कार्डिनल बो : "फ्रतेल्ली तूत्ती" महत्वपूर्ण चौराहे पर एशिया से बातचीत
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
एशिया, बृहस्पतिवार, 15 अक्टूबर 2020 (वीएन) – कई सामाजिक महामारियाँ जिन्हें कोविड-19 ने उजागर किया है भाईचारा और सामाजिक मित्रता पर, संत पापा फ्राँसिस के विश्व पत्र फ्रतेल्ली तूत्ती के मनोभाव में, एशिया की काथलिक कलॶसिया, करुणा, एकात्मता एवं न्याय की वैक्सिन विकसित करना चाहती है।
एशियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ (एफएबीसी) के अध्यक्ष कार्डिनल चार्ल्स बो ने एशिया के धर्माध्यक्षों एवं विश्वासियों को एक पत्र में लिखा है, "हमारे संत पिता की एकात्मता, मुलाकात एवं उदारता के लिए आह्वान की गूँज, हमारे जीवन और समुदायों में सुनाई पड़े। आप मानव प्राणी के प्रति वार्ता, सम्मान और उदारता हेतु संत पापा के आग्रहपूर्ण आह्वान को सुन सके"।
सार्वजनिक भलाई
12 अक्टूबर को प्रेषित पत्र में उन्होंने लिखा है कि "हमारी एशियाई वास्तविकताओं को आवश्यक संदेश फ्रतेल्ली तुत्ती में प्रतिध्वनित किया गया है। एशिया चौराहे पर है और हम जो रास्ता अपनाएँगे, वही निर्णय करेंगा कि हम आनेवाली पीढ़ी के लिए क्या छोड़ने वाले हैं।"
कार्डिनल ने कलॶसिया के धर्माध्यक्षों, राजनीतिक और सरकारी अधिकारियों से सवाल किया है, "क्या हम नष्ट हो जायेंगे अथवा बचाये जायेंगे? क्या एशिया व्यक्तिगत तृष्णा का चुनाव करेगा अथवा सार्वजनिक हित के लिए समर्पित होगा? इसके लिए बहुत अधिक निर्भर करेगा कि हम कोविड-19 के बाद किस तरह समाज का पुनः निर्माण करते हैं।
उन्होंने खेद प्रकट किया है कि एशिया के बहुत सारे सरकारी अधिकारी, असफल आर्थिक और सामाजिक मॉडल में लौटना चाहते हैं। अतः वे एक राजनीति की अपील करते हैं जो सार्वजनिक एवं वैश्विक हित पर आधारित हो। जो मानव प्रतिष्ठा की खोज करता हो। ऐसे स्त्री एवं पुरूष का आह्वान करते हैं जो राजनीतिक प्रेम पर चलते हैं। राजनीति जो अर्थव्यवस्था और सामाजिक एवं सांस्कृतिक बनावट को एक सुसंगत, जीवन देनेवाली मानव परियोजना में एकीकृत करती है।
संकट से उबरना
कोविड-19 के साथ साल 2020 एक अव्यवस्था का समय बन गया है, लोगों में भय और क्षति समाया है। फिर भी संत पापा फ्राँसिस धर्माध्यक्षों से अपील करते हैं कि वे मिशन को कभी न छोड़ें। और जोर देते हैं कि "यदि कलॶसिया जीवित है तो वह हमेशा विस्मित करती है।"
71 वर्षीय कार्डिनल ने अपने साथी धर्माध्यक्षों से आग्रह किया है कि वे अपने हृदय में सुसमाचार के आनन्द को कम न होने दें, उदासीनता की संस्कृति को जगह न दें। चाहे हर प्रकार की तकलीफें हमारे चारों ओर क्यों न हों। संत पिता, भाईचारे के महान, अचंभित, आश्चर्यजनक और अनमोल उपहार पर जोर देते हैं।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "भाईचारा जिसका अर्थ है अपने भाई-बहनों की देखभाल एवं उनका सम्मान करना जो शांति के रास्ते की नींव है। भाईचारा, एकात्मता एवं वार्ता है, यही सच्चा धर्म है। भाईचारा के बिना स्वतंत्रता एवं समानता का कोई अर्थ नहीं है।
कई आधारभूत महामारियाँ
संत पापा फ्राँसिस के अनुसार कोविड-19 ने समाज में जातिवाद, असमानता, विद्वेषपूर्ण भाषण, गरीबों, बुजूर्गों एवं अजन्में लोगों की उपेक्षा, महिला एवं बच्चों की तस्करी तथा मौत की संस्कृति जैसी कई आधारभूत व्यवस्थित महामारियों को उजागर किया है।
मृत्यु दण्ड लगभग 18 एशियाई देशों में वैध है। कई जगहों में लम्बे समय से युद्ध चल रहे हैं। लाखों लोगों के लिए अपने परिवार को छोड़ने एवं काम के लिए विदेश जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
भला समारी
कार्डिनल ने आग्रह करते हुए कहा कि इन सब के विपरीत "हमें करुणा, एकात्मता और न्याय के वैक्सिन विकसित करने की जरूरत है जैसा कि संत पापा ने भला समारी का उदाहरण दिया है। दृष्टांत के माध्यम से संत पापा ने मानवता के लिए निम्नलिखित बातों को प्रोत्साहन दिया है, शांति, युद्ध और मृत्युदण्ड का बहिष्कार, समाज में क्षमाशीलता एवं मेलमिलाप को प्रोत्साहन तथा आमघर की देखभाल।
भले समारी की दृष्टि के साथ, हम नष्ट करने की संस्कृति का विरोध करने, समाज में महिलाओं, अल्पसंख्यकों, शरणार्थियों, अजन्में, बुजूर्गों और कई अन्य कमजोर लोगों के मानव अधिकारों की रक्षा करने के लिए बुलाये जाते हैं। कार्डिनल ने जोर दिया कि व्यक्तियों एवं सार्वजनिक वस्तुओं के प्रति सम्मान तभी बढ़ सकता है जब सच्चा भ्रातृत्व हो।
अंतर-धार्मिक संबंध
संदेश में एशियाई काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ के अध्यक्ष ने कोविड-19 संकट का सामना करने में विभिन्न धर्मों के बीच भाईचारा पूर्ण संबंध तथा इसके द्वारा उत्पन्न खतरे एवं अवसरों पर भी प्रकाश डाला।
इस संबंध में संत पापा हमें, यहाँ और अभी, उस दुनिया के निर्माण के अवसरों को साहस और रचनात्मक रूप से देखने की अपील करते हैं जो ईश्वर की इच्छा के अनुसार हो। कोविड-19 के बाद पुनः विकास करनेवाला समाज एक ऐसा समाज होगा जो भाईचारा को महत्व देता है।
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