MAP

जापान ने हिरोशिमा परमाणु बमबारी की 80वीं वर्षगांठ मनाई जापान ने हिरोशिमा परमाणु बमबारी की 80वीं वर्षगांठ मनाई  (ANSA)

नागासाकी वर्षगाँठ पर कार्डिनल कुपिक : शांति की मांग भयावाह युद्धविराम से कहीं अधिक

हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम विस्फोट की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर, कार्डिनल कुपिक, जो अन्य अमेरिकी कलॶसियाई धर्मगुरूओं के साथ शांति की तीर्थयात्रा पर हैं, नागासाकी में ख्रीस्तयाग अर्पित किया, तथा द्वितीय विश्व युद्ध में परमाणु हथियारों का उपयोग करने के अमेरिकी निर्णय का कड़ा मूल्यांकन किया।

वाटिकन न्यूज

नागासाकी, बृहस्पतिवार, 7 अगस्त 25 (रेई): 9 अगस्त 1945 को जापानी शहर नागासाकी पर हुए परमाणु बमबारी की याद में आयोजित ख्रीस्तयाग में दिए अपने प्रवचन में, कार्डिनल ब्लेज़ ने एक कलॶसियाई नेता के दृष्टिकोण से, बल्कि द्वितीय विश्व युद्ध में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के अमेरिकी फैसले का आकलन करनेवाले एक अमेरिकी नागरिक के दृष्टिकोण से भी विचार प्रस्तुत किए।

शिकागो के महाधर्माध्यक्ष ने अंतर्राष्ट्रीय कानून और काथलिक नैतिक शिक्षा के मूल सिद्धांतों, खासकर, लड़ाकों और नागरिकों के बीच के अंतर को त्यागने के कारण इन बम विस्फोटों को "बेहद दोषपूर्ण" बताया।

कार्डिनल ने कहा, "द्वितीय विश्व युद्ध की बर्बरता के दौरान गैर-लड़ाकों को दी जानेवाली प्रतिरक्षा का पारंपरिक आग्रह ध्वस्त हो गया था।"

उन्होंने परमाणु हमलों से पहले जापानी शहरों पर बमबारी का जिक्र किया और "संपूर्ण युद्ध" के तर्क के तहत नागरिकों को निशाना बनाने को सामान्य बनाने की आलोचना की। उन्होंने कहा कि हिरोशिमा और नागासाकी को आंशिक रूप से इसलिए चुना गया क्योंकि अन्य शहर पहले ही नष्ट हो चुके थे, जिससे नए हथियार का मनोवैज्ञानिक प्रभाव कम होता।

कार्डिनल कुपिक ने अमेरिकी जेसुइट जॉन फोर्ड के लेखों का हवाला दिया, जिन्होंने 1944 में ही "विनाश बमबारी" को नैतिक रूप से अस्वीकार्य बताते हुए निंदा की थी। कार्डिनल ने कहा कि फोर्ड की चेतावनी आज भी प्रासंगिक है क्योंकि परमाणु निवारण से जुड़े नैतिक प्रश्न अभी भी अनसुलझे हैं।

जनमत में बदलाव

यह स्वीकार करते हुए कि अमेरिका में जनमत बदल गया है, और अब अधिकांश लोग द्वितीय विश्व युद्ध के बम विस्फोटों को अस्वीकार करते हैं, लेकिन कार्डिनल कुपिक ने चिंता व्यक्त की कि कई अमेरिकी अभी भी आधुनिक संघर्ष परिदृश्यों में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के विचार को स्वीकार करते हैं। उन्होंने हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण का हवाला दिया जिसमें दिखाया गया है कि अगर काल्पनिक युद्धों में परमाणु हमलों से अमेरिकी सैनिकों की जान बच सकती है, तो जनता का समर्थन जारी रहेगा।

उन्होंने कहा, "इससे पता चलता है कि अमेरिकी जनता की परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने और जानबूझकर विदेशी नागरिकों की हत्या करने की इच्छा 1945 के बाद से उतनी नहीं बदली है जितनी कई विद्वानों ने अनुमान लगाया था।"

शिकागो के महाधर्माध्यक्ष की टिप्पणी ने कलॶसिया की न्यायपूर्ण युद्ध परंपरा को नए सिरे से परिभाषित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने तर्क दिया कि इसकी जड़ें रणनीतिक गणनाओं के बजाय नैतिक निर्माण और एकजुटता में होनी चाहिए।

कार्डिनल ने समग्र निरस्त्रीकरण के महत्व का भी उल्लेख किया, जो एक ऐसा शब्द है जिसे वाटिकन के समग्र मानव विकास को बढ़ावा देनेवाले विभाग ने विकसित किया है, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि यह शांति के सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक आधारों को संबोधित करने का आह्वान करता है।

परमाणु निवारण का भ्रम

परमाणु निवारण की आलोचना में, कार्डिनल कुपिक ने कहा: "धमकियों का प्रयोग... राष्ट्रों के बीच उस शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को कभी स्थापित नहीं कर सकता जो एकजुटता, प्रामाणिक विकास और मानवाधिकारों से प्रेरित नैतिकता से संभव हो सकता है।"

उन्होंने आपसी गतिरोधों से उत्पन्न शांति के भ्रम के प्रति आगाह किया और ईरान तथा उत्तर कोरिया के बीच हाल के भू-राजनीतिक तनावों को परमाणु हथियारों से उत्पन्न निरंतर खतरे के प्रमाण के रूप में उद्धृत किया।

अमेरिका की ज़िम्मेदारी

चूँकि अमेरिका, रूस के साथ, दुनिया की दो परमाणु महाशक्तियों में से एक बना हुआ है, इसलिए अमेरिकी कार्डिनल ने कहा कि उनके देश की विशेष जिम्मेदारी है।

उन्होंने आग्रह किया, "अमेरिका को एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था बनाने का प्रयास करना चाहिए जो गैर-परमाणु आधार पर टिकी हो," और हथियारों में कमी लाने के प्रयासों को नए सिरे से जोर देने और नव-अलगाववाद को अस्वीकार करने का आह्वान किया।

कुपिक ने शांति हेतु दशकों से समर्थन करने के लिए हिबाकुशा (परमाणु बम विस्फोटों के बचे लोगों) को सम्मानित करते हुए समापन किया। उन्होंने कहा कि उनकी आवाज़ें परमाणु हथियारों की होड़ को समाप्त करने के प्रयासों को प्रेरित करती रहनी चाहिए।

“मानव जाति को परमाणु हथियारों की दौड़ को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए, क्योंकि यह एक ऐसी दौड़ है जिसे कोई भी वास्तव में जीत नहीं सकता, लेकिन असंख्या लोग वास्तव में हार सकते हैं।”

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

07 अगस्त 2025, 15:06