।
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