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तिजुआना में अमेरिकी-मेक्सिको सीमा दीवार पर सिस्टर अल्बेर्टिना मारिया पौलेटी। तिजुआना में अमेरिकी-मेक्सिको सीमा दीवार पर सिस्टर अल्बेर्टिना मारिया पौलेटी।  (Marco Palombi) #SistersProject

मेक्सिको में स्कालाब्रिनियन धर्मबहनों का ‘सीमांत करिश्मा’

‘मदर असुन्ता इंस्टीट्यूट’ आश्रय की निदेशिका सिस्टर अल्बेर्टिना पॉलेटी, अमेरिका की सीमा पर मेक्सिको के तिजुआना में प्रवासी महिलाओं और बच्चों के साथ अपने काम का वर्णन करती हैं। “हम कब तक दीवारें बनाते रहेंगे?”

रॉबर्टो पालियालोंगा

तिजुआना, मंगलवार 11 मार्च 2025 (वाटिकन न्यूज) : उनका हमेशा से एक "सीमांत करिश्मा" रहा है - एक मिशनरी बुलाहट जो दूसरों के प्रति प्रेम में गहराई से निहित है। अपनी स्थापना के बाद से, यह मिशन प्रवासियों और शरणार्थियों की ओर निर्देशित रहा है, जो दुनिया के उन कोनों में पनप रहे हैं जहाँ  उन लोगों का स्वागत करने, सुरक्षा करने, बचाने और देखभाल करने के लिए कोई है - जो युद्ध, भूख, हिंसा, उत्पीड़न या अनिश्चित जीवन स्थितियों से भाग रहे हैं।

स्कालाब्रिनियन - संत चार्ल्स बोर्रोमेओ की मिशनरी धर्मबहनों के लिए, जो लोग चलते-फिरते हैं, वे केवल ध्यान या देखभाल की "वस्तु" नहीं हैं, बल्कि उनके साथ चलने और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करने का "विषय" हैं।

तिजुआना में ‘मदर असुन्ता इंस्टीट्यूट’

आज, उनकी सबसे महत्वपूर्ण सीमाओं में से एक तिजुआना है, जो मेक्सिको और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक सीमा क्षेत्र है। यह शहर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक केंद्र बिंदु बन गया है, खासकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, जिसने अमेरिकी धरती से सभी अनिर्दिष्ट प्रवासियों को निष्कासित करने के कार्यकारी आदेशों को लागू किया।

"अब यह समस्या हर दिन सुर्खियाँ बटोर रही है। लेकिन हम यहाँ, इस सीमावर्ती क्षेत्र में, 30 वर्षों से हैं - मैं व्यक्तिगत रूप से पाँच वर्षों से," सिस्टर अल्बेर्टिना पॉलेटी कहती हैं, जो तिजुआना, बाजा कैलिफ़ोर्निया में मदर असुन्ता इंस्टीट्यूट’ चलाती हैं, जो सान डिएगो से तथाकथित "शर्म की दीवार" द्वारा अलग किया गया शहर है।

इस संस्थान की स्थापना प्रवासी और शरणार्थी महिलाओं को सहायता प्रदान करने के लिए की गई थी, चाहे वे अकेली हों या बच्चों के साथ, जो खुद को असुरक्षित परिस्थितियों में पाती हैं। दिसंबर 2024 में, इस पहल को ("फॉक्सिव इंटरनेशनल वॉलंटियर अवार्ड") फ़ॉक्सिव अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

तिजुआना के ‘मदर असुन्ता इंस्टीट्यूट’ में अपनी दो धर्मबहनों के साथ सिस्टर अल्बेर्टिना मारिया पॉलेटी
तिजुआना के ‘मदर असुन्ता इंस्टीट्यूट’ में अपनी दो धर्मबहनों के साथ सिस्टर अल्बेर्टिना मारिया पॉलेटी   (Marco Palombi)

वर्तमान में, तिजुआना में घर का प्रबंधन तीन धर्मबहनों द्वारा किया जाता है, साथ में मनोवैज्ञानिक, स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और स्वयंसेवक भी हैं।

"यहाँ आने वाली ज़्यादातर महिलाएँ - लगभग 80% - मेक्सिकन हैं, जो संगठित अपराध, अत्यधिक पारिवारिक कठिनाई या पतियों और रिश्तेदारों द्वारा दुर्व्यवहार की हिंसा का शिकार रही हैं। अन्य ग्वाटेमाला, होंडुरास, अल साल्वाडोर और वेनेजुएला से आती हैं।

वे आम तौर पर दो हफ़्ते, अधिकतम दो महीने तक रुकती हैं, मुख्य रूप से अपने शरण आवेदन की नियुक्ति की प्रतीक्षा करते समय। अभी, यह अनिश्चितता और अस्थिरता अपराधियों और शोषकों के लिए उपजाऊ ज़मीन तैयार करती है।"

'हम चाहते हैं कि वे जानें कि वे भी इंसान हैं'

‘मदर असुन्ता इंस्टीट्यूट’ में, हर तरह की सहायता प्रदान की जाती है - कागजी कार्रवाई के साथ प्रशासनिक सहायता से लेकर मनोवैज्ञानिक परामर्श तक, क्योंकि आने वाले लगभग सभी लोग नाजुक स्थिति में होते हैं।

सिस्टर अल्बेर्टिना बताती हैं कि लोगों की कहानियाँ “दिल दहला देने वाली हैं - बच्चे जिन्होंने अपनी माँ को अपने पिता द्वारा पीटते हुआ देखा है, या अपने पिता को अपराधियों द्वारा मार डाला है। कुछ लोगों को तो रिश्तेदारों या अपने माता-पिता द्वारा भी प्रताड़ित किया गया है।”

धर्मबहनें माताओं को अपने बच्चों के साथ संबंध बनाने में भी मदद करती हैं, जो कि अक्सर कठिन जीवन स्थितियों के कारण समाप्त हो जाता है।

“यह दुखद है, लेकिन अक्सर, कोई भावनात्मक जुड़ाव नहीं होता है। ये बच्चे अपना पूरा दिन अकेले स्मार्टफोन के सामने बिता सकते हैं जबकि उनकी माताएँ काम करने बाहर जाती हैं।”

इसमें एक आध्यात्मिक आयाम भी है: "हम 'ख्रीस्तीय प्रमाणपत्र' नहीं मांगते हैं," सिस्टर अल्बेर्टिना फ़ोन को देखते हुए और मुस्कुराते हुए कहती हैं, "लेकिन हम देखते हैं कि उनमें से प्रत्येक, किसी न किसी तरह से, अर्थ की खोज कर रहा है और यह समझना चाहता है कि ईश्वर उनके जीवन से क्या अपेक्षा करते हैं। यह सभी के लिए समान है: प्यार महसूस करने की आवश्यकता और यह जानना कि हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है। यहाँ, हम चाहते हैं कि वे यह जानें कि वे भी इंसान हैं।"

धर्मबहनें सख्त नियम लागू करती हैं और जो लोग उनका पालन नहीं करते हैं उन्हें जाने के लिए कहा जाता है। "हर कोई घर के प्रबंधन और साफ-सफाई या खाना पकाने में भाग लेता है। सब कुछ मुफ़्त में दिया जाता है, लेकिन बदले में, सभी को समुदाय में योगदान देना चाहिए।"

‘मदर असुन्ता इंस्टीट्यूट’ द्वारा सहायता प्राप्त युवतियों के साथ सिस्टर अल्बेर्टिना मारिया पॉलेटी
‘मदर असुन्ता इंस्टीट्यूट’ द्वारा सहायता प्राप्त युवतियों के साथ सिस्टर अल्बेर्टिना मारिया पॉलेटी   (Marco Palombi)

अमेरिकी कार्यकारी आदेश और निर्वासन

धर्मबहन बताती हैं कि फिलहाल संस्थान में केवल 18 प्रवासी रह रहे हैं, जबकि इसकी क्षमता लगभग 90 है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मेक्सिकन सरकार ने एक आश्रय-होटल बनाया है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका से निर्वासित 2,600 लोगों को रखा जा सकता है। अल्पकालिक सहायता प्राप्त करने के बाद, इन व्यक्तियों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने मूल स्थानों पर वापस लौट जाएँ।

सरकार ने कहा है कि वह केवल मेक्सिकन नागरिकों के लिए जिम्मेदार है, लेकिन वास्तव में, अन्य देशों के लोग भी हैं।

एक और बड़ा झटका राष्ट्रपति ट्रम्प के कार्यकारी आदेश के साथ आया, जिसने कई गैर सरकारी संगठनों को मानवीय निधि में कटौती की, उनके काम को तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया। "परिणामस्वरूप, हमें उनका समर्थन भी नहीं मिल रहा है।"

सिस्टर अल्बेर्टिना कहती हैं, "जबकि प्रवासन एक सुर्खियों वाला मुद्दा बन गया है, मैं खुद से पूछती हूँ कि हम कब तक दीवारें बनाते रहेंगे? हमारे संस्थापक कहा करते थे कि एक प्रवासी के लिए घर वह जमीन है जो उसे रोटी देती है।"

तिजुआना में ‘मदर असुन्ता इंस्टीट्यूट’ के बाहर सिस्टर अल्बेर्टिना मारिया पॉलेटी
तिजुआना में ‘मदर असुन्ता इंस्टीट्यूट’ के बाहर सिस्टर अल्बेर्टिना मारिया पॉलेटी   (Marco Palombi)

स्कालाब्रिनियन धर्मबहनों का लंबा इतिहास

स्कालाब्रिनियन धर्मबहनों का लंबा इतिहास है। 1895 में जोवानी बतिस्ता स्कालाब्रिनी द्वारा स्थापित धर्मसमाज ने विभिन्न क्षेत्रों में, विशेष रूप से लैटिन अमेरिका में, और उससे भी परे संस्थाओं का एक विशाल नेटवर्क स्थापित किया है। आज, उनके पास 27 देशों में 111 मिशन केंद्र हैं, जिनमें 400 से अधिक धर्मबहनें कार्यरत हैं।

"हमारे लिए, काम और प्रार्थना एक ही चीज़ हैं," सिस्टर अल्बेर्टिना ने निष्कर्ष निकाला। “ओरा एत लेबोरा” - "प्रार्थना और काम करो," जैसा कि संत बेनेदिक्ट ने 1,500 साल पहले सिखाया था - एक सिद्धांत जो अब वर्तमान में लागू होता है, उन जगहों पर जहाँ पीड़ित मानवता आशा के संकेत की प्रतीक्षा कर रही है।

तिजुआना में मदर असुंता इंस्टीट्यूट के अंदर का भाग
तिजुआना में मदर असुंता इंस्टीट्यूट के अंदर का भाग   (Marco Palombi)

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11 मार्च 2025, 15:29