म्यांमार भूकम्प पर कार्डिनल बो : पोप का सामीप्य ‘सांत्वना का मलहम’
म्यांमार, शनिवार, 29 मार्च 2025 (रेई) : "मैंने सभी संबंधित पक्षों से तत्काल मानवीय सहायता और प्रभावित लोगों तक निर्बाध पहुंच की अपील की है। मैंने शत्रुतापूर्ण सभी समूहों से युद्धविराम की गंभीर अपील दोहराई है।"
वाटिकन न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में, म्यांमार के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष और यांगून के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल चार्ल्स माउंग बो ने देश के मांडले क्षेत्र में आए विनाशकारी 7.7 तीव्रता के भूकंप पर टिप्पणी करते हुए ये अपीलें व्यक्त कीं, जिसमें म्यांमार में एक हजार से अधिक लोग और थाईलैंड में कई लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग लापता हैं।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के प्रारंभिक अनुमानों से पता चलता है कि म्यांमार में लगभग 800,000 लोग सबसे अधिक हिंसक भूकंप के क्षेत्र में रहे होंगे। शुक्रवार को एक तार संदेश में, पोप फ्राँसिस ने विनाशकारी भूकंप से प्रभावित म्यांमार और थाईलैंड की जनता के प्रति अपनी निकटता व्यक्त की, क्योंकि म्यांमार पहले से ही बड़े पैमाने पर विस्थापन से जूझ रहा है, जिसमें तीन मिलियन से अधिक लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हैं और देश की एक तिहाई से अधिक आबादी को तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता है।
संत पापा ने जान-माल की हानि और व्यापक तबाही पर अपना दुःख व्यक्त किया, मृतकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की तथा त्रासदी से प्रभावित सभी लोगों के प्रति अपनी आध्यात्मिक निकटता का आश्वासन दिया।
इस भयावह स्थिति को देखते हुए छह क्षेत्रों में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी गई है, जिसके कारण मानवीय क्षति बहुत अधिक हुई है। हालांकि, नुकसान की पूरी सीमा अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन इमारतों और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है, जिसमें महत्वपूर्ण पुलों का ढहना और एक बांध का नष्ट होना शामिल है।
निम्नलिखित साक्षात्कार में, कार्डिनल बो ने भूकंप से हुई मौतों और विनाश पर शोक व्यक्त किया है, और पोप के संदेश के लिए उनका आभार व्यक्त किया है, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि यह "हमारे लोगों के लिए सांत्वना का सुखदायक मरहम है।"
प्रश्न : भूकम्प के समय आपका क्या अनुभव था? आप क्या कर रहे थे? आपने क्या महसूस किया?
मैं सड़क पर था जब यह दुखद दृश्य सामने आया। मैं ताउंगगी से लौट रहा था, राजधानी ने पी ताव के आस-पास से गुज़र रहा था, जहाँ सबसे ज़्यादा मौतें और विनाश हुए हैं।
जब हम फंसे हुए ट्राफ़िक के बीच आगे बढ़ने के लिए संघर्ष कर रहे थे, तो हमने सड़क पर बने बड़े-बड़े गड्ढे देखे। सड़क और आस-पास के इलाकों में भूकंप से होनेवाले नुकसान से बचने की कोशिश में हमने अपनी यात्रा में पाँच घंटे की देरी की।
हम बेचैनी में डूब गए क्योंकि हमारी कार अनियंत्रित रूप से किनारे की ओर मुड़ गई, क्योंकि यात्रियों के कारण वाहन नियंत्रण खो रहे थे। जब हमने अपनी कार को बचाया, तो हमने पाया कि कई मोटरसाइकिल चालक नियंत्रण खो देने के कारण सड़क पर गिर गए थे। यह हम सभी के लिए एक डरावना क्षण था, यहाँ तक कि खुली जगहों पर भी।
भगवान का शुक्र है कि हम बिना किसी परेशानी के अपने गंतव्य तक पहुँच गए। लेकिन सड़क पर हम आम लोगों की बेचैनी देख सकते थे, जो भूकंप से डरे हुए थे, जिसे अब "सदी का सबसे बड़ा भूकंप" कहा जा रहा है। हम एक मानव प्रजाति के रूप में जीवित हैं क्योंकि हम एकमात्र ऐसी प्रजाति हैं जो अपने साथी मनुष्यों के आंसुओं से दुःखी होते हैं।
प्रश्न : परिस्थित का वर्णन किस प्रकार करेंगे? और आपने क्या देखा है?
जैसा कि आप जानते हैं, म्यांमार पिछले चार सालों से बहुत ही मुश्किल समय से गुजर रहा है, और भूकंप हमारे लोगों के लिए बहुत ही दुखद समय पर आया है। प्रभावित क्षेत्र पहले से ही संघर्ष के बहुआयामी संकटों, अर्थव्यवस्था के पतन और बड़े पैमाने पर विस्थापन से प्रभावित हैं।
मैंने सड़कों पर भागते हुए पुरुषों और महिलाओं के मार्मिक दृश्य देखे, भूकंप के कारण उनकी हड्डियों में सिहरन पैदा हो गई थी। प्रकृति को अन्य शक्तियों के साथ मिलकर हमारे लोगों की पीड़ा को और भी अधिक बढ़ाने में शामिल होते देखना एक विनाशकारी अनुभव था।
प्रश्न : लोगों को किस चीज की सबसे अधिक आवश्यकता है?
काथलिक कलॶसिया द्वारा हर जगह सहायता के वादे से हम बहुत प्रभावित हैं। लोगों को भोजन, आश्रय, दवा और सभी जीवन रक्षक सामग्रियों की आवश्यकता है। किसी भी चीज से ज्यादा, हमारे लोगों को शांति की जरूरत है, न कि बहुआयामी संकट से उत्पन्न होनेवाली बेचैनी की।
मैंने सभी संबंधित लोगों से तत्काल मानवीय सहायता और प्रभावित लोगों तक निर्बाध पहुँच की अपील की है। मैंने शत्रुतापूर्ण सभी समूहों से युद्ध विराम की गंभीर अपील दोहराई है।
हम कलॶसिया से मिले समर्थन तथा वाटिकन और हमारे वाटिकन प्रतिनिधि के अटूट तथा गहरे मार्मिक संदेश से सांत्वना प्राप्त कर रहे हैं।
प्रश्न: पोप के संवेदना संदेश का आपके और आपके लोगों के लिए क्या मायने रखता है?
पोप हमारे लोगों के लिए एक वफादार चरवाहे रहे हैं। 2017 में म्यांमार का दौरा करने के बाद, ऐसा लगा कि पोप को हमारे लोगों से प्यार हो गया है। पिछले चार वर्षों में कठिन समय के दौरान, उन्होंने बहुत चिंता और समर्थन दिखाया। शांति और सुलह के लिए उनकी अंतहीन अपील ने हमारे लोगों को लगातार सांत्वना दी है।
मैं इस बात से बहुत प्रभावित हूँ कि हाल ही में बीमार होने के बावजूद, उनका दिल हमारे लोगों के लिए धड़कता है, और उनका संदेश हमारे लोगों के लिए सांत्वना का सुखद मरहम है।
प्रश्न: म्यांमार और थाईलैंड के पीड़ित लोगों के लिए आपके पास सांत्वना और विश्वास के कौन से शब्द हैं?
जब प्रकृति हमला करती है, तो मनुष्य अपने सभी मतभेद भूल जाते हैं। मानवीय आँसू हमें एकजुट करते हैं। हम प्रजाति के रूप में जीवित रहते हैं, क्योंकि हम दूसरों के आँसुओं से द्रवित हो सकते हैं।
थाईलैंड या म्यांमार में कहीं भी लोगों के आँसू और टूटापन मानवीय आँसू हैं, भाईचारे के आँसू हैं। हम उनका दर्द महसूस करते हैं। दुनिया उनके दर्द को महसूस करती है और हम इस दुःख की घड़ी में सभी लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होंगे और उनके घावों को भरने और ठीक होने में मदद करेंगे।
हमने सुनामी के बाद इसे देखा है; हमने म्यांमार में नरगिस चक्रवात के बाद इसे देखा है। हम जीतेंगे क्योंकि प्राकृतिक आपदा के समय करुणा ही सभी लोगों का धर्म है।
मानवता न केवल सभी आपदाओं से बचेगी बल्कि सभी आपदाओं के बीच पनपेगी, क्योंकि हमारे पास एक ऐसा दिल है जो मेरे भाई और बहन की पीड़ा के लिए खून बहाता है। हम थाईलैंड और म्यांमार के लोगों के साथ खड़े हैं।
प्रश्न: देश में अभी मदद करने के लिए सबसे बड़ी चुनौतियाँ क्या हैं?
चूँकि देश गृहयुद्ध से जूझ रहा है, इसलिए सशस्त्र समूहों की गड़बड़ी से मदद में बाधा आ सकती है। मेरा मतलब दोनों पक्षों के सभी लोगों से है। इसलिए, सुलह, संवाद और शांति ही एकमात्र समाधान होगा।
फिलहाल, कलॶसिया के कर्मचारी और धार्मिक समूह जरूरतमंदों तक सहायता पहुँचाने के सबसे अच्छे माध्यम होंगे।
देश निराशा की गर्त में डूबा हुआ है। चुनौतियाँ बहुत हैं। लेकिन एक और दुनिया बनाने का अवसर संभव है; एक और म्यांमार संभव है। म्यांमार के लोग शांति चाहते हैं। न्याय के साथ शांति सबसे बड़ी चुनौती है। इसलिए, सबसे बड़ी जरूरत शांति है, कम से कम युद्धविराम तो होना चाहिए ताकि हमारे सभी लोगों को बुनियादी जरूरतें पूरी हो सकें। मैं उन सभी लोगों से अपील करता हूँ जो एक-दूसरे के खिलाफ हैं, अब एक साथ आएं और सबके आंसू पोछें।
खाना, दवा और आश्रय तत्काल जरूरतें हैं। इसके लिए मानवीय गलियारे की जरूरत है। मुझे उम्मीद है कि जो लोग इस क्षेत्र में हैं, वे इसका समर्थन करना जारी रखेंगे। सभी आपूर्तियों का मुक्त प्रवाह और दूसरे देशों से आने वाली सहायता को सुगम बनाने की जरूरत है। आइए हम सभी बाधाओं को कम करके इसे संभव बनाएँ। मदद के लिए हमारे देश में आनेवाले सभी लोगों का स्वागत करें और सबसे अधिक प्रभावित लोगों तक पहुंचने के लिए सभी सुरक्षा प्रदान करें।
आखिरकार, न्याय पर आधारित सच्ची शांति ही हमारी समस्याओं का समाधान करेगी। यह पोप फ्राँसिस की अपील है। हम इस अपील में उनके साथ हैं। एक शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण म्यांमार सभी चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकता है।
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